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February 23, 2011

नम आँखे


(source: google image)

आँखे है उनकी इतनी नम
बयाँ हो रहे हजारों सीतम,
क्या कहु कैसे कहु
मेरी भी आँखे हुई है नम।

आँखों से आँसू न यूँ बहाओं
कुछ दर्द हम को भी बताओं,
बाटने से होता है दर्द कम
आँखे है उनकी इतनी नम।

धोका दिया हो यार ने
होता है ऐसा प्यार मे,
दिल पे न यु करो सितम
मेरी भी आँखे हुई है नम।

17 comments:

संजय भास्‍कर said...
This comment has been removed by the author.
संजय भास्‍कर said...

ज़माने की हकीकत बयान करती सुंदर अभिव्यक्ति.

संजय भास्‍कर said...

धोका दिया हो यार ने
होता है ऐसा प्यार मे,
दिल पे न यु करो सितम
मेरी भी आँखे हुई है नम।
बहुत सटीक प्रस्तुति..बहुत सुन्दर गज़ल..

रविंद्र "रवी" said...

हमेशा की तरह शुक्रिया अदा कर रहा हु.

Kanchan Karai (Mogaraafulalaa) said...

आखरी चार पंक्तियोंमें बहुत कुछ कह दिया है आपने. सुंदर रचना!

रश्मि प्रभा... said...

bahut achhi rachna

रविंद्र "रवी" said...

धन्यवाद कांचनजी. आपने हमारी रचना को सराहने के लिये शुक्रिया!

रविंद्र "रवी" said...

शुक्रिया रश्मिजी!

शिवा said...

बहुत सुंदर रचना ..
कभी समय मिले तो http://shiva12877.blogspot.com ब्लॉग पर भी अपने एक नज़र डालें . धन्यवाद .

पी.एस .भाकुनी said...

आँखे है उनकी इतनी नम
बयाँ हो रहे हजारों सीतम,
क्या कहु कैसे कहु
मेरी भी आँखे हुई है नम।...........
सुंदर अभिव्यक्ति.

Unknown said...

धोका दिया हो यार ने
होता है ऐसा प्यार मे,
दिल पे न यु करो सितम
मेरी भी आँखे हुई है नम

रविंद्र "रवी" said...

शिवाजी, भाकुनिजी और पुर्वियाजी आपका बहुत बहुत शुक्रिया!

Nityanand Gayen said...

bahut sunder

रविंद्र "रवी" said...

धन्यवाद नित्यानंद!

Ajit Pal Singh Daia said...

nice one...

रविंद्र "रवी" said...

Thanks Ajitji!

वन्दना अवस्थी दुबे said...

बढिया है रवीन्द्र जी. बधाई.