आँखे है उनकी इतनी नम
बयाँ हो रहे हजारों सीतम,
क्या कहु कैसे कहु
मेरी भी आँखे हुई है नम।
आँखों से आँसू न यूँ बहाओं
कुछ दर्द हम को भी बताओं,
बाटने से होता है दर्द कम
आँखे है उनकी इतनी नम।
धोका दिया हो यार ने
होता है ऐसा प्यार मे,
दिल पे न यु करो सितम
मेरी भी आँखे हुई है नम।
बयाँ हो रहे हजारों सीतम,
क्या कहु कैसे कहु
मेरी भी आँखे हुई है नम।
आँखों से आँसू न यूँ बहाओं
कुछ दर्द हम को भी बताओं,
बाटने से होता है दर्द कम
आँखे है उनकी इतनी नम।
धोका दिया हो यार ने
होता है ऐसा प्यार मे,
दिल पे न यु करो सितम
मेरी भी आँखे हुई है नम।
17 comments:
ज़माने की हकीकत बयान करती सुंदर अभिव्यक्ति.
धोका दिया हो यार ने
होता है ऐसा प्यार मे,
दिल पे न यु करो सितम
मेरी भी आँखे हुई है नम।
बहुत सटीक प्रस्तुति..बहुत सुन्दर गज़ल..
हमेशा की तरह शुक्रिया अदा कर रहा हु.
आखरी चार पंक्तियोंमें बहुत कुछ कह दिया है आपने. सुंदर रचना!
bahut achhi rachna
धन्यवाद कांचनजी. आपने हमारी रचना को सराहने के लिये शुक्रिया!
शुक्रिया रश्मिजी!
बहुत सुंदर रचना ..
कभी समय मिले तो http://shiva12877.blogspot.com ब्लॉग पर भी अपने एक नज़र डालें . धन्यवाद .
आँखे है उनकी इतनी नम
बयाँ हो रहे हजारों सीतम,
क्या कहु कैसे कहु
मेरी भी आँखे हुई है नम।...........
सुंदर अभिव्यक्ति.
धोका दिया हो यार ने
होता है ऐसा प्यार मे,
दिल पे न यु करो सितम
मेरी भी आँखे हुई है नम
शिवाजी, भाकुनिजी और पुर्वियाजी आपका बहुत बहुत शुक्रिया!
bahut sunder
धन्यवाद नित्यानंद!
nice one...
Thanks Ajitji!
बढिया है रवीन्द्र जी. बधाई.
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