Digital Hindi Blogs
December 31, 2010
साल मुबारक
सभी दोस्तों को नए साल की हार्दिक शुभकामनाये। इस अवसर पर मैंने एक कविता इस फोटो पर लिखी है। कविता मैंने ही लिखी है। वह यहाँ पेश कर रहा हु।
December 27, 2010
योगगुरु
मित्रो स्वामी रामदेवजी ने योग के अलावा एक और काम अच्छा और हमारे भले का किया है। वो है हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में आवश्यक चीजे उपलब्ध करना। आज उनके बिस्किट भी उपलब्ध है। हम पिचले करीबन ३ सालो से उनके द्वारा उपलब्ध कराये गए प्रोडक्ट ही इस्तेमाल करते आये है। दन्त कान्ति, स्नान के लिए साबन, केश के लिए सेम्पू, दांतों का ब्रश ये चीजे भी अब उपलब्ध की जाती है। हम ये ही इस्तेमाल करते है। बहुत बढ़िया अनुभव है।
कल मै कुछ सामान खरीदने पर केरी बेग मांगी तो मुझे न्यूज पेपर से बनी एक बेग दी गयी। मै बहुत खुश हुआ। वाकई आज कल के समय में इस तरह पेपर बेग इस्तेमाल करना बहुत जरुरी हो गया है।
December 20, 2010
तनहा
कितने तनहा है हम उनके बिना,
किसी से कह भी नहीं सकते।
ये दुःख
ये दर्द
ये तन्हाई,
सह भी तो नहीं सकते।
या खुदा
कितने बद नशीब है हम,
वो सामने आ जाये तो भी
उसने दर्द- ये-हाल
कह भी नहीं सकते।
November 5, 2010
दीपावली की संध्या पर....
इससे पहले दीपावली के शाम हो जाये
बधइयो का सिलसिला आम हो जाये
भीड़ में शामिल हमारा भी नाम हो जाये
क्यों न दीवाली की राम राम हो जाये
बधइयो का सिलसिला आम हो जाये
भीड़ में शामिल हमारा भी नाम हो जाये
क्यों न दीवाली की राम राम हो जाये
November 4, 2010
October 21, 2010
यादे
यदि हम ५० की उम्र पार कर चुके हो और अचानक बचपन का याने स्कुल के ज़माने का कोई दोस्त मिल जाए तो क्या होता है? जहा तक मुझे लगता है हर किसी को यह अनुभूति आती ही है। ऐसा होने हम पुराने ज़माने में मतलब स्कुल के ज़माने में खो जाते है। हमें बचपन के वो दिन याद आने लगते। और इससे भी बढ़कर एक बात कहना चाहता हु। यदि इस ५० साल की उमर में हमें हमारे स्कुल के टीचर मिल जाए तो सोने पे सुहागा हो जाता है। हम फुले नहीं समाते। और खुद को बच्चा समझने लगते।
इस तस्वीर में बाई तरफ हमारे गणित और भौतिक शास्त्र के टीचर श्री शर्मा सर है और दाहिनी तरफ हमारे रसायन शास्त्र के टीचर श्री रविन्द्र परांजपे सर है।
उनको देख मैंने उमर का हिसाब किया। उन दिनों हम स्कुल में थे तब मुझे याद है दोनों ही सर के बाल सफेदी की तरफ झुके हुए थे। कहने का मतलब ये है की उनकी उम्र तकरीबन ४५ या ५० की होगी जब हम ११ वी कक्षा में थे तब। हम १९७७ में ११ वी पास किये है। आज उस बात को ३३ साल हो चुके है। मतलब दोनों ही सरो की उम्र आज ८० से ऊपर होनी ही चाहिए। मुझे आश्चर्य इस बात है की इस उम्र में ये पुराने लोग कंप्यूटर पर कैसे आये। जबकि मैंने ऐसे जवान लोगो को देखा है जो कंप्यूटर को हाथ लगाने से भी डरते है.
मै अपने आप को धन्य मानता हु की मुझे ऐसे शिक्षक नशीब हुए।
दोस्तों ऐसा ही होता है। जब हमारे सामने ऐसा कोई मिल जाए जो बचपन में हम से बड़ा हो तो ढलती उम्र में भी हम खुद को छोटा समझने लगते है। जैसे बहुत ऊँचे कद वाले इन्सान के सामने नॉर्मल कद वाला कोई इंंसान खड़ा होता है तो वह खुद को बच्चा महसूस करने लगता है।
तो मेरा कहने का मतलब यह है की मुझे फेसबुक पर मेरे स्कुल के कुछ दोस्त और हमारे टीचर मिले और मै फुला न समाया।इस तस्वीर में बाई तरफ हमारे गणित और भौतिक शास्त्र के टीचर श्री शर्मा सर है और दाहिनी तरफ हमारे रसायन शास्त्र के टीचर श्री रविन्द्र परांजपे सर है।
उनको देख मैंने उमर का हिसाब किया। उन दिनों हम स्कुल में थे तब मुझे याद है दोनों ही सर के बाल सफेदी की तरफ झुके हुए थे। कहने का मतलब ये है की उनकी उम्र तकरीबन ४५ या ५० की होगी जब हम ११ वी कक्षा में थे तब। हम १९७७ में ११ वी पास किये है। आज उस बात को ३३ साल हो चुके है। मतलब दोनों ही सरो की उम्र आज ८० से ऊपर होनी ही चाहिए। मुझे आश्चर्य इस बात है की इस उम्र में ये पुराने लोग कंप्यूटर पर कैसे आये। जबकि मैंने ऐसे जवान लोगो को देखा है जो कंप्यूटर को हाथ लगाने से भी डरते है.
मै अपने आप को धन्य मानता हु की मुझे ऐसे शिक्षक नशीब हुए।
October 20, 2010
वाह री जिंदगी
हाय री जिंदगी
तू क्या क्या रंग दिखाती है,
कभी ख़ुशी से झुलाती है
कभी गम भी दे देती है।
वाह री जिंदगी
तू क्या क्या रंग दिखाती है।१।
तू क्या क्या रंग दिखाती है,
कभी ख़ुशी से झुलाती है
कभी गम भी दे देती है।
वाह री जिंदगी
तू क्या क्या रंग दिखाती है।१।
October 17, 2010
हेप्पी दसरा
May this Dasara,
light up for you.
The hopes of Happy times,
And dreams for a year full of smiles!
light up for you.
The hopes of Happy times,
And dreams for a year full of smiles!
Wish you Happy Dasara.
October 11, 2010
October 8, 2010
कोमनवेल्थ गेम्स
नवरात्री की शुभकामनाएँ
October 6, 2010
वापसी
मित्रों मेरा तबादला नाशिक से पुना में हुआ है। पिचले तिन महीनो से मै पूना में हू। पहले अकेले ही रहने की सोच थी लेकिन अकेले रहना मुमकिन न हो सका। बाहर का खाना बिलकुल भी नहीं भाया। सो एक ही महीने में मैंने अपनी फेमिली को पूना में शिफ्ट कर लिया। किराये के फ्लेट में रह रहे है। बहुत महंगे है यहाँ पूना में। किराया तो कमर तोड़ देता है।
यहाँ आने से मेरा ब्रोडबेंड कनेक्शन बंद हो गया। यहाँ नए शीरे से नया कनेक्शन लेना पडा। टेलीफोन तो जल्द मिल गया। लेकिन नेट कनेक्शन में काफी वक्त लग गया। कल ही कनेक्शन शुरू हुआ है। आज पहली पोस्ट दाल रहा हू।
बीते दिनों मै बहुत ही मिस कर रहा था। कुछ अजीब सा लग रहा था।
तब महसूस हुआ की इंटरनेट के हम कितने आदि हो गए है?
खैर अब मै जब भी मुनासिब हो जरू आप सब की खिदमत में हाजिर होता रहूंगा।
धन्यवाद!!!
यहाँ आने से मेरा ब्रोडबेंड कनेक्शन बंद हो गया। यहाँ नए शीरे से नया कनेक्शन लेना पडा। टेलीफोन तो जल्द मिल गया। लेकिन नेट कनेक्शन में काफी वक्त लग गया। कल ही कनेक्शन शुरू हुआ है। आज पहली पोस्ट दाल रहा हू।
बीते दिनों मै बहुत ही मिस कर रहा था। कुछ अजीब सा लग रहा था।
तब महसूस हुआ की इंटरनेट के हम कितने आदि हो गए है?
