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February 12, 2011

आँखे

( गूगल इमेज)
कितनी खुबसूरत है ये आँखे
जो इस हँसी चहरे पर चार चाँद लगा देती है
कितनी खुबसूरत है ये आँखे
जो आसमाँ में हँसी चाँद दिखाती है
ये हँसी दुनिया,
ये सौदर्य से लदी धरती
ये नीला आसमाँ
ये खुबसूरत जहाँ
हमें दिखलाती है
कितनी खुबसूरत है ये आँखे
लेकिन हम इन्हें महज एक अँग समझ बैठते है
हमें इनका महत्त्व महसूस ही नहीं होता
वो तो उनसे पूछिए
जिन्हें ऊपरवाला
ये दो खुबसूरत मोती
ये दो आँखे देना भूल जाता है
वे जो इन आँखों को देख नहीं सकते
वे ही जानते है
कितनी खुबसूरत होती है ये आँखे



11 comments:

संजय भास्‍कर said...

ये नीला आसमाँ
ये खुबसूरत जहाँ
हमें दिखलाती है
कितनी खुबसूरत है ये आँखे
बहुत सुन्दर शब्द चुने आपने कविताओं के लिए..

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों....बेहतरीन भाव....खूबसूरत कविता...

संजय भास्‍कर said...

हमेशा की तरह आपकी रचना जानदार और शानदार है।

रविंद्र "रवी" said...

संजयजी,बस यु ही कुछ सूझ गया सो लिख दिया!

रश्मि प्रभा... said...

bahut hi achhi dil ko chhuti rachna

रविंद्र "रवी" said...

बहुत बहुत शुक्रिया रश्मिजी!

वृक्षारोपण : एक कदम प्रकृति की ओर said...

मैं वृक्ष हूँ। वही वृक्ष, जो मार्ग की शोभा बढ़ाता है, पथिकों को गर्मी से राहत देता है तथा सभी प्राणियों के लिये प्राणवायु का संचार करता है। वर्तमान में हमारे समक्ष अस्तित्व का संकट उपस्थित है। हमारी अनेक प्रजातियाँ लुप्त हो चुकी हैं तथा अनेक लुप्त होने के कगार पर हैं। दैनंदिन हमारी संख्या घटती जा रही है। हम मानवता के अभिन्न मित्र हैं। मात्र मानव ही नहीं अपितु समस्त पर्यावरण प्रत्यक्षतः अथवा परोक्षतः मुझसे सम्बद्ध है। चूंकि आप मानव हैं, इस धरा पर अवस्थित सबसे बुद्धिमान् प्राणी हैं, अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि हमारी रक्षा के लिये, हमारी प्रजातियों के संवर्द्धन, पुष्पन, पल्लवन एवं संरक्षण के लिये एक कदम बढ़ायें। वृक्षारोपण करें। प्रत्येक मांगलिक अवसर यथा जन्मदिन, विवाह, सन्तानप्राप्ति आदि पर एक वृक्ष अवश्य रोपें तथा उसकी देखभाल करें। एक-एक पग से मार्ग बनता है, एक-एक वृक्ष से वन, एक-एक बिन्दु से सागर, अतः आपका एक कदम हमारे संरक्षण के लिये अति महत्त्वपूर्ण है।

रविंद्र "रवी" said...

धन्यवाद! आपने वृक्षारोपण के लिए जो कदम उठाया है वह वाकई काबीले-तारीफ है.मै खुद इसके लिए बहुत कुछ लिखता आया हू. और जहा हो सका वृक्षारोपण किया. करता रहूँगा.

Anonymous said...

वे जो इन आँखों को देख नहीं सकते
वे ही जानते है
कितनी खुबसूरत होती है ये आँखे

Santosh Pidhauli said...

वे जो इन आँखों को देख नहीं सकते
वे ही जानते है
कितनी खुबसूरत होती है ये आँखे

रविंद्र "रवी" said...

बहुत बहुत शुक्रिया संतोषजी!