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December 14, 2011

जिंदगी के तराने


जिंदगी के तराने बहुत है,
जिंदगी में अफसाने बहुत है.  
जिंदगी से घबराओ नहीं दोस्तों,
जिंदगी में मैखाने बहुत है,

December 12, 2011

जीवन का पथ

जीवन के पथ पर जो चलता जाता है,
बेधड़क, बेझिझक, बेखबर,
वही अंतिम पड़ाव तक पहुच पाता है  
बेधड़क, बेझिझक, बेखबर!


December 3, 2011

बेरंग

कभी कभी जिंदगी अपने ऐसे रंग दिखाती है की जिंदगी ही बेरंग हो जाती है.

November 23, 2011

काश जिंदगी...........

(दोस्तों जिंदगी इंसा कुछ इस कदर जीता है की उसे उसके मायने ही समझ नहीं आते. अभी अभी मुझे इस विषय पर एक कविता सूझी और उसे यहाँ आपकी खिदमत में पेश कर रहा हू. दि. २३/११/२०११))
काश जिंदगी खुशबू होती,
इंसा सारी जिंदगी
खुशबूदार जीवन व्यतीत करता.

काश जिंदगी आईना होती,

इंसा खुद को हर रोज
उसी आईने में निहारता
अपनी सारी बुराइया खुद जान जाता
और वक्त रहते उन्हें सुधार लेता,
लाखो करोडो के ख्वाब झूठे होते है
यह वक्त रहते खुद देख समझ पाता
और इत्मीनान से अपने परिवार के साथ
खुशहाल जिंदगी जी लेता
काश जिंदगी.............

November 16, 2011

आशा की किरण..

एक आशा की किरण 
जिसके सहारे
संभाल कर रखे हुए हूँ 
एक फूल गुलाब का,
कोई तो आएगा 
शायद
कभी- न- कभी 
मेरे सुख-दुखों 
का साथी
मेरा हमसफर 
मेरा हमराही.

(६/१२/१९८७ को लिखी मेरी एक और कविता)

November 14, 2011

खालीपन

एक हसीं लम्हा
जो 
लाया  था मेरे लिए
सारे जहाँ की खुशियाँ
अगले ही पल
खत्म हो गया
और
मुझे रोता बिलखता
छोड गया
इस अँधेरे जीवन में
जो
खालीपन से भरा है. 
( 6/12/1987 को लिखी मेरी एक कविता)

November 11, 2011

आ सेतू....: माझे आवडते ब्लॉग्स.

आ सेतू....: माझे आवडते ब्लॉग्स.: माझ्या मना
काय वाटेल ते........

October 26, 2011

दिवाली की शुभ कामनाये

सभी ब्लॉग मित्रो को दिवाली की शुभ कामनाये!!!!!

October 16, 2011

सबका दिल बस युही रोता है.............


मेरे दिल तू इतना गुमसुम क्यो है?
आंखे तेरी इतनी नम क्यो है?
तुझे कोई गहरा गम है?
तू न इतना घबरा, 
प्यार में यही होता है
सबका दिल बस युही रोता है.

September 30, 2011

हा हा हा!!!!!!!!!!!!!!!!!!

ये पुना शहर में किसी घर के बाहर लागी हुई हिदायत है. पढिये और मजा लिजिये. ( नेट से प्राप्त एक तस्वीर)

September 24, 2011

तलाश...

पथ अगम मेरा 
लक्ष्य अबोध है
नहीं है जो मंजिल मेरी 
उसी की तलाश में 
भटक रहा हु मै!!

एक बूंद प्यार की 
जो प्यास बुझाएगी मेरी
अज्ञात है जो 
उसी सुराही की तलाश में
भटक रहा हु मै!!

शांति मिले, छाया मिले
अपना कोई मिले मुझे 
जो न मालुम 
उसी वृक्ष की तलाश में 
भटक रहा हु मै!!

September 18, 2011

चांद जैसा चेहरा

आज निंद आंखो से कोसो दूर है. करवटे बदलते बदलते थक गया और अचानक मन बहक गया. फिर सुझी ये चंद लाईने. बिस्तर उठ सिद्ध कम्प्युटर पे आ गया और यहा आपकी खिदमत में ओ लाईने पेश करा रहा हु.  अभी रात के २ बज रहे है.
 

