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April 16, 2010

जिंदगी

जिंदगी हम तुम्हारे करीब आना चाहते है
तुम्हे सही माने में जीना चाहते है,
बस दो वक्त सकूँ मिल जाए
चैन की साँसे मिल जाए
यही चाहत है हमारी जीवन भर के लिए
पर तुम हो की पास नहीं आती पल भर के लिए
पल भर के लिए
पल भर के लिए

8 comments:

Randhir Singh Suman said...

nice

रविंद्र "रवी" said...

सुमनजी बहुत बहुत धन्यवाद.

कविता रावत said...

जिंदगी हम तुम्हारे करीब आना चाहते है
तुम्हे सही माने में जीना चाहते है,
.....kabhi-kabhijandagi abujh paheli ban jaate hai..... bhavpurn rachna....
सुख-दुःख, जीना मरना सुबकुछ यहाँ
जानकर भी हम जानते कहाँ हैं
गर जिंदगी कट जाय सुकूं से तो जिंदगी
वर्ना जिंदगी रहती कहाँ हैं!
Haardik shubhkamnayne..

रविंद्र "रवी" said...

कविताजी आपका बहुत बहुत धन्यवाद.सच्मुक जिंदगी एक अबुझ पहेली है.आपने मेरे दिल के हालात पहचान दिल से दाद दी है.

नरेश चन्द्र बोहरा said...

आपने सत्य लिखा है. जितना आप जिंदगी के करीब जाने की कोशिश करते हैं वो उतनी ही दूर होती चली जाती है. यही तो संघर्ष है.

रविंद्र "रवी" said...

धन्यवाद नरेशजी. जिंदगी ऐसी ही है इसीलिये कवि कवीता कर पाते है.

संजय भास्‍कर said...

बहुत बढ़िया,
बड़ी खूबसूरती से कही अपनी बात आपने.....
पूरी कविता दिल को छू कर वही रहने की बात कह रही है जी,

रविंद्र "रवी" said...

संजय जी आपका शुक्रगुजार हुं.