जाने किस बात की सजा देते हो मुझे ?
हे प्रभु
मैंने ऐसा क्या गुनाह किया है?
मेरे अपने क्यों मुझसे खफा है?
अब तो ये अकेलापन काटने लगा है।
मुझे ऐसा लगता है
जैसे
इस धरती पर मै अकेला ही
जीव रह गया हु।
अब मुझसे बर्दास्त नहीं होता
हे प्रभु
ये अकेलापन।
क्यों रूठ गयी हो तुम मुझसे
बताओ मुझे बताओ।
मेरा क्या गुनाह है।
इस तरह चुपचाप न रहो
तुम कुछ तो कहो
मै पागल हो जाऊंगा अब
ना सताओ मुझे।
हे प्रभु आप ही कुछ करो
उसे समझाओ
हे प्रभु ।
हे प्रभु
मैंने ऐसा क्या गुनाह किया है?
मेरे अपने क्यों मुझसे खफा है?
अब तो ये अकेलापन काटने लगा है।
मुझे ऐसा लगता है
जैसे
इस धरती पर मै अकेला ही
जीव रह गया हु।
अब मुझसे बर्दास्त नहीं होता
हे प्रभु
ये अकेलापन।
क्यों रूठ गयी हो तुम मुझसे
बताओ मुझे बताओ।
मेरा क्या गुनाह है।
इस तरह चुपचाप न रहो
तुम कुछ तो कहो
मै पागल हो जाऊंगा अब
ना सताओ मुझे।
हे प्रभु आप ही कुछ करो
उसे समझाओ
हे प्रभु ।
10 comments:
kaafi achhi rachna
मैंने ऐसा क्या गुनाह किया है?
मेरे अपने क्यों मुझसे खफा है?
"ला-जवाब" जबर्दस्त!!
वसंत पंचमी की ढेरो शुभकामनाए
कुछ दिनों से बाहर होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
माफ़ी चाहता हूँ
शुक्रिया रश्मिजी!
आभारी हू संजयजी!
आपको भी हमारी तरफ से ढेर सारी शुभ कामनाये संजय जी!
sunder abhivyakti hai ek akela hi is dard ko achchi tarah samajh sakta hai...
good
शुक्रिया विभाजी!
विभाजी, आपने हमारे यहाँ आकर कुछ पल बिताए और हमारे फोलोअर बन गए आपका तहेदिल से शुक्रिया!
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