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March 16, 2010

हाय मेरा दिल

सपनो को बीते हुंए
अपनो के लीये सजा रखा था।
अपनो का साथ छुटा
और
बड़े प्यार से दिल लगाकर
बनाया हुआ सपनों का महल टुटा।
और
मेरे सपने
कई सालों से दिल की कोठडी में,
हाँ हाँ कोठडी में
समाये हुए मेरे सपनें,
जिनका
एक एक पहलू
मेरे दिल के परदे पर,
किसी कलाकार ने
बनाकर रखी तस्वीरे,
उन तस्वीरों की तरह
रंगा हुआ था।
और
वे सतरंगी तस्वीरें,
मेरी आँखों के रास्ते,
बेरंगे आंसुओ के रूप में
बहकर साफ हो गयी।
सपनों का महल
पिघलकर बह गया
और
बचा सिर्फ एक
कोरा कागज़-सा,
एक
जिंदगी का सताया,
माशूक का सताया,
मुहब्बत का सताया
हुआ दिल,
मेरा दिल,
हाय
मेरा दिल!
रविन्द्र रवि ( कोष्टी)

8 comments:

संजय भास्‍कर said...

सपनो को बीते हुंए
अपनो के लीये सजा रखा था।
अपनो का साथ छुटा
और
बड़े प्यार से दिल लगाकर
बनाया हुआ सपनों का महल टुटा।

...........लाजवाब पंक्तियाँ ........

संजय भास्‍कर said...

कई रंगों को समेटे एक खूबसूरत भाव दर्शाती बढ़िया कविता...बधाई

रविंद्र "रवी" said...

धन्यवाद संजय जी.दिल खोलकर तारीफ के लीये.

रविंद्र "रवी" said...

धन्यवाद संजयजी दोबारा पढने के लीये. दिले से तारीफ कि है आपने. मै आपका शुक्रगुजार हुं.

रावेंद्रकुमार रवि said...

सचमुच बहुत सताया गया है,
इस दिल को!

रविंद्र "रवी" said...

जी हा रावेंद्र जी बहुत सत्य गया है ये दिल.

ज्योति सिंह said...

bahut hi maarmik rachna aur sundar bhi .

रविंद्र "रवी" said...

धन्यवाद ज्योतिजी.