खैर अब मै जब भी मुनासिब हो जरू आप सब की खिदमत में हाजिर होता रहूंगा।
धन्यवाद!!!
September 4, 2010
नेकी कर और....
आयुष अपनी स्कुल से घर आ रहा था। रास्ते में उसे एक अंकल मिले। उन्होंने उसे कहा बेटा तुम घर जा रहे हो तो ज़रा यह सामान आंटी को दे देना। आयुष ने वह थैला ले लिया और घर की तरफ चलता बना। रास्ते में एक दरिया लगता है। उसे पार किये बगैर वह घर नहीं जा सकता था। सामान उठा कर वह थक गया था। इसलिए कुछ पल दरिया किनारे बैठ कर सोच रहा था। इतने में उसके बाबूजी वहा से घर जाने लगे। उन्होंने उसे वहा बैठा देखा और घबरा गए। उससे पूछा और घर चलो कहा। वह उठा और अपने बाबूजी के पीछे चल दिया। अचानक उसे क्या हुआ पता नहीं। उसने वह सामान दरिया में फेक दिया।
बाबूजी ने पलट पूछा बेटा वह झोला काहे फेका?
पिताजी आज ही हमें स्कुल में पढ़ाया गया की नेकी कर और दरिया में डाल।
तो
मैंने अंकल का सामान लाया मतलब नेकी की और यहाँ दरिया दिखाई दिया सो उस नेकी को दरिया में फेक दिया। क्या गलत किया मैंने।
बाबूजी ने अपना शिर पकड़ लिया।
बाबूजी ने पलट पूछा बेटा वह झोला काहे फेका?
पिताजी आज ही हमें स्कुल में पढ़ाया गया की नेकी कर और दरिया में डाल।
तो
मैंने अंकल का सामान लाया मतलब नेकी की और यहाँ दरिया दिखाई दिया सो उस नेकी को दरिया में फेक दिया। क्या गलत किया मैंने।
बाबूजी ने अपना शिर पकड़ लिया।
August 29, 2010
ये भी कोई जिना है जॊनी
जब से मै पुना शहर मे बदली से आया हु जिना दुभर हो गया सा महसुस हो रहा है. पुछिये क्यो? अजी क्या बताऊ! कुछ लिख नही पाता कुछ पढ नही पाता. अजी ब्रोड्बेन्ड जो नही है घर मे. पिछले एक साल से इन्टर्नेट मे इतना उलझ गया हु कि जिन्दगी सुलझ गयी सी लगने लगी है. अब कही असली जिन्दगी जी रहा सा महसुस करने लगा था कि वो क्या कहते है करमजली बदली हो गयी. बी एस एन एल मे अर्जी दी है लेकिन एक महिना लगेगा ऐसा कहा जाता है. वो तो अच्छा हुआ की जी.पी.आर.एस. सुरु है. थोदा बहुत कर पाता हु. वरना मेरा क्या होता भगवान जाने.
ईश्वर से प्रार्थना है की ब्रोड्बेन्ड कनेक्शन जल्द मिल जाये.
ईश्वर से प्रार्थना है की ब्रोड्बेन्ड कनेक्शन जल्द मिल जाये.
August 15, 2010
July 20, 2010
शायद
शायद,
रोज रात चाँद आँसमाँ से तुम्हे देखता है,
और
तुम्हारी खुबसुरती की रोशनी से अपनी आँखे चुरा लेता है,
शायद,
उसे डर लगता है
कही दुनियावाले तुम्हे ही चाँद न समझ बैठे
शायद
इसी डर से वो हौले हौले छुपता है
और
एक दिन पुरी तरह लुप्त हो जाता है
शायद
उसी रात को अमावस की रात कहते है.
और फिर
जब सभी तारें आँसमाँ में
एक होकर उसे समझाते है
वो हौले हौले झाँक झाँक कर तुम्हे निहारता है
और
जब उसका डर दुर हो जाता है
वह पुरी तरह आँसमाँ में छा जाता है
शायद उसी रात को
लोग पुनम की रात कहते है.
रोज रात चाँद आँसमाँ से तुम्हे देखता है,
और
तुम्हारी खुबसुरती की रोशनी से अपनी आँखे चुरा लेता है,
शायद,
उसे डर लगता है
कही दुनियावाले तुम्हे ही चाँद न समझ बैठे
शायद
इसी डर से वो हौले हौले छुपता है
और
एक दिन पुरी तरह लुप्त हो जाता है
शायद
उसी रात को अमावस की रात कहते है.
और फिर
जब सभी तारें आँसमाँ में
एक होकर उसे समझाते है
वो हौले हौले झाँक झाँक कर तुम्हे निहारता है
और
जब उसका डर दुर हो जाता है
वह पुरी तरह आँसमाँ में छा जाता है
शायद उसी रात को
लोग पुनम की रात कहते है.
July 16, 2010
सपनों की परी
सपनो की परी
कल रात मैने देखा एक सपना,
तब मैने पाया वहा कोई नही है अपना.
मगर अचानक, मेरे पास एक परी आई
लहराती जुल्फे, झील सी गहरी आंखे
और
मदमस्त निगाहे मैने अपनी ओर ही पायी.
सोच रहा था मै कौन है ये हसीना?
सोचते सोचते ही छुट गया मुझको पसीना!
और नजदीक आयी तो धुंदला सा चेहरा मुझे नजर आया,
क्या बताऊ मै मैने सपने मे तुम्ही को पाया.
तुम हो की मेरे दिल-ओ-दिमाग पे छायी हुई हो,
लेकिन जब से तुम पराई हुई हो,
मेरा दिल इस बात को मानने को तैयार ही नही
बहुत समझाता हु उसे मगर वो समझता ही नही
समझता ही नहीसमझता ही नही.
कल रात मैने देखा एक सपना,
तब मैने पाया वहा कोई नही है अपना.
मगर अचानक, मेरे पास एक परी आई
लहराती जुल्फे, झील सी गहरी आंखे
और
मदमस्त निगाहे मैने अपनी ओर ही पायी.
सोच रहा था मै कौन है ये हसीना?
सोचते सोचते ही छुट गया मुझको पसीना!
और नजदीक आयी तो धुंदला सा चेहरा मुझे नजर आया,
क्या बताऊ मै मैने सपने मे तुम्ही को पाया.
तुम हो की मेरे दिल-ओ-दिमाग पे छायी हुई हो,
लेकिन जब से तुम पराई हुई हो,
मेरा दिल इस बात को मानने को तैयार ही नही
बहुत समझाता हु उसे मगर वो समझता ही नही
समझता ही नहीसमझता ही नही.
July 11, 2010
जिंदगी एक ..............
जिंदगी एक सफर है
आज यहां कल वहां
परसो कही और है।
जिंदगी एक गाना है,
प्यार से गाओ
तो लगता सुहाना है।
जिंदगी एक मिल्कीयत है
जीसका कोई मोल नही
यही इसकी खासियत है।
आज यहां कल वहां
परसो कही और है।
जिंदगी एक गाना है,
प्यार से गाओ
तो लगता सुहाना है।
जिंदगी एक मिल्कीयत है
जीसका कोई मोल नही
यही इसकी खासियत है।
July 1, 2010
तारे जमी पर
जब तुम आती हो जाने मन मेरे द्वारे
बहारे खिल उठती है
फूल अपनी महक बिखुरते है
तारे ज़मी पर आ जाते है
और अचानक मेरे आंगन में
चाँद उतर आता है।
मानो
मुझसे मुस्कराते हुए कह रहा हो,
मेरे दोस्त,
तुम खुशनसीब हो
तुम्हे इतना खुबसूरत साथी
जो मिला है,
मै तो बदनसीब हु
मुझे तो हमेशा रजनी के साथ ही रहना होता है।
रजनी,
जिसके आते ही
चारो तरफ अँधेरा छा जाता है
और उस अँधेरे को
अपनी खूबसूरती से
मै दूर करने की कोशिश करता हु,
मेरे साथी आसमान से
चार चाँद लगाने की कोशिश करते है,
मगर वो ( तारे) ज़मी पर उतर नहीं पाते.