घनी जुल्फो से झांकता 
उनका चेहरा देख
 लगता है
जैसे 
चांदनी रात में 
घने बादलो के पीछे से 
चांद झांक रहा हो 

September 11, 2011

आंसू

तेरे गम में बह गया है 
  मेरा एक एक आंसू
नहीं अब कोई सितारा 
 जो चमक सके गगन में. 
-कतील शिकाई

August 13, 2011

रजनी पती

हे चांद,
किसके  गम में जिता ही तू 
क्यो जागता रहता है तू रात भर
कौन है वो बदनशिब
जिसने तुझे  भुला दिया है
जानता हु मै, 
तुझमे दाग है न,
तेरी खुबसुरती मे दाग है
पर क्या हुआ
हर एक पर दाग होता ही है
ऐसा है कोई जिस पर कोई दाग न हो?
कोई है जिसमे खोट न हो?
नही शायद नही
फिर क्यो ऐसा क्यो?
तेरी इतनी सी खोट का इतना बडा जुल्म
कितना गम मिला है तुझे?
फिर भी तु  खुश रहता है
रातो मे करवटे बदलता है
और अंत मे सो जाता है
एक दिन वो भी आता है
जब रात भर जागता है तु
कतल की रात होती वो
हे रजनी पती
अरे हा
कही वो बेवफा रजनी तो नही?
जो तुझे छोड गयी है!
हां, ऐसा ही लगता मुझे
हा वही है वो बेवफा
कितनी दुर चली गयी है वो
तु कहा आकाशलोक मे
वो कहा धरती पर
फिर दोनो का मिलन कैसे होगा?
असम्भव है यह
अब ऐसा नही होगा
तुम दोनो कभी नही मिलोगे
केवल ताकते रहोगे एक दुसरे को जोवन भर
तु वहा से देखना
रजनी यहा से देखेगी
तेरी दुनिया मे सब सो जाते है
तारे झिलमिलाते है
पर तु तब भी जागता रहता है
मुहब्बत के मारो पर हमेशा जुल्म होता है
बेचारो को गम के शिवा मिलता ही क्या है?
हे रजनीपती

(रविन्द्र रवि)


August 4, 2011

हम तुम................

मै बाहो मे था तुम्हारी
तुम मेरी बाहो मे थी
मै खोया था तुम मे
तुम मुझ मे खोयी थी 
उलझी हुई  लटे तुम्हारी 
सुलझा रहे थे मेरे हाथ
दिल दिमाग आंखे
सभी खामोश थे पाकर तुम्हारा साथ
मै सपनो मे तुम सपनो मे
मै तुम मे तुम थी मुझमे
खोये खोये थे आपस मे 
हम तुम.
( दोस्तो यह प्रेम कविता मैने ६/११/१९८० को लिखी)

July 28, 2011

मुझे इंतजार है.......

बस  अब  इंतजार ही तीन दोस्तो का. वो आ जाये और दोस्ती का हात बढाये तो मेरा शतक पुरा हो जाये. हम भी  अपने आप को धन्य समझने लगेंगे.

अब तक तो आप समझ ही गए होंगे की मुझे किस का इंतजार है. यदि नहीं तो पहेली बुझा दू. अजी अब पुरे  ९७  फोलोअर्स हो चुके है. अब सिर्फ ३ आना बाकी है. तो दोस्तों चलिए दोस्ती के हाथ बढाइये.
मेरे  सभी चाहनेवालो का शुक्रगुजार हु. सभी को तहे दिल से धन्यवाद देना चाहता हु. इसी तरह हौसला बढ़ाते रहियेगा.





July 22, 2011

जुदाई

तेरी  आरजू में जन्नत दिखाई देती है,
तेरे अश्को में तस्वीरे किस्मत दिखाई देती है;
तेरी जुदाई भी हमें मंजूर हो सकती है,
लेकिन दिल से दिल जुदा हो ये हमें मंजूर नहीं.



July 5, 2011

जिंदगी एक - पहेली

जिंदगी एक न छुटनेवाली पहेली है

चाहे जितना भी दूर भगाना चाहो 

लेकिन हमें कभी भी दूर न करनेवाली सहेली है 

 ऐसी  ये जिंदगी बड़ी अलबेली है!



 

June 18, 2011

मेला

गाँव का एक जवान थोडा पढ़ा लिखा एक बार अपने सालेसाहब के यहाँ शहर गया। रविवार के दिन दोनों शहर में घूमने गए। गाव के उस जवान ने एक जगह एक बोर्ड लगा हुआ देखा और साले से कहा " अरे देखो वहा तुम्हारा मेला लगा हुआ है।"
सालेसाहब सकपका गए और बोले, "जीजाजी, मेरा तो कही मेला नहीं लगा है।"
" अरे वहा देखो वो बडे- बडे अक्षरों में अंग्रेजी में लिखा दिखाई नहीं दे रहा।"
सालेसाहब ने बोर्ड की तरफ देखा तब उनकी समझ में आया की माजरा क्या है। और वो पेट पकड़ पकड़ कर बहुत देर तक हसते रहे।
दरअसल, बोर्ड पर लिखा था, "SALE KA MELA"
उस दूकान में असल में एक सेल लगा था। सेल को उस गाव के जवान ने साले पढ़ लिया.

