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September 18, 2011

चांद जैसा चेहरा

आज निंद आंखो से कोसो दूर है. करवटे बदलते बदलते थक गया और अचानक मन बहक गया. फिर सुझी ये चंद लाईने. बिस्तर उठ सिद्ध कम्प्युटर पे आ गया और यहा आपकी खिदमत में ओ लाईने पेश करा रहा हु.  अभी रात के २ बज रहे है.
 

घनी जुल्फो से झांकता 
उनका चेहरा देख
 लगता है
जैसे 
चांदनी रात में 
घने बादलो के पीछे से 
चांद झांक रहा हो 

6 comments:

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

क्या बात, बढिया है

रविंद्र "रवी" said...

बहुत बहुत धन्यवाद!

Madhu Tripathi said...

julfe hmesha yaad aati hai
madhu tripathi
kavyachitra.blogspot.com

KULDEEP SINGH said...

bhut sundra rachana hai.

सारिका मुकेश said...

Wah!!

रविंद्र "रवी" said...

मधुजी,इतिकाजी और सारिकाजी आप सभी को धन्यवाद.