June 13, 2010
यह तृष्णा नहीं बुझेगी.
यह तृष्णा अब नहीं बुझेगी,
कभी नहीं बुझेगी यह तृष्णा अब।
चाहे जो भी हो जाए,
धरती फट जाए,
या सुखा पड़ जाए,
चाहे वो भूखो मर जाए,
यह तृष्णा अब नहीं बुझेगी।
हां मै सिर्फ धन का प्यासा हु
धान का नहीं,
मेरी प्यास सिर्फ धन के लिए है,
इसलिए जब तक मेरा मन न भर जाए
मै धन कमाना चाहता हु,
हां मै आखिरी दम तक सिर्फ धन कमाना चाहता हु।
यही मेरी मंजिल है।
यही मेरी प्यास है,
और यह प्यास यह तृष्णा मरते दम तक नहीं बुझाने वाली।
( दोस्तों आज हर कोई धन दौलत कमाने के पीछे पड़ा है। चाहे कुछ भी हो जाए उसे तो बस धन दौलत चाहिए। इसी विषय पर आधारित यह आज की मेरी कविता आपकी खिदमत में पेश है।)
रविन्द्र 'रवि' १३ जून २०१०
June 12, 2010
उनकी बाते
मेरा तबादला नाशिक शहरसे पुना शहर मी हो गया है। बस कुछ दिनो बाद मी पुना शहर चला जाउंगा। इसलिए शायद ब्लॉग पर जादा न लिख पाऊ। आज अपनी पुराणी किताबे खोज रहा था जिसमे मुझे एक गुटका मिला। आप लोग जानते होंगे की गुटका छोटी किताब को कहते है। मुझे कुछ अच्छी चीजे संभल रखने की बचपन से ही आदत है। यह छोटीसी किताब गोपीकृष्ण व्यास नाम के किसी लेखक ने लिखी है। बहुत ही अच्छी है इसलिए मैंने संभल राखी है।
मै चाहता हु उन्होंने लिखी बाते आपसे शेअर करू।
तो आज का उस किताब का पहला पन्ना यहाँ पेश कर रहा हूँ
" मुझे मत छेड़ो। "
मै शांत सुषुप्त अपनी पर्ण कुटी में
नूतन विश्व को जन्म देकर उसे संस्कार दे रहा हूँ,
उसके शैशव को पवित्र कर्म का यौवन दान देने दो,
उपरांत प्रकृति के पारावार के भी परे चला जाउंगा।
अभी मत छेड़ो मुझे।
May 31, 2010
कल क्या होगा किसको पता
दोस्तों दुनिया की जनसँख्या बहुत ही गतिसे बढ़ रही है। आज मुझे गूगल पर एक बहुत ही सुन्दरसी लिंक मिली जिसमे हम दुनियाभर के देशो की जनसँख्या की तुलना कर सकते है। यहाँ क्लिक करे
१९६० से २००८ तक की जनसँख्या का ब्यौरा इसमे दिखाई देता है। कौनसे देश दुनिया की जनसँख्या को बढ़ने में अच्छी तरह साथ दे रहे है ? आप खुद ही देख सकते। १९६० में हमारे देश की जनसँख्या थी ४३ करोड़ ४८ लाख जबकि २००८ में वह बढ़कर हो गई है तकरीबन ११४ करोड़। मतलब पिछले ४८ सालो में हमारी जनता में करीबन ७४ करोड़ का इजाफा हुआ है। साल में १.५० करोड़। क्या बात है दोस्तों। इसी गति से बढ़ोतरी होती रही तो हमारी धरती पर माफ करे हमारे देश में हमें खड़े रहने के लिए भी जगह मिल सकेगी या नहीं पता नहीं। कोई बात नहीं।
दूसरी तरफ हमारे देश की पर केपिटा इनकम भी बढ़ गयी है। २००९-१० में वह रु। ४४, ३४५/- इतनी हो गयी है।
महंगाई में भी इजाफा हो रहा है। मतलब सब तरफ से बढ़ोत्तरी ही हो रही है। बधाई हो भाइयो।
मै कई सालो से ये सोचता रहता हु की हम १९६० से पहले यानी की पीछे जाए तो जनसँख्या कम कम होती दिखेगी। लेकिन भारत के इतिहास को देखे तो इस धरती पर कई युध्द हो चुके है। जैसे की महाभारत का युध्द, झंशी की लढाई, पानीपत की लड़ाई। इन युध्दो में लाखो लोग मरे गए। महाभारत में तो बहुत सरे लोग मरे गए थे। मै बार बार सोचता हु की यदि इन पुराने दिनों में ये युध्द न हुए होते और लाखो लोग मर न जाते, तो आज ही हमारे इस देश की जनसँख्या कितनी होती। क्योकि उन दिनों एक आदमी को १०० बच्चे भी हुआ करते थे। अनेक बीबियाँ होती थी। जरा सोचिये यदि ऐसा हुआ होता तो आज हमें खड़े रहने को भी जगह नहीं मिल पाती!
हो सकता है आगे चलकर जनसँख्या बढ़ने से इंसान चाँद पर जगह बना कर रह ले। लेकिन आज यदि जनसँख्या जादा होती तो हमारा क्या होता?
खैर, यह तो एक कल्पना है। लेकिन कल क्या होगा किसी ने नहीं देखा है.
( फोटो साभार-http://www.all-about-india.com/index.हटमल)
May 22, 2010
लाईफ है तो...............
लाईफ है तो वाईफ है,
वाईफ है तो ही लाईफ,
ये जिंदगी बस एक नाईफ है।
वाईफ है तो लाईफ है,
लाईफ है तो ही वाईफ है,
ये जिंदगी एक खतरनाक नाईफ।
वाईफ है तो ही लाईफ,
ये जिंदगी बस एक नाईफ है।
वाईफ है तो लाईफ है,
लाईफ है तो ही वाईफ है,
ये जिंदगी एक खतरनाक नाईफ।
May 20, 2010
हरियाली
हरियाली अब नजर नहीं आती
हर तरफ सिर्फ वीरानी ही वीरानी है
जंगल भी वीरान हो चले है
इंसानों के दिल भी अब वीरान हो गए है।
इसीलिये दोस्तो ग्लोबल वार्मिंग का कहर जारी है। जम्मू का तापमान ४५ डिग्री तक पाहूच गया है। मतलब अब थर्मामिटर का पारा हिमालय की गोद तक पहूचं गया है। लेकिन हम है के सुधारने का नाम ही नही लेते. ना बिजली की बचत, ना ही पानी की बचत, ना जंगल से प्रेम ना ही धरती माता से प्यार! क्या हो गया है इस इंसान को?
खैर इस झुलसती गर्मी में कम से कम आँखों को हरियाली या बर्फ नजर आ जाए तो शरीर में ठंडक फैल जाती है. डूबते को तिनके का सहारा यु ही नहीं कहा है किसी ने। तो आइये इन ठंडक भरी तस्वीरों का निरिक्षण करे और सिहरन महसूस करे। घबराए नहीं इसमें कोई मिलावट नहीं है।
May 19, 2010
एक बेहतरीन एसएमएस
A BIRD SITTING ON A TREE HASN'T AFRAID OF THE BRANCH SHAKING OR BREAKING, BECAUSE BIRD TRUST NOT THE BRANCHES BUT ITS OWN WINGS! BELIEVE IN YOURSELF & GET READY TO FLY।
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May 16, 2010
एक सुंदर कला
दोस्तो कला बहुत बडी चीज है. यह हर किसी के बस की बात नही होती. आज युही ओर्कुट पर विजिट कर रहा था तो हमारे दोस्त समीर लाल के प्रोफाईल पर एक कलाकार ने तयार की हुई कलाकारी दिखाई दी.भगवान गणेश जी का चित्र है. डिजीटल चित्रकारी है. आप लोगो को जरूर पसंद आयेगी.
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May 15, 2010
याद उनकी आती है जिंदगी भर.