May 14, 2011

श्रद्धांजलि अर्पित

कल मेरे प्रिय मित्र, वर्तमान के बोंस, इंजिनीअरिंग कोलेज के सिनिअर, श्रीमान अग्रवालजी जो की केंसर से पीड़ित थे कल भगवान को प्यारे हो गए।
इश्वर उनकी आत्मा को शान्ति दे।

May 5, 2011

ये मेरा इण्डिया!!


April 3, 2011

भारत - विश्व कप २०११ चेम्पियन



भारत - विश्व कप २०११ चेम्पियन बन गया।
धोनी की सूझ बुझ काम आई। धोनी ने दुनिया को दिखा दिया की शांति और सूझ बुझ से सब कुछ हासिल किया जा सकता है।
धोनी और इंडियन टीम को और सभी भारतवाशियों को बधाई।

April 1, 2011

जिन्दगी

ज़िंदगी ने क्या दिया मुझे
सोच परेशा हुआ जब मै
पीछे मुड़ के देखा मैंने
तो पाया,
उस राह पर,
जिस पर चल के मै
यहाँ तलक आया हूँ
सिर्फ काँटे ही बिखरे पड़े दिखाई दिए
मैं निराश हुआ
दुसरे ही पल
मेरी निगाहे
उस राह के दोनों तरफ बिखरी
हरियाली पर पड़ी
तब मैंने पाया
इन्ही काँटो पे चलने पर
आँखों ने जो बहाए थे आँसू
शायद
उन्ही आँसुओ से सिंच कर,
उस राह के दोनों तरफ,
जिस पर चल मैं
यहाँ तलक पंहुचा हु,
हरियाली गहराई होगी
इससे मुझे सुकूँ मिला
और
जिन्दगी से था जो गिला
वो दिल से दूर हो चला
पाया मैंने
और आज की ज़िंदगी को
चाहे पगडंडी पर कितने भी काँटे
क्यों हो
खुशहाल पाया मैंने
( इमेज: गूगल इमेज से)

March 30, 2011

विश्व कप- क्रिकेट 2011

मोहाली और देश में दीवाली। जी हा, आज मेच जितने की ख़ुशी में सारा देश दिवाली मन रहा है। सभी को बधाई!

March 28, 2011

जरा इसे देखिये!

March 26, 2011

जिंदगी एक गुलाब


जिंदगी एक गुलाब का फूल है

पंखुडिया जिसकी जिंदगी के हर पल है

चारों ओर से जो कांटो से सराबोर है

इसे खूबसूरत समझना क्या एक भूल है?

March 23, 2011

जिंदगी एक पहेली

जिंदगी एक पहेली है,
क्योकि
कल क्या हुआ?
आज क्या हो रहा है ?
कल क्या होगा?
क्यों होगा?
कैसे होगा?
कौन करेगा?
कब करेगा?
कहा करेगा?
कुछ भी तो नहीं पता है हमें
क्योकि जिंदगी एक पहेली है.

March 22, 2011

बेचारा आदमी

March 12, 2011

महाप्रलय




जपान देश बहुत कम समय मे उभरा है। उसे आज नैसर्गिक आपदाओ ने बुरी तरह घेर लिया है।इस तस्वीर को देखने से रोंगटे खड़े हो जाते है।
८.९ रिश्टर का भयंकर भूकंप वहा आया और साथ सुनामी नाम की राक्षस को भी लाया। इस राक्षस ने घर, कारखाने, कारे, ट्रक जो कुछ भी रास्ते में आया उसे अपनी आगोश में समा लिया है। इससे यही साबित होता है दोस्तों की इस ब्रम्हांड में ईश्वर से बड़ा कोई नहीं है। वो कुछ भी कर सकता है। हम चाहे कितना भी बचने की कोशिश करे जब तक वो नहीं चाहता हम बच नहीं सकते।
आज मुझे वो दिन याद आ रहे है जब मै जापान गया था। ओक्टोबर १९९८ में दिवाली की रात, जब दुनिया दिवाली मना रही थी हम मुंबई के हावाई अड्डे पर हवाई जहाज की राह देख रहे थे. रात १२ बजे हम सवार हुए थे.
मुझे मालुम था जापान में हमेशा भूकंप आते है। इसलिए जब हम वहा पहुचे हमें एक ५५ माले की होटल के ४४ वे माले पर एक कमरे में ठहराया गया था। वहा उस माले पर पहुँचाते ही मुझे ऐसा लगाने लगा था की वह ईमारत डौल रही है। डर लगता था। वहा हार जगह लिखा था की भूकंप आये तो लिफ्ट का इस्तेमाल न करे। फिर क्या क
रे तो कमरे में जो कांच की दीवार थी उसे तोड़े उस पर सीढ़िया है उसका इस्तेमाल कर निचे उतारे। मै सोचने लगा की १० सेकण्ड में भूकंप तबाही मचा देता है और ४४ वे माले से नीचे यदि लिफ्ट से जाते है तो २ मिनिट लगते है। पैदल जाने में कितना समय लगेगा। दिल को पक्का कर लिया और यदि भूकंप आता भी है तो मै अपने कमरे से किसी हालत में बहार नहीं जाऊंगा ये ठान ली। हमारा भाग्य की एक महीने में भूकंप नहीं आया।
ईश्वर से प्रार्थना करते है की जापान में भूकंप पीडितो को खुशहाल रखे और जो मृत हुए हो उनकी आत्मा को शांति दे।

