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November 14, 2011

खालीपन

एक हसीं लम्हा
जो 
लाया  था मेरे लिए
सारे जहाँ की खुशियाँ
अगले ही पल
खत्म हो गया
और
मुझे रोता बिलखता
छोड गया
इस अँधेरे जीवन में
जो
खालीपन से भरा है. 
( 6/12/1987 को लिखी मेरी एक कविता)

13 comments:

Prabodh Kumar Govil said...

aapki kavita samajh me nahi aai. jo lamha diye ki tarah pachchees saal baad bhi aapke dil me jagmagaa raha hai, vah aapko akela kahaan chhod gaya?

वाणी गीत said...

ख़ुशी की उम्र कितनी भी छोटी हो , जीवन भर के लिए काफी है !

***Punam*** said...

कभी कभी खालीपन भी जरूरी होता है जिन्दगी में....!!

इस बात को सकारात्मक रूप में लें...

सारिका मुकेश said...

Hard Fact of Life!!
Very Well Expressed!!!!

कुमार संतोष said...

bahut sunder...

रविंद्र "रवी" said...

ठीक कहा आपने!

रविंद्र "रवी" said...

पुनमाजी, सकारात्मक भाव ही जिंदगी जीने में सहाय्यक होता है.

रविंद्र "रवी" said...

धन्यवाद सारिकाजी.

रविंद्र "रवी" said...

शुक्रिया संतोषजी.

Randhir Singh Suman said...

nice

रविंद्र "रवी" said...

thanks Sumanji!

Amarya.S said...

beautiful poems sir...keep up...
stay blessed..

Shilpa amarya said...

beautiful..and very true sir..