April 30, 2010
मुझे मत सताओ
(दोस्तों मेरी दि ११/०८/१९९६ को लिखी एक कवीता यहाँ आपकी खिदमत में पेश कर रहा हुं। अच्छी लगे तो अपनीप्रतिक्रियाये जरुर देना। मुझे अच्छा लगेगा। और इससे लिखने वलेका हौसला भी बढ़ता है। आभार! )
मुझे मत सताओं ऐ दुनियावालों
मै पहले से ही बहुत परेशाँ हूँ
ज़िन्दगी से हैराँ हूँ
मुझे ही क्यों मिले है ये सारे ग़म
क्याँ अब भी बाक़ी है देना
मुझे कुछ सितम
क्याँ भर डालोगे मेरी झोली
इन गमों से
मत परेशाँ करो मूझे
ऐ दुनियावालों मै पहले से ही परेशाँ हूँ
ज़िन्दगी से हैराँ हूँ।
April 25, 2010
घर किराए पर देना है!!!
April 22, 2010
ज्वालामुखी
दोस्तों पि छ ले कुछ दिनों से हम करीबन रोजाना टी.व्ही. में ज्वालामुखी पर खबरे देख रहे है। भर में हलचल मचा देने वाला यह ज्वालामुखी है। दुनियाभर की विमान सेवा बंद कर देनेवाला यह ज्वालामुखी। वो भी ऐसी जगह पर निकला है जहा चारो तरफ सिर्फ बर्फ ही बर्फ है। iceland में। कमाल है न उसकी।
इस ज्वालामुखी की कुछ तस्वीरे यहाँ दे रहा हु।
April 19, 2010
क्यो इतनी पथ्थर दिल हो तुम?
फुल सी नाजूक हो तुम,
शहद जैसी मिठी हो तुम,
तकदीर यदी साथ न दे तो
कांटो की चुभन हो तुम,
जिंदगी के शुभ नाम से
दुनिया में पहचानी जाती हो तुम॥ १॥
सबकी आंखो की चमक हो तुम ,
सबकी सांसो की लय हो तुम,
सांस यदी साथ न दे
तो दिल की एक चुभन हो तुम
जिंदगी के शुभ नाम से
दुनिया में पहचानी जाती हो तुम॥ २ ॥
गरीबो की राहो के कांटे हो तुम,
अमिरो के घरो की शोभा हो तुम,
सबको जीवन में सुख चैन न देती,
क्यो इतनी पथ्थर दिल हो तुम,
जिंदगी के शुभ नाम से
दुनिया में पहचानी जाती हो तुम॥ ३ ॥
शहद जैसी मिठी हो तुम,
तकदीर यदी साथ न दे तो
कांटो की चुभन हो तुम,
जिंदगी के शुभ नाम से
दुनिया में पहचानी जाती हो तुम॥ १॥
सबकी आंखो की चमक हो तुम ,
सबकी सांसो की लय हो तुम,
सांस यदी साथ न दे
तो दिल की एक चुभन हो तुम
जिंदगी के शुभ नाम से
दुनिया में पहचानी जाती हो तुम॥ २ ॥
गरीबो की राहो के कांटे हो तुम,
अमिरो के घरो की शोभा हो तुम,
सबको जीवन में सुख चैन न देती,
क्यो इतनी पथ्थर दिल हो तुम,
जिंदगी के शुभ नाम से
दुनिया में पहचानी जाती हो तुम॥ ३ ॥
प्यार के फूल
जिन्दगी की राहो मे कांटॊं से बुने गालिचो पर चलते रहे है हम,
प्यार के फुल बिछा दो तो जख्मो को सुकुन मिल जाये।
जख्मी दिल को कुछ राहत मिल जाये,
और जिन्दगी के कुछ लम्हे चैन से जी सके हम।
प्यार के फुल बिछा दो तो जख्मो को सुकुन मिल जाये।
जख्मी दिल को कुछ राहत मिल जाये,
और जिन्दगी के कुछ लम्हे चैन से जी सके हम।
April 18, 2010
April 16, 2010
जिंदगी
जिंदगी हम तुम्हारे करीब आना चाहते है
तुम्हे सही माने में जीना चाहते है,
बस दो वक्त सकूँ मिल जाए
चैन की साँसे मिल जाए
यही चाहत है हमारी जीवन भर के लिए
पर तुम हो की पास नहीं आती पल भर के लिए
पल भर के लिए
पल भर के लिए।
तुम्हे सही माने में जीना चाहते है,
बस दो वक्त सकूँ मिल जाए
चैन की साँसे मिल जाए
यही चाहत है हमारी जीवन भर के लिए
पर तुम हो की पास नहीं आती पल भर के लिए
पल भर के लिए
पल भर के लिए।
April 13, 2010
कटी पतंग
दोस्तों आज मै यहाँ मेरी अपनी लिखी एक और कविता पेश कर रहा हु। यह कविता मैंने २३-०३-१९८२ को लिखीथी जब मै इन्दोर में इंजिनीअरिंग कोलेज में पढ़ रहा था.
"इंसा" नाम है उस पतंग का,
जो जीवन रूपी आकाश में
वक्त रूपी कच्ची डोर से बंधी हुई
विचरती रहती है।
और
जब मौत रूपी गीदड़
उस आकाश में विचरते है
तो रस्ते में आने वाले सभी पतंगों को कांट देते है
और
वो पतंग
एक कटी पतंग की तरह गिरकर
धरती की गोद में समां जाती है।
जो जीवन रूपी आकाश में
वक्त रूपी कच्ची डोर से बंधी हुई
विचरती रहती है।
और
जब मौत रूपी गीदड़
उस आकाश में विचरते है
तो रस्ते में आने वाले सभी पतंगों को कांट देते है
और
वो पतंग
एक कटी पतंग की तरह गिरकर
धरती की गोद में समां जाती है।
( रविन्द्र रवि 'कोष्टी' )
April 10, 2010
सिम्पली पोयट डॉट कॉम
दोस्तो काल मैने आपको एक बेहतरीन वेब साईट के बारे में बताया था। आज मै और एक वेब साईट के बारे में बताना चाहता हुं। उसका नाम है "सिम्पली पोयट डॉट कॉम"
आप हिंदी मराठी अंग्रेजी या आपकी अपनी किसी भाषा में कविताये लिखते हो तो इस साईट पर आप अपनी कवीता प्रस्तुत कर सकते है। यहा लिंक दे रहा हुं.
http://simplypoet।com/
इस साईट पर मेरी कई साड़ी हिंदी अंग्रेजी और मराठी की कविताये प्रस्तुत की है।
धन्यवाद.
आप हिंदी मराठी अंग्रेजी या आपकी अपनी किसी भाषा में कविताये लिखते हो तो इस साईट पर आप अपनी कवीता प्रस्तुत कर सकते है। यहा लिंक दे रहा हुं.
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इस साईट पर मेरी कई साड़ी हिंदी अंग्रेजी और मराठी की कविताये प्रस्तुत की है।
धन्यवाद.
एक बेहतरीन वेब साईट
दोस्तों मै आपको एक अनोखी वेब साईट पर ले जाना चाहता हु। शायद आप लोगो को मालूम होगा। लेकिन न हो तो एक बार जरुर पढ़िए।
हम अपनी रोज मर्रा की जिंदगी में जो काम करते है उसमे हमें कुछ न कुछ नयापन लाना होता है वरन हम बोर हो जाते है। बस उसी वक्त हमारे जहाँ में कुछ नै आयडिया आई हुई होती है। यही हम वेब साईट पर दुनिया भर के लोगो से शेअर कर सकते है। हो सकता है इसी आयडिया का बखूबी
इस्तेमाल कर कोई नयी चीज बन जाये जो आम लोगो के दैनंदिन काम में आये।
तो आइये आपको उस साईट का पता बताता हु। इस साईट पर मैंने भी मेरी कुछ आइडियास लिखे है जरुर पढ़िए।
http://en।ideas4all.com/
April 8, 2010
एक अनोखी शादी
दोस्तो एक बार की बात है। एक चिंटी और एक हाथी की दोस्ती हो गई। वैसे तो वो कट्टर दुश्मन है लेकिन पता नही क्यो उनकी दोस्ती हो गई। फिर क्या था। रोज रोज का मीलना, घुमना फिरना, वो थंडी हवा के झोके, वो रुठना फिर मनांना फिर रुठना फिर मनांना यु ही चलता रहां । और फिर वही हुआ जिसका डर था और जो दो प्यार करने वालो के साथ होता है.
