पथ अगम मेरा
लक्ष्य अबोध है
नहीं है जो मंजिल मेरी
उसी की तलाश में
भटक रहा हु मै!!
एक बूंद प्यार की
जो प्यास बुझाएगी मेरी
अज्ञात है जो
उसी सुराही की तलाश में
भटक रहा हु मै!!
शांति मिले, छाया मिले
अपना कोई मिले मुझे
जो न मालुम
उसी वृक्ष की तलाश में
भटक रहा हु मै!!
11 comments:
bahut sunder abhivyakti
dhanyawaad
आपका बहुत बहुत धन्यवाद विरेन्द्रजी!
शायद ये तलाश सबकी है.....
सुन्दर अभिव्यक्ति...!!
आभार पुनमजी!!!!
बहुत बढिया।
बहुत बढिया।
शुक्रिया निशाजी!
chhan ahe kavita!!
- jivanika
good
बहुत सुंदर
Dhanyavad
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