March 10, 2011

मेरे ब्लॉग दोस्त


आज जब मैंने अपना ब्लॉग देखा तो पाया मेरे 50 ब्लॉग दोस्त बन गए हैबहुत प्रसन्नता हुईमै आप सभी मित्रो का शुक्रिया अदा करने यहाँ आया हु

आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया!


March 4, 2011

दुखो का दर्द

दुखो का दर्द समझना आसान नही होता
जानना हो अगर तो कांटो पर चल कर देख लो!

February 27, 2011

इंतज़ार



मुझको इंतज़ार है
दिल भी बेक़रार है
वो घडी जल्द ही आएगी
जिससे मुझको प्यार है.

February 23, 2011

नम आँखे


(source: google image)

आँखे है उनकी इतनी नम
बयाँ हो रहे हजारों सीतम,
क्या कहु कैसे कहु
मेरी भी आँखे हुई है नम।

आँखों से आँसू न यूँ बहाओं
कुछ दर्द हम को भी बताओं,
बाटने से होता है दर्द कम
आँखे है उनकी इतनी नम।

धोका दिया हो यार ने
होता है ऐसा प्यार मे,
दिल पे न यु करो सितम
मेरी भी आँखे हुई है नम।

February 21, 2011

अजब जिन्दगी

मेरी अज़ब है ज़िन्दगी
किसी से क्या गिला करू
तक़दीर रुठ जाये तो
मेरे ख़ुदा मै क्या करु
हालात ने नशिब ने
ग़म भर दिये है इस कदर
मंझिलो की कुछ ख़बर
मै कारवा को क्या करू
मिल जाये डुबने से भी आख़िर
तो एक साहील कही
तूफां की है आरज़ू
तूफां की दुआ करू
मंझिल की थी तलाश
तो गर्द ए सफ़र मिली मुझे
आँखे बरस पड़ी मेरी
काली घटा को क्या करू।
(जगजीत सिंह की एक बेहतरीन गझल)

February 18, 2011

मार्ग दर्शन


दर्शन एक सवाल हल नहीं कर पा रहा था। वो बहुत परेशान हो गया। अंत में वह पड़ोस के अंकल के घर गया। अंकल पेपर पढ़ रहे थे। उन्होंने दर्शन को आते देख अपना मुह पेपर के पीछे छुपा लिया। उन्हें उसका बहुत डर लगता था। वह आये दिन उनसे सवाल पूछने आ जाया करता था। न दिन देखता था न रात। आज उनका बिलकुल भी मन नहीं था की उसके सवाल हल कर दे।
लेकिन दर्शन भाई साहब कहा हार मानने वाले थे। वो घर में घुस आया। और बोला अंकल आप बुरा न माने तो मै कुछ पुछु?
हां हां बेटा पूछो। मै क्यों बुरा मानने लगा भला।
दर्शन ने अपना सवाल पूछना सुरु किया। वो कब रुकेगा इसकी राह अब अंकल को देखनी थी।
आखिर वो वक्त आही गया जब दर्शन रुका और अंकल से बोला, अंकल, अब आप इस बारे मुझे मार्ग दर्शन कीजिये।
हा हा जरुर।
जी बताइए।
वो देखो बेटा वो रहा मार्ग याने की रास्ता। उन्होंने दर्शन को घर के दरवाजे की तरफ इशारा किया।
तो? अब दर्शन बोला।
अब उस मार्ग का दर्शन कर लो।
हो गया मार्ग दर्शन। बराबर। और अंकल जोर जोर से हँसाने लगे। हा हा हा हा ................
बेचारा दर्शन छोटा सा चेहरा कर वहा से चलता बना।
(गूगल इमेज)

