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April 30, 2010

ज़िन्दगी एक तमाशा

ज़िन्दगी एक तमाशा है,
कुछ पाने की आशा है।
पर हाथ लगी,
कभी आशा कभी निराशा है।
ज़िन्दगी एक तमाशा है..

ज़िन्दगी बुलबुला ये पानी है,
पल में फटने से
जो ख़त्म हो जाए
वो इसकी कहानी है,
पहले बचपन
अंत में बुढ़ापा,
बीच में जिसके ज़वानी है

2 comments:

संजय भास्‍कर said...

कुछ शीतल सी ताजगी का अहसास करा गई आपकी रचना।

रविंद्र "रवी" said...

आपका बहुत बहुत शुक्रिया संजय जी!!!