(दोस्तों जिंदगी इंसा कुछ इस कदर जीता है की उसे उसके मायने ही समझ नहीं आते. अभी अभी मुझे इस विषय पर एक कविता सूझी और उसे यहाँ आपकी खिदमत में पेश कर रहा हू. दि. २३/११/२०११))
काश जिंदगी खुशबू होती,
इंसा सारी जिंदगी
खुशबूदार जीवन व्यतीत करता.
काश जिंदगी आईना होती,
इंसा खुद को हर रोज
उसी आईने में निहारता
अपनी सारी बुराइया खुद जान जाता
और वक्त रहते उन्हें सुधार लेता,
लाखो करोडो के ख्वाब झूठे होते है
यह वक्त रहते खुद देख समझ पाता
और इत्मीनान से अपने परिवार के साथ
खुशहाल जिंदगी जी लेता
काश जिंदगी.............
आज निंद आंखो से कोसो दूर है. करवटे बदलते बदलते थक गया और अचानक मन बहक गया. फिर सुझी ये चंद लाईने. बिस्तर उठ सिद्ध कम्प्युटर पे आ गया और यहा आपकी खिदमत में ओ लाईने पेश करा रहा हु. अभी रात के २ बज रहे है.
कौन है वो बदनशिब
जिसने तुझे भुला दिया है
जानता हु मै,
तुझमे दाग है न,
तेरी खुबसुरती मे दाग है
पर क्या हुआ
हर एक पर दाग होता ही है
ऐसा है कोई जिस पर कोई दाग न हो?
कोई है जिसमे खोट न हो?
नही शायद नही
फिर क्यो ऐसा क्यो?
तेरी इतनी सी खोट का इतना बडा जुल्म
कितना गम मिला है तुझे?
फिर भी तु खुश रहता है
रातो मे करवटे बदलता है
और अंत मे सो जाता है
एक दिन वो भी आता है
जब रात भर जागता है तु
कतल की रात होती वो
हे रजनी पती
अरे हा
कही वो बेवफा रजनी तो नही?
जो तुझे छोड गयी है!
हां, ऐसा ही लगता मुझे
हा वही है वो बेवफा
कितनी दुर चली गयी है वो
तु कहा आकाशलोक मे
वो कहा धरती पर
फिर दोनो का मिलन कैसे होगा?
असम्भव है यह
अब ऐसा नही होगा
तुम दोनो कभी नही मिलोगे
केवल ताकते रहोगे एक दुसरे को जोवन भर
तु वहा से देखना
रजनी यहा से देखेगी
तेरी दुनिया मे सब सो जाते है
तारे झिलमिलाते है
पर तु तब भी जागता रहता है
मुहब्बत के मारो पर हमेशा जुल्म होता है
बेचारो को गम के शिवा मिलता ही क्या है?
हे रजनीपती
बस अब इंतजार ही तीन दोस्तो का. वो आ जाये और दोस्ती का हात बढाये तो मेरा शतक पुरा हो जाये. हम भी अपने आप को धन्य समझने लगेंगे.
अब तक तो आप समझ ही गए होंगे की मुझे किस का इंतजार है. यदि नहीं तो पहेली बुझा दू. अजी अब पुरे ९७ फोलोअर्स हो चुके है. अब सिर्फ ३ आना बाकी है. तो दोस्तों चलिए दोस्ती के हाथ बढाइये.
मेरे सभी चाहनेवालो का शुक्रगुजार हु. सभी को तहे दिल से धन्यवाद देना चाहता हु. इसी तरह हौसला बढ़ाते रहियेगा.
गाँव का एक जवान थोडा पढ़ा लिखा एकबार अपने सालेसाहब के यहाँ शहर गया। रविवार के दिन दोनों शहर में घूमने गए। गाव के उस जवान ने एक जगह एक बोर्ड लगा हुआ देखा और साले से कहा " अरे देखो वहा तुम्हारा मेला लगा हुआ है।" सालेसाहब सकपका गए और बोले, "जीजाजी, मेरा तो कही मेला नहीं लगा है।" " अरे वहा देखो वो बडे- बडे अक्षरों में अंग्रेजी में लिखा दिखाई नहीं दे रहा।" सालेसाहब ने बोर्ड की तरफ देखा तब उनकी समझ में आया की माजरा क्या है। और वो पेट पकड़ पकड़ कर बहुत देर तक हसते रहे। दरअसल, बोर्ड पर लिखा था, "SALE KA MELA" उस दूकान में असल में एक सेल लगा था। सेल को उस गाव के जवान ने साले पढ़ लिया.