February 15, 2011

मेरा जन्म दिन

आज १५ फरवरी। मेरा असली जन्म दिन। अरे आप चौक क्यों गए? वाकई में यह मेरा असली जन्म दिन है। ऐसा मै इसलिए कह रहा हु क्योकि माता-पिता को मेरा जन्म दिन याद न होने की वजह से स्कुल में मेरा जन्म दिन १ जून डाल दिया था। आपको आश्चर्य होगा हमारे घर में सभी का जन्म दिन १ जून है। इतना ही नहीं मेरी ससुराल में भी यही है। अजी इतना ही नहीं सभी घरो में १ जून ही जन्म दिन होता है। कारण माता पिता की अशिक्षा। पहले के ज़माने में हम इतने प्रगत नहीं थे। वो तो बाद में ढूंढ़ निकाला वो भी गाव के पालिका कार्यालय से। उन्हें धन्यवाद देना चाहिए की उन्होंने इतना पुराना रेकोर्ड संभल कर रखा।

मेरी बेटी

दोस्तों, हमें एक बेटी ही है। इस साल वह एम् एस सी ( केमिस्ट्री) के अंतिम वर्ष में है। मेरा तबादला पुना में हुआ और मैने परिवार सहित पूना में रहने की सोच ली। उसे यहाँ एक अच्छे से कोलेज में दाखिला मिल गया। पिचले हप्तेसे उसके कोलेज में इंटर नेशनल केमिस्ट्री इयर मनाया गया। कुछ प्रतीयोगीतये हुई। पोस्टर कोम्पी टी शन मी उसने भाग लिया। सौभाग्य से मै पालक सभा में हिस्सा लेने गया था उसी समय उस प्रति योगिता का रिजल्ट डिक्लेअर किया गया। मेरे ही सामने मेरी बेटी को पहिला पुरस्कार मिला।मुझे बहुत ही आनंद हुआ। मन प्रफुल्लित हुआ। मुझे मेरी बेटी पर गर्व हुआ।
मैंने सोचा अपना आनद आपसे शेअर करू इसलिए यहाँ यह पोस्ट लिखी.

February 12, 2011

आँखे

( गूगल इमेज)
कितनी खुबसूरत है ये आँखे
जो इस हँसी चहरे पर चार चाँद लगा देती है
कितनी खुबसूरत है ये आँखे
जो आसमाँ में हँसी चाँद दिखाती है
ये हँसी दुनिया,
ये सौदर्य से लदी धरती
ये नीला आसमाँ
ये खुबसूरत जहाँ
हमें दिखलाती है
कितनी खुबसूरत है ये आँखे
लेकिन हम इन्हें महज एक अँग समझ बैठते है
हमें इनका महत्त्व महसूस ही नहीं होता
वो तो उनसे पूछिए
जिन्हें ऊपरवाला
ये दो खुबसूरत मोती
ये दो आँखे देना भूल जाता है
वे जो इन आँखों को देख नहीं सकते
वे ही जानते है
कितनी खुबसूरत होती है ये आँखे



February 8, 2011

अकेलापन


जाने किस बात की सजा देते हो मुझे ?
हे प्रभु
मैंने ऐसा क्या गुनाह किया है?
मेरे अपने क्यों मुझसे खफा है?
अब तो ये अकेलापन काटने लगा है
मुझे ऐसा लगता है
जैसे

इस धरती पर मै अकेला ही
जीव रह गया हु
अब मुझसे बर्दास्त नहीं होता
हे प्रभु
ये
अकेलापन
क्यों रूठ गयी हो तुम मुझसे
बताओ मुझे बताओ
मेरा क्या गुनाह है
इस तरह चुपचाप रहो
तुम कुछ तो कहो
मै पागल हो जाऊंगा अब
ना सताओ मुझे
हे प्रभु आप ही कुछ करो
उसे समझाओ
हे प्रभु ।

February 6, 2011

जिंदगी एक सागर है

(सोर्स :गूगल इमेज)

जिंदगी एक सागर है

हम उसकी एक गागर है

उपरवाला पैदा कर

हर क्षण इस गागर में

एक एक बूंद जीवन के टपकाता रहता है

और

जब यह गागर भर जाती है

वो उसे फोड देता है

फर्क बस इतना है दोस्तों की

कौनसी गागर कब भरनी है

और

उसे कब फोडना है

यह उपरवाले की मर्जी पर

निर्भर करता है ।
हम तो बस एक गागर भर है।