उन दोनो का नाम जंगल के समाज में बदनाम होने लगा। लोग तऱ्ह तऱ्ह की बाते करने लगे। फिर एक दिन पंचायत बुलाई गयी। दोनो पक्षो को पंचायत ने बहुत समझाया की एक हाथी और चिंटी का कोई मेल नही है। लेकिन दो प्यार करने वाले कभी किसी की बात मानते नाही। पंचायत ने फैसला सुना दिया। हाथी और चिंटी दोनो को शादी करनी पडेगी।
दोनो ने आग पीछा कुछ भी न सोचते हुये शादी के लिये रजामंदी जाहीर कर दी। दोनो की धूम धाम से शादी हो गाई।
और जंगले सभी प्राणी दोनो को छोड अपने अपने घर चले गये।
रात बीती और सुबह रोजमर्रा की चहल पहल सुरु हुई। अचानक एक बंदर का ध्यान गया और वो चिल्लाया अरे हाथी मर गया। सब प्राणी जमा हुए। चिंटी रो रही थी। सभी ने उसे शांत किया। लेकिन उसने कहा, अरे भाईयो मै शांत कैसे रहू। मै तो लुट गई बरबाद हो गयी। एक दिन की शादी हुई लेकिन अब तो मुझे जिंदगी भर कबर खोदनी पडेगी उसका क्या।
उन दोनो का नाम जंगल के समाज में बदनाम होने लगा। लोग तऱ्ह तऱ्ह की बाते करने लगे। फिर एक दिन पंचायत बुलाई गयी। दोनो पक्षो को पंचायत ने बहुत समझाया की एक हाथी और चिंटी का कोई मेल नही है। लेकिन दो प्यार करने वाले कभी किसी की बात मानते नाही। पंचायत ने फैसला सुना दिया। हाथी और चिंटी दोनो को शादी करनी पडेगी।
दोनो ने आग पीछा कुछ भी न सोचते हुये शादी के लिये रजामंदी जाहीर कर दी। दोनो की धूम धाम से शादी हो गाई।
और जंगले सभी प्राणी दोनो को छोड अपने अपने घर चले गये।
रात बीती और सुबह रोजमर्रा की चहल पहल सुरु हुई। अचानक एक बंदर का ध्यान गया और वो चिल्लाया अरे हाथी मर गया। सब प्राणी जमा हुए। चिंटी रो रही थी। सभी ने उसे शांत किया। लेकिन उसने कहा, अरे भाईयो मै शांत कैसे रहू। मै तो लुट गई बरबाद हो गयी। एक दिन की शादी हुई लेकिन अब तो मुझे जिंदगी भर कबर खोदनी पडेगी उसका क्या।
April 5, 2010
मृगतृष्णा
( मेरी अपनी कई सालो पहले लिखी एक और कविता जो जीवन की सच्चाई को बयां करती है। )
ये दुनिया नहीं मेला है,
मुसाफिरों का झमेला है,
यहाँ न भाई न बहन न माता पिता,
हर आदमी बस अकेला ही अकेला है।
सबकी आँखों में एक सपना है,
ये, वो और वो भी अपना है,
परन्तु मरने के बाद
सब साथ छोड़ देते है हमेशा के लिए
ये जीवन एक मृगतृष्णा है।
ये दुनिया नहीं मेला है,
मुसाफिरों का झमेला है,
यहाँ न भाई न बहन न माता पिता,
हर आदमी बस अकेला ही अकेला है।
सबकी आँखों में एक सपना है,
ये, वो और वो भी अपना है,
परन्तु मरने के बाद
सब साथ छोड़ देते है हमेशा के लिए
ये जीवन एक मृगतृष्णा है।
खुबसूरत रात
दोस्तों आज मै आपकी खिदमत में मैंने २९-०६-१९८३ को लिखी एक प्रेम कविता पेश कर रहा हु। आपको कैसे लगीजरुर लिखियेगा। ज़रा गौर फरमाइए जनाब...
सूरज डूबा
और एक खुबसूरत
लेकिन
सांवली रात आई।
सांवले पण से संजी
और
चाँद की मंद मंद रोशनी से नहाई
ये रात
कितनी खुबसूरत है।
वो चांदनी में चमकती घनघोर जुल्फे
वो जुल्फों में छुपी मदमस्त आँखे
वो चेहरा, खुबसूरत चेहरा,
किसी शिल्पकार के हाथों से,
कड़ी मेहनत से कुरेदकर बनाया गया
वो खुबसूरत चेहरा
जिसके गहने है
शरारती आँखे
नशीले ओंठ
सुडौल नांक
और वे जुल्फें
कितनी खुबसूरत
लग रही है
ये रात.
सूरज डूबा
और एक खुबसूरत
लेकिन
सांवली रात आई।
सांवले पण से संजी
और
चाँद की मंद मंद रोशनी से नहाई
ये रात
कितनी खुबसूरत है।
वो चांदनी में चमकती घनघोर जुल्फे
वो जुल्फों में छुपी मदमस्त आँखे
वो चेहरा, खुबसूरत चेहरा,
किसी शिल्पकार के हाथों से,
कड़ी मेहनत से कुरेदकर बनाया गया
वो खुबसूरत चेहरा
जिसके गहने है
शरारती आँखे
नशीले ओंठ
सुडौल नांक
और वे जुल्फें
कितनी खुबसूरत
लग रही है
ये रात.
March 19, 2010
उजड़ा हुआ चमन
तस्वीर चाहता हु तुम्हारी केवल,
इस दिल में सजाये रखने को,
और कुछ नहीं चाहिए मुझे तुमसे,
बस एक झलक और देख लेने दो।
झाँक लो जरा इस टूटे हुए दिल में,
शायद तुम्हारे हुस्न को देख वो फिर से जुड़ जाए,
रख दो हथेली को इस धड़कते हुए सिने पर,
शायद यह तुफाँ भी शांत हो जाए।
दे दो दुआएं ऐ बहारों इन्हें,
दुनिया की सारी खुशियाँ मिल जाएँ,
लुट गया चमन मेरा रेगिस्तान बन गया,
खुदा करे मेरी उम्र भी उन्हें लग जाएँ।
( दोस्तों यह कविता मैंने दि. २८-०६-१९८० को लिखी थी.)
रविन्द्र रवि ( कोष्टी)
इस दिल में सजाये रखने को,
और कुछ नहीं चाहिए मुझे तुमसे,
बस एक झलक और देख लेने दो।
झाँक लो जरा इस टूटे हुए दिल में,
शायद तुम्हारे हुस्न को देख वो फिर से जुड़ जाए,
रख दो हथेली को इस धड़कते हुए सिने पर,
शायद यह तुफाँ भी शांत हो जाए।
दे दो दुआएं ऐ बहारों इन्हें,
दुनिया की सारी खुशियाँ मिल जाएँ,
लुट गया चमन मेरा रेगिस्तान बन गया,
खुदा करे मेरी उम्र भी उन्हें लग जाएँ।
( दोस्तों यह कविता मैंने दि. २८-०६-१९८० को लिखी थी.)
रविन्द्र रवि ( कोष्टी)
March 16, 2010
हाय मेरा दिल
सपनो को बीते हुंए
अपनो के लीये सजा रखा था।
अपनो का साथ छुटा
और
बड़े प्यार से दिल लगाकर
बनाया हुआ सपनों का महल टुटा।
और
मेरे सपने
कई सालों से दिल की कोठडी में,
हाँ हाँ कोठडी में
समाये हुए मेरे सपनें,
जिनका
एक एक पहलू
मेरे दिल के परदे पर,
किसी कलाकार ने
बनाकर रखी तस्वीरे,
उन तस्वीरों की तरह
रंगा हुआ था।
और
वे सतरंगी तस्वीरें,
मेरी आँखों के रास्ते,
बेरंगे आंसुओ के रूप में
बहकर साफ हो गयी।
सपनों का महल
पिघलकर बह गया
और
बचा सिर्फ एक
कोरा कागज़-सा,
एक
जिंदगी का सताया,
माशूक का सताया,
मुहब्बत का सताया
हुआ दिल,
मेरा दिल,
हाय
मेरा दिल!