कल मेरे प्रिय मित्र, वर्तमान के बोंस, इंजिनीअरिंग कोलेज के सिनिअर, श्रीमान अग्रवालजी जो की केंसर से पीड़ित थे कल भगवान को प्यारे हो गए। इश्वर उनकी आत्मा को शान्ति दे।
भारत - विश्व कप २०११ चेम्पियन बन गया। धोनी की सूझ बुझ काम आई। धोनी ने दुनिया को दिखा दिया की शांति और सूझ बुझ से सब कुछ हासिल किया जा सकता है। धोनी और इंडियन टीम को और सभी भारतवाशियों को बधाई।
जिंदगी एक पहेली है,
क्योकि
कल क्या हुआ?
आज क्या हो रहा है ?
कल क्या होगा?
क्यों होगा?
कैसे होगा?
कौन करेगा?
कब करेगा?
कहा करेगा?
कुछ भी तो नहीं पता है हमें
क्योकि जिंदगी एक पहेली है.
जपान देश बहुत कम समय मे उभरा है। उसे आज नैसर्गिक आपदाओ ने बुरी तरह घेर लिया है।इस तस्वीर को देखने से रोंगटे खड़े हो जाते है। ८.९ रिश्टर का भयंकर भूकंप वहा आया और साथ सुनामी नाम की राक्षस को भी लाया। इस राक्षस ने घर, कारखाने, कारे, ट्रक जो कुछ भी रास्ते में आया उसे अपनी आगोश में समा लिया है। इससे यही साबित होता है दोस्तों की इस ब्रम्हांड में ईश्वर से बड़ा कोई नहीं है। वो कुछ भी कर सकता है। हम चाहे कितना भी बचने की कोशिश करे जब तक वो नहीं चाहता हम बच नहीं सकते। आज मुझे वो दिन याद आ रहे है जब मै जापान गया था। ओक्टोबर १९९८ में दिवाली की रात, जब दुनिया दिवाली मना रही थी हम मुंबई के हावाई अड्डे पर हवाई जहाज की राह देख रहे थे. रात १२ बजे हम सवार हुए थे. मुझे मालुम था जापान में हमेशा भूकंप आते है। इसलिए जब हम वहा पहुचे हमें एक ५५ माले की होटल के ४४ वे माले पर एक कमरे में ठहराया गया था। वहा उस माले पर पहुँचाते ही मुझे ऐसा लगाने लगा था की वह ईमारत डौल रही है। डर लगता था। वहा हार जगह लिखा था की भूकंप आये तो लिफ्ट का इस्तेमाल न करे। फिर क्या क रे तो कमरे में जो कांच की दीवार थी उसे तोड़े उस पर सीढ़िया है उसका इस्तेमाल कर निचे उतारे। मै सोचने लगा की १० सेकण्ड में भूकंप तबाही मचा देता है और ४४ वे माले से नीचे यदि लिफ्ट से जाते है तो २ मिनिट लगते है। पैदल जाने में कितना समय लगेगा। दिल को पक्का कर लिया और यदि भूकंप आता भी है तो मै अपने कमरे से किसी हालत में बहार नहीं जाऊंगा ये ठान ली। हमारा भाग्य की एक महीने में भूकंप नहीं आया। ईश्वर से प्रार्थना करते है की जापान में भूकंप पीडितो को खुशहाल रखे और जो मृत हुए हो उनकी आत्मा को शांति दे।
