आज निंद आंखो से कोसो दूर है. करवटे बदलते बदलते थक गया और अचानक मन बहक गया. फिर सुझी ये चंद लाईने. बिस्तर उठ सिद्ध कम्प्युटर पे आ गया और यहा आपकी खिदमत में ओ लाईने पेश करा रहा हु. अभी रात के २ बज रहे है.
घनी जुल्फो से झांकता
उनका चेहरा देख
लगता है
जैसे
चांदनी रात में
घने बादलो के पीछे से
चांद झांक रहा हो
6 comments:
क्या बात, बढिया है
बहुत बहुत धन्यवाद!
julfe hmesha yaad aati hai
madhu tripathi
kavyachitra.blogspot.com
bhut sundra rachana hai.
Wah!!
मधुजी,इतिकाजी और सारिकाजी आप सभी को धन्यवाद.
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