रविन्द्र रवि ( कोष्टी)
अपनो के लीये सजा रखा था।
अपनो का साथ छुटा
और
बड़े प्यार से दिल लगाकर
बनाया हुआ सपनों का महल टुटा।
और
मेरे सपने
कई सालों से दिल की कोठडी में,
हाँ हाँ कोठडी में
समाये हुए मेरे सपनें,
जिनका
एक एक पहलू
मेरे दिल के परदे पर,
किसी कलाकार ने
बनाकर रखी तस्वीरे,
उन तस्वीरों की तरह
रंगा हुआ था।
और
वे सतरंगी तस्वीरें,
मेरी आँखों के रास्ते,
बेरंगे आंसुओ के रूप में
बहकर साफ हो गयी।
सपनों का महल
पिघलकर बह गया
और
बचा सिर्फ एक
कोरा कागज़-सा,
एक
जिंदगी का सताया,
माशूक का सताया,
मुहब्बत का सताया
हुआ दिल,
मेरा दिल,
हाय
मेरा दिल!
रविन्द्र रवि ( कोष्टी)
March 7, 2010
ख़ुशी और गम
खुशियों के आगोश में जीना आसाँ है यारों
जरा ग़मों से सराबोर जिंदगी भी जी कर देख लो।१।
खुशियाँ हो चारो तरफ ऐसी जिंदगी सभी की चाह है,
ग़मों की जिंदगी मगर कोई न जीना चाहे। २ ।
दुखों से काहे मुंह मोड़ते हो, जरा उन्हें भी तो जीकर देख लो
खुशियों का क्या है , वो तो सभी की चाहत है। ३।
जरा ग़मों से सराबोर जिंदगी भी जी कर देख लो।१।
खुशियाँ हो चारो तरफ ऐसी जिंदगी सभी की चाह है,
ग़मों की जिंदगी मगर कोई न जीना चाहे। २ ।
दुखों से काहे मुंह मोड़ते हो, जरा उन्हें भी तो जीकर देख लो
खुशियों का क्या है , वो तो सभी की चाहत है। ३।
कलियुगी महात्मा
ये आधुनिक महात्मा है,
पंखों और कूलरों के नीचे सोते है।
टेलीफोनों से बोलते
और टी. व्ही. को देखते है।
नागे साधू बनकर
हसिनाओ से सेवा करवाते है।
हाँ ये कलियुगी महात्मा है।
पंखों और कूलरों के नीचे सोते है।
टेलीफोनों से बोलते
और टी. व्ही. को देखते है।
नागे साधू बनकर
हसिनाओ से सेवा करवाते है।
हाँ ये कलियुगी महात्मा है।
जिंदगी के हंसी लम्हें
तुम्हारे संग बिताये उन हसीं लम्हों की
याद आते ही मै तुम्हारी याद में खो जाता हु
और तुम्हे जिंदगी में कभी भी न भूल सकू
इस उद्देश से अपने
भविष्य के लम्हों में से
कुछ लम्हे ख़ास तुम्हारी यादो को
याद करके जीने के लिए
संजो के रख देता हु
अपने दिल की तिजोरी में
याद आते ही मै तुम्हारी याद में खो जाता हु
और तुम्हे जिंदगी में कभी भी न भूल सकू
इस उद्देश से अपने
भविष्य के लम्हों में से
कुछ लम्हे ख़ास तुम्हारी यादो को
याद करके जीने के लिए
संजो के रख देता हु
अपने दिल की तिजोरी में
February 28, 2010
होली की शुभकामनाये
February 27, 2010
गणित का मेरा क्लास भाग-२
गणित का मेरा क्लास भाग-१ की सफलता के बाद मै आपके लिए यहाँ मेरा दूसरा क्लास पेश कर रहा हु.
आज की इस क्लास में मै आपको एक ऐसा सूत्र बताने जा रहा हु जिससे आपको ९ अंक से बनी हुई किसी भी संख्या का वर्ग निकलना बहुत ही आसान महसूस होगा और गणित जैसे भयानक विषय से डर भी नहीं लगेगा.
दोस्तों ९ अंक से बनी संख्या का वर्ग निकालने के लिए आपको निचे डी गयी सभी स्टेप्स करनी होगी।
१) पहले डी हुई संख्या में ९ यह अंक कितनी बार आया है यह देखिये।
२) अब आप ९ इस अंक का वर्ग कीजिये। यह बहुत ही आसान है। सब को मालूम है की ९ का वर्ग ८१ होता है।
३) आपको इस ८१ को एक कागज पर इस तरह लिखना है की ८ और १ के बिच थोडासा फासला हो। पहले आप पेन्सिल से ही लिखे क्योकि इनके बिच लिखी जाने वाली संख्या कितनी बड़ी है यह तो आपसे पूछे गए सवाल की संख्या पर निर्भर करता है।
४) अब आपको कागज पे लिखे हुए ८ अंक के बायीं तरफ ८+१ मतलब ९ अंक लिखना है। लेकिन आप पूछोगे की यह ९ कितनी बार लिखना है। तो आइये मै आपको बताता हु। आपको जीतनी बार ९ अंक आपको वर्ग निकालने के लिए दी गयी संख्या में आया है उससे १ कम बार ९ अंक ८ से पहले लिखना है।
यह कुछ इस तरह दिखेगा। ९९९८ १
५) अब आपको ८ और १ के बिच छोड़ी गयी जगह में १-१ मतलब ० उतनी ही बार लिखना है।
यह कुछ इस तरह दिखेगा। ९९९८०००१
६) जो संख्या आपको मिलेगी वह दी गयी संख्या का वर्ग होगी।
अब हम एक उदहारण ले कर चेक कर लेते है।
मान लीजिये आपको ९,९९९ यह संख्या दी गयी है और इसका वर्ग निकालने को कहा गया है।
ऊपर दी गयी स्टेप्स के हिसाब से ही आपको सवाल हल करना है इस बात का ध्यान रहे।
१) दी गयी संख्या में ९ यह अंक ४ बार आया है।
२) अब आपने ९ का वर्ग माने ८१ दोनों अंको के बिच फासला छोड़ के लिखना है।
३) चुकी दी हुई संख्या में ९ चार (४) बार आया है इसलिए आपको ८ से पहले ३ बार ९ लिखना है।
४) इसी तरह आपको १ से पहले और ८ के बाद ३ बार झिरो(०) लिखना है।
आपको जो संख्या मिली वह कुछ इस तरह होगी।
आज की इस क्लास में मै आपको एक ऐसा सूत्र बताने जा रहा हु जिससे आपको ९ अंक से बनी हुई किसी भी संख्या का वर्ग निकलना बहुत ही आसान महसूस होगा और गणित जैसे भयानक विषय से डर भी नहीं लगेगा.
दोस्तों ९ अंक से बनी संख्या का वर्ग निकालने के लिए आपको निचे डी गयी सभी स्टेप्स करनी होगी।
१) पहले डी हुई संख्या में ९ यह अंक कितनी बार आया है यह देखिये।
२) अब आप ९ इस अंक का वर्ग कीजिये। यह बहुत ही आसान है। सब को मालूम है की ९ का वर्ग ८१ होता है।
३) आपको इस ८१ को एक कागज पर इस तरह लिखना है की ८ और १ के बिच थोडासा फासला हो। पहले आप पेन्सिल से ही लिखे क्योकि इनके बिच लिखी जाने वाली संख्या कितनी बड़ी है यह तो आपसे पूछे गए सवाल की संख्या पर निर्भर करता है।
४) अब आपको कागज पे लिखे हुए ८ अंक के बायीं तरफ ८+१ मतलब ९ अंक लिखना है। लेकिन आप पूछोगे की यह ९ कितनी बार लिखना है। तो आइये मै आपको बताता हु। आपको जीतनी बार ९ अंक आपको वर्ग निकालने के लिए दी गयी संख्या में आया है उससे १ कम बार ९ अंक ८ से पहले लिखना है।
यह कुछ इस तरह दिखेगा। ९९९८ १
५) अब आपको ८ और १ के बिच छोड़ी गयी जगह में १-१ मतलब ० उतनी ही बार लिखना है।
यह कुछ इस तरह दिखेगा। ९९९८०००१
६) जो संख्या आपको मिलेगी वह दी गयी संख्या का वर्ग होगी।
अब हम एक उदहारण ले कर चेक कर लेते है।
मान लीजिये आपको ९,९९९ यह संख्या दी गयी है और इसका वर्ग निकालने को कहा गया है।
ऊपर दी गयी स्टेप्स के हिसाब से ही आपको सवाल हल करना है इस बात का ध्यान रहे।
१) दी गयी संख्या में ९ यह अंक ४ बार आया है।
२) अब आपने ९ का वर्ग माने ८१ दोनों अंको के बिच फासला छोड़ के लिखना है।
३) चुकी दी हुई संख्या में ९ चार (४) बार आया है इसलिए आपको ८ से पहले ३ बार ९ लिखना है।
४) इसी तरह आपको १ से पहले और ८ के बाद ३ बार झिरो(०) लिखना है।
आपको जो संख्या मिली वह कुछ इस तरह होगी।
९९९८०००१
यही आपको दी गयी संख्या ९,९९९ का पूर्ण वर्ग है.