दर्शन एक सवाल हल नहीं कर पा रहा था। वो बहुत परेशान हो गया। अंत में वह पड़ोस के अंकल के घर गया। अंकल पेपर पढ़ रहे थे। उन्होंने दर्शन को आते देख अपना मुह पेपर के पीछे छुपा लिया। उन्हें उसका बहुत डर लगता था। वह आये दिन उनसे सवाल पूछने आ जाया करता था। न दिन देखता था न रात। आज उनका बिलकुल भी मन नहीं था की उसके सवाल हल कर दे। लेकिन दर्शन भाई साहब कहा हार मानने वाले थे। वो घर में घुस आया। और बोला अंकल आप बुरा न माने तो मै कुछ पुछु? हां हां बेटा पूछो। मै क्यों बुरा मानने लगा भला। दर्शन ने अपना सवाल पूछना सुरु किया। वो कब रुकेगा इसकी राह अब अंकल को देखनी थी। आखिर वो वक्त आही गया जब दर्शन रुका और अंकल से बोला, अंकल, अब आप इस बारे मुझे मार्ग दर्शन कीजिये। हा हा जरुर। जी बताइए। वो देखो बेटा वो रहा मार्ग याने की रास्ता। उन्होंने दर्शन को घर के दरवाजे की तरफ इशारा किया। तो? अब दर्शन बोला। अब उस मार्ग का दर्शन कर लो। हो गया मार्ग दर्शन। बराबर। और अंकल जोर जोर से हँसाने लगे। हा हा हा हा ................ बेचारा दर्शन छोटा सा चेहरा कर वहा से चलता बना। (गूगलइमेज)
आज १५ फरवरी। मेरा असली जन्म दिन। अरे आप चौक क्यों गए? वाकई में यह मेरा असली जन्म दिन है। ऐसा मै इसलिए कह रहा हु क्योकि माता-पिता को मेरा जन्म दिन याद न होने की वजह से स्कुल में मेरा जन्म दिन १ जून डाल दिया था। आपको आश्चर्य होगा हमारे घर में सभी का जन्म दिन १ जून है। इतना ही नहीं मेरी ससुराल में भी यही है। अजी इतना ही नहीं सभी घरो में १ जून ही जन्म दिन होता है। कारण माता पिता की अशिक्षा। पहले के ज़माने में हम इतने प्रगत नहीं थे। वो तो बाद में ढूंढ़ निकाला वो भी गाव के पालिका कार्यालय से। उन्हें धन्यवाद देना चाहिए की उन्होंने इतना पुराना रेकोर्ड संभल कर रखा।
दोस्तों, हमें एक बेटी ही है। इस साल वह एम् एस सी ( केमिस्ट्री) के अंतिम वर्ष में है। मेरा तबादला पुना में हुआ और मैने परिवार सहित पूना में रहने की सोच ली। उसे यहाँ एक अच्छे से कोलेज में दाखिला मिल गया। पिचले हप्तेसे उसके कोलेज में इंटर नेशनल केमिस्ट्री इयर मनाया गया। कुछ प्रतीयोगीतये हुई। पोस्टर कोम्पी टी शन मी उसने भाग लिया। सौभाग्य से मै पालक सभा में हिस्सा लेने गया था उसी समय उस प्रति योगिता का रिजल्ट डिक्लेअर किया गया। मेरे ही सामने मेरी बेटी को पहिला पुरस्कार मिला।मुझे बहुत ही आनंद हुआ। मन प्रफुल्लित हुआ। मुझे मेरी बेटी पर गर्व हुआ। मैंने सोचा अपना आनद आपसे शेअर करू इसलिए यहाँ यह पोस्ट लिखी.
जानेकिसबातकीसजादेतेहोमुझे ? हेप्रभु मैंनेऐसाक्यागुनाहकियाहै? मेरेअपनेक्योंमुझसेखफाहै? अबतोयेअकेलापन काटने लगाहै। मुझे ऐसा लगताहै जैसे इसधरतीपरमैअकेलाही जीवरहगयाहु। अबमुझसेबर्दास्तनहींहोता हेप्रभु येअकेलापन। क्योंरूठगयीहोतुममुझसे बताओमुझेबताओ। मेराक्यागुनाहहै। इसतरहचुपचापनरहो तुमकुछतोकहो मैपागलहोजाऊंगाअब नासताओमुझे। हे प्रभु आप ही कुछ करो उसे समझाओ हे प्रभु ।