दोस्तो एक बार की बात है। एक चिंटी और एक हाथी की दोस्ती हो गई। वैसे तो वो कट्टर दुश्मन है लेकिन पता नही क्यो उनकी दोस्ती हो गई। फिर क्या था। रोज रोज का मीलना, घुमना फिरना, वो थंडी हवा के झोके, वो रुठना फिर मनांना फिर रुठना फिर मनांना यु ही चलता रहां । और फिर वही हुआ जिसका डर था और जो दो प्यार करने वालो के साथ होता है.
उन दोनो का नाम जंगल के समाज में बदनाम होने लगा। लोग तऱ्ह तऱ्ह की बाते करने लगे। फिर एक दिन पंचायत बुलाई गयी। दोनो पक्षो को पंचायत ने बहुत समझाया की एक हाथी और चिंटी का कोई मेल नही है। लेकिन दो प्यार करने वाले कभी किसी की बात मानते नाही। पंचायत ने फैसला सुना दिया। हाथी और चिंटी दोनो को शादी करनी पडेगी।
दोनो ने आग पीछा कुछ भी न सोचते हुये शादी के लिये रजामंदी जाहीर कर दी। दोनो की धूम धाम से शादी हो गाई।
और जंगले सभी प्राणी दोनो को छोड अपने अपने घर चले गये।
रात बीती और सुबह रोजमर्रा की चहल पहल सुरु हुई। अचानक एक बंदर का ध्यान गया और वो चिल्लाया अरे हाथी मर गया। सब प्राणी जमा हुए। चिंटी रो रही थी। सभी ने उसे शांत किया। लेकिन उसने कहा, अरे भाईयो मै शांत कैसे रहू। मै तो लुट गई बरबाद हो गयी। एक दिन की शादी हुई लेकिन अब तो मुझे जिंदगी भर कबर खोदनी पडेगी उसका क्या।
3 comments:
maan gaye ravindra aapko..
kamaal kar diya..
अजी युही बस कही ज्योक पढा. उसको कथा में परिवर्तीत कर दिया.
संजयजी आपकी ये अदा हमे बहुत पसंद आती है. आप तहेदिल से तारीफ जो करते है जनाब.
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