February 22, 2010
मेरी नयी दोस्त
दोस्तों आप मेरे इस ब्लॉग पर फोलोवर की लिस्ट में पाहिले नंबर पर एक तस्वीर देख रहे होंगे। वह एक पोर्तुगीज महिला है। उस अजनबी फोलोवर को देख मैंने वह कौन है यह जानने की कोशिश की और उनके ब्लॉग पर पहुच गया। उनका ब्लॉग संगीत और कला को समर्पित है। आज मेरे मीना कुमारी के ब्लॉग पर उस दोस्त की कोमेंट आई तो मै हैरान रह गया। उस दोस्त के दुनिया भर में १००० से ज्यादा दोस्त बन गए है। मैंने उसे बधाई दी और उसके ब्लॉग की लिंक मेरे ब्लॉगपर दे दी. आप भी उसके ब्लॉग को पढ़े। उसे हिंदी में भी पढ़ा जा सकता है। मै यहाँ उस ब्लॉग की लिंक दे रहा हु।
http://raquelcrusoe.blogspot.com/
http://raquelcrusoe.blogspot.com/
February 13, 2010
गणित का मेरा क्लास भाग -१
दोस्तों,
आजकल बच्चो पर पढाई का बोझा बहुत ही बढ़ गया है। बच्चो का सबसे कठीण विषय होता है गणित। मै चाहता हु सभी बच्चो को गणित के कुछ परिपाठ दू जिससे उन्हें पढाई में सहूलियत हो। आप सभी अभी भावको से विनती है की अपने बच्चो को ये मेरा गणित का क्लास जरुर पढ़ने दे। यहाँ मैंने कुछ सरल सूत्र दिए है जो मौखिक कर सकते है. आपको बता दू की ये सूत्र मेरे अपने है। मैंने कोलेज के ज़माने में ही ऐसे सूत्र बना लिए थे। अभी भी बनाता हु.
तो आइये आज का पहिला पाठ हम सुरु करते है।
१ से तैयार हुई किसी भी संख्या का वर्ग मौखिक कैसे करे:-
मानलो हमें १११११ इस संख्या का वर्ग करने के लिए कहा गया है। हम चुटकी बजाते ही इस संख्या का वर्ग निकाल सकते है।
हमें करना ये है की इस दी हुई संख्या में कितनी बार १ आता है वह देखना है। इस में पांच बार १ आया है। अब हमें १ से सुरु करते हुए २,३,४,५ ऐसे लिखना है। मतलब १२३४५ यह इसलिए की दी हुई संख्या में ५ बार १ आया है।
अब इसी तरह उल्टा लिखते जाना है। मतलब ५ से निचे ४, ३,२,१ तक।
हमें जो संख्या मिलेगी वह होगी १२३४५४३२१
यही हमें दी हुई संख्या १११११ का वर्ग है।
है ना सरल।
अब आप १ से तैयार हुई किसी भी संख्या का वर्ग कर सकते है
आजकल बच्चो पर पढाई का बोझा बहुत ही बढ़ गया है। बच्चो का सबसे कठीण विषय होता है गणित। मै चाहता हु सभी बच्चो को गणित के कुछ परिपाठ दू जिससे उन्हें पढाई में सहूलियत हो। आप सभी अभी भावको से विनती है की अपने बच्चो को ये मेरा गणित का क्लास जरुर पढ़ने दे। यहाँ मैंने कुछ सरल सूत्र दिए है जो मौखिक कर सकते है. आपको बता दू की ये सूत्र मेरे अपने है। मैंने कोलेज के ज़माने में ही ऐसे सूत्र बना लिए थे। अभी भी बनाता हु.
तो आइये आज का पहिला पाठ हम सुरु करते है।
१ से तैयार हुई किसी भी संख्या का वर्ग मौखिक कैसे करे:-
मानलो हमें १११११ इस संख्या का वर्ग करने के लिए कहा गया है। हम चुटकी बजाते ही इस संख्या का वर्ग निकाल सकते है।
हमें करना ये है की इस दी हुई संख्या में कितनी बार १ आता है वह देखना है। इस में पांच बार १ आया है। अब हमें १ से सुरु करते हुए २,३,४,५ ऐसे लिखना है। मतलब १२३४५ यह इसलिए की दी हुई संख्या में ५ बार १ आया है।
अब इसी तरह उल्टा लिखते जाना है। मतलब ५ से निचे ४, ३,२,१ तक।
हमें जो संख्या मिलेगी वह होगी १२३४५४३२१
यही हमें दी हुई संख्या १११११ का वर्ग है।
है ना सरल।
अब आप १ से तैयार हुई किसी भी संख्या का वर्ग कर सकते है
बेवफा
रवि,
नहीं रवि नहीं
मै तुम्हे नहीं भूल सकती
कैसे भूलू?
मेरे ख्वाबो में तुम हो
खयालो में तुम हो
फिजाओ में तुम हो
फिर कैसे भूलू मै तुम्हे
कैसे?
बताओ?
जब मै बाग में फूल को खिलते देखती हु
सहसा एक भोरा फूल पर आकर बैठ जाता है
मुझे लगता है
तुम मुझसे मिलने आये हो
तुम्हारे पंख है
तुम उड़ रहे हो.
तो ये मेरा ख्वाब ही है?
सहसा मेरी आखों से आंसू छलक जाते है
देखो रवि!
देखो,
इन आंसुओ को देखो,
एक एक बूंद में
प्यार है तुम्हारे लिए,
गम है तुम्हारे बिछुड़ने का उन्हें,
जी चाहता है
इन आंसुओ की माला बनाकर
तुम्हारे गले में डालकर
तुम्हे वर लूँ मै.
अरे! इसकी भी क्या जरुरत है,
मैंने तो तुम्हे
मेरा सब कुछ मान ही लिया है
रवि!
अब मै जी नहीं सकती
मै आत्महत्या करुँगी
जरुर करुँगी आत्महत्या,
मुझे कोई नहीं रोकेगा
मेरा रहा ही क्या है इस दुनिया में
रवि!
तुम्हारा दिल पत्थर का कैसे हो गया?
कहा है तुम्हारे वाडे?
कहा है वो कसमे?
मुकर गए ना अपनी कसमो से,
मुझे मालूम था,
लेकिन नालायक दिल मन ही नहीं,
ठीक है रवि,
एक बार
अंतिम बार,
गले तो लगा लो मुझे
इस दिल की धडकनों को
मिला लो अपने दिल में,
बढ़ जाएगी तुम्हारी उम्र
मेरी उम्र भी तुम्हे लग जाएगी,
ले लो रवि,
ले लो इनको
ले लो इन धडकनों को
मुझे अब जीना नहीं है,
ठहरो,
कहा जा रहे हो?
अभी बाते ख़त्म नहीं हुई है,
आज अंतिम बार तो बोलने दो मुझे
डर रहे हो मुझसे
अपनी सब कुछ होते हुए भी,
मुझे पाव तो छु लेने दो
अंतिम बार
बस एक बार
आशीर्वाद दे दो मुझे
शांति तो मिलेगी इस आत्मा को,
तद्पेगी तो नहीं.
