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August 4, 2011

हम तुम................

मै बाहो मे था तुम्हारी
तुम मेरी बाहो मे थी
मै खोया था तुम मे
तुम मुझ मे खोयी थी 
उलझी हुई  लटे तुम्हारी 
सुलझा रहे थे मेरे हाथ
दिल दिमाग आंखे
सभी खामोश थे पाकर तुम्हारा साथ
मै सपनो मे तुम सपनो मे
मै तुम मे तुम थी मुझमे
खोये खोये थे आपस मे 
हम तुम.
( दोस्तो यह प्रेम कविता मैने ६/११/१९८० को लिखी)

12 comments:

संजय भास्‍कर said...

.शब्दों को चुन-चुन कर तराशा है आपने ...प्रशंसनीय रचना।

S.N SHUKLA said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति , आभार

!!अक्षय-मन!! said...

pyar ho to aisa....pyar se bhari rachna....bas thoda sa font size bada dijiye...

रविंद्र "रवी" said...

शुक्रिया दोस्तो. इसी प्रकार हौसला बढाते रहिये.

smshindi By Sonu said...

बहुत सुंदर रचना ! लाजवाब प्रस्तुती!

आपके पास दोस्तो का ख़ज़ाना है,
पर ये दोस्त आपका पुराना है,
इस दोस्त को भुला ना देना कभी,
क्यू की ये दोस्त आपकी दोस्ती का दीवाना है

⁀‵⁀) ✫ ✫ ✫.
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☻/ღ˚ •。* ˚ ˚✰˚ ˛★* 。 ღ˛° 。* °♥ ˚ • ★ *˚ .ღ 。.................
/▌*˛˚ღ •˚HAPPY FRIENDSHIP DAY MY FRENDS ˚ ✰* ★
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!!मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये!!

फ्रेंडशिप डे स्पेशल पोस्ट पर आपका स्वागत है!
मित्रता एक वरदान

शुभकामनायें

रविंद्र "रवी" said...

Happy friendship day to you too.

Prabodh Kumar Govil said...

oh, san assi me likhi thi ye kavita? tab to aapki premika ab tak boodhi bhi ho gayee hagi. par aap to jawan hain, likhte rahiye.

Ankit pandey said...

sundar prastuti, aabhar.

tips hindi me said...

रविंदर जी,
नमस्कार,
आपके ब्लॉग को "सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगसपाट पोस्ट डाट काम" के "हिंदी ब्लॉग लिस्ट पेज" पर लिंक किया जा रहा है|

रविंद्र "रवी" said...

गोविल साहब,मेरी कोई प्रेमिका नही थी. कवि तो कल्पना मे जिता है साहब. बस यह मेरी एक कल्पना ही थी.

रविंद्र "रवी" said...

अंकित जी शुक्रिया!

रविंद्र "रवी" said...

विनितजी आपने इस नाचीज को अपने ब्लॊग पर एक छोटीसी जगह दी, आपका हमेशा आभारी रहुंगा.