अच्छा रवि,
अब मै जाती हु
तुम भी जाओ
रवि,
मै चलती हु
जाओ जाओ
बेवफा जाओ!
रवि।
(दोस्तों यह कविता मैंने ८/२/१९८० को लिखी थी जब मै इंजिनीअरिंग में पढ़ता था। इसमे कोई सचाई नहीं सिर्फएक विरह की कविता है। कोई चाहिए इसलिए अपना ही नाम लिख दिया था। यह एक काल्पनिक कविता है बस!)
नहीं रवि नहीं
मै तुम्हे नहीं भूल सकती
कैसे भूलू?
मेरे ख्वाबो में तुम हो
खयालो में तुम हो
फिजाओ में तुम हो
फिर कैसे भूलू मै तुम्हे
कैसे?
बताओ?
जब मै बाग में फूल को खिलते देखती हु
सहसा एक भोरा फूल पर आकर बैठ जाता है
मुझे लगता है
तुम मुझसे मिलने आये हो
तुम्हारे पंख है
तुम उड़ रहे हो.
तो ये मेरा ख्वाब ही है?
सहसा मेरी आखों से आंसू छलक जाते है
देखो रवि!
देखो,
इन आंसुओ को देखो,
एक एक बूंद में
प्यार है तुम्हारे लिए,
गम है तुम्हारे बिछुड़ने का उन्हें,
जी चाहता है
इन आंसुओ की माला बनाकर
तुम्हारे गले में डालकर
तुम्हे वर लूँ मै.
अरे! इसकी भी क्या जरुरत है,
मैंने तो तुम्हे
मेरा सब कुछ मान ही लिया है
रवि!
अब मै जी नहीं सकती
मै आत्महत्या करुँगी
जरुर करुँगी आत्महत्या,
मुझे कोई नहीं रोकेगा
मेरा रहा ही क्या है इस दुनिया में
रवि!
तुम्हारा दिल पत्थर का कैसे हो गया?
कहा है तुम्हारे वाडे?
कहा है वो कसमे?
मुकर गए ना अपनी कसमो से,
मुझे मालूम था,
लेकिन नालायक दिल मन ही नहीं,
ठीक है रवि,
एक बार
अंतिम बार,
गले तो लगा लो मुझे
इस दिल की धडकनों को
मिला लो अपने दिल में,
बढ़ जाएगी तुम्हारी उम्र
मेरी उम्र भी तुम्हे लग जाएगी,
ले लो रवि,
ले लो इनको
ले लो इन धडकनों को
मुझे अब जीना नहीं है,
ठहरो,
कहा जा रहे हो?
अभी बाते ख़त्म नहीं हुई है,
आज अंतिम बार तो बोलने दो मुझे
डर रहे हो मुझसे
अपनी सब कुछ होते हुए भी,
मुझे पाव तो छु लेने दो
अंतिम बार
बस एक बार
आशीर्वाद दे दो मुझे
शांति तो मिलेगी इस आत्मा को,
तद्पेगी तो नहीं.
अच्छा रवि,
अब मै जाती हु
तुम भी जाओ
रवि,
मै चलती हु
जाओ जाओ
बेवफा जाओ!
रवि।
(दोस्तों यह कविता मैंने ८/२/१९८० को लिखी थी जब मै इंजिनीअरिंग में पढ़ता था। इसमे कोई सचाई नहीं सिर्फएक विरह की कविता है। कोई चाहिए इसलिए अपना ही नाम लिख दिया था। यह एक काल्पनिक कविता है बस!)
February 2, 2010
ये मेरा वादा रहा
खुशियों के बादलो पर सवार होकर आकाश में विचरण करता मै
चारो तरफ झिलमिलाते तारो को देख
ऐसा लगता है जैसे दिवाली हो हररोज
ऐसी खुशियों भरी जिंदगी जी रहा था मै
और
एक दिन तुम मेरी जिंदगी में क्या आई
मेरी जिंदगी में बहार छा गयी
चारो तरफ खुशबू फैल गयी
लम्हे लम्हे मेरी जिंदगी के खुशियों से सराबोर हो गए
खुशोयो से लदा मै
तुम्हारे प्यार में पागल हो गया
मै तुम्हारा दीवाना हो गया
मुझसे वादा करो
तुम मुझे कभी छोड़ नहीं जाओगी
ये वादा करो मुझसे
मुझे कसम है इस प्यार की
मै तुम्हे छोड़
कही नहीं जायूँगा
January 14, 2010
मकर संक्रांति की शुभ कामनाये
January 9, 2010
ये क्या हो रहा है?
आजकल के बच्चे इतने समझदार हुये होंगे ये तो उनके माता पिताओ को भी मालूम नही होगा. पिछले कुछ दिनों में महाराष्ट्र में तक़रीबन १२ छोटे बड़े बछो ने आत्म हत्या की है. यह बहुत ही गंभीरता से सोचने वाली बात है. ये क्या हो गया है इन बच्चो को. क्यो इतने निराश हो रहे है ये बच्चे? मां बाप मजबूर हो गये है इस बात पर विचार करने पर. मै तो उन माता पिताओ को विनंती करना चाहता हु जिनके बच्चे छोटे की अपने बच्चो से प्यार से पेश आये. उनका मन बहुत कमजोर होता है. जो बात प्यार से बनती है वह घुस्से से नहीं बनती. घुस्सा करने से बच्चो के मन पर बुरा असर पड़ता है.सोचने वाली बात है कि ४ थी और ५ वी में जाने वाले बच्चे आत्महत्या करने को क्यो मजबूर हो गये? हर माँ बाप चाहते है की उनका बच्चा टाटा बिरला बने या अंबानी बने. ये कैसे हो सकता है. सोचिये यदि सब लोक करोडपति बन गए तो यह दुनिया कैसे चलेगी. दुनिया चलने के लिए हर तरह के लोगो की जरुरत होती है. सब लोक यदि पैसे वाले हो गए तो आपका घर बंधने के लिए मजदुर कहा से आयेंगे. आपके घर का काम कौन करेगा. आप तो कोर्द्पति हो गए होंगे तो जाहिर है करोड़ पति लोग खाना नहीं पका सकते बर्तन नहीं मांझ सकते फिर ये काम करेगा कौन? मेरे कहने का मतलब यह है की दुनिया में जिस तरह से अमीरों की जरुरत होती है वैसे ही गरीबो की जरुरत भी होती है. जैसे पुण्य होता है वैसे पाप भी होता है.जैसे पोजिटिव होता है वैसे निगेटिव भी होता ही है. उत्तर है तो उसके विरुद्ध दक्षिण है.
इसीलिए अपने बच्चो को ठीक से पढाये लेकिन उसपर अपनी मर्जी न थोपे. उसकी मर्जीसे भी थोडा बहुत करने दे.
इसीलिए अपने बच्चो को ठीक से पढाये लेकिन उसपर अपनी मर्जी न थोपे. उसकी मर्जीसे भी थोडा बहुत करने दे.
January 7, 2010
महबूबा
अगर तुम न आती
मेरी महबूबा
मेरी जिंदगी में
तो मेरा अस्तित्व क्या होता?
बंजर जमीं में एक सूखे पेड़
की भाँती खड़े होते,
अकेले ही अकेले
और जिंदगी के सिलसिले
यूँही चले होते सालों साल,
कभी न भरने वाले जख्म
गिले होते सालों साल।
मेरी महबूबा
मेरी जिंदगी में
तो मेरा अस्तित्व क्या होता?
बंजर जमीं में एक सूखे पेड़
की भाँती खड़े होते,
अकेले ही अकेले
और जिंदगी के सिलसिले
यूँही चले होते सालों साल,
कभी न भरने वाले जख्म
गिले होते सालों साल।
January 5, 2010
सजन रे झूठ मत बोलो
सब टी.व्ही. पर आजकल एक नया सिरिअल सुरु हुआ है जिसका नाम है,"सजन रे झूठ मत बोलो." बहुत ही बढ़िया सिरिअल है. जरुर देखिये. मनोरंजन अच्छा हो जाता है. नौकरी से थक के आने के बाद दिल और दिमाग था जाता है. यह सिरिअल और इसके पहले वाली तारक मेहता..... देखने से दिल को सुकून और शांति बहाल होती है.
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