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October 22, 2009

यादों के झरोके से

यादों के झरोखों से जब भी मैं झांकता हूँ
तुम्हारी खिलखिलाती तस्वीर पाता हूँ
और उस तस्वीर को देख
मैं उदास हो जाता हूँ
अपनी तकदीर को कोसता हूँ
दिल ही दिल में रो लेता हूँ
और जब मन भर जाता है रोने से
तो आंसू पोंछ लेता हूँ
दिल को समझाता हूँ
जैसे कुछ हुआ ही न हो
दिल बेचारा गम का मारा
क्या न करता
गम भुलाकर चुपचाप हो जाता है
और मैं यादों के झरोके से फिर झांकनेलगता हूँ.

2 comments:

maglomaniac said...

Hi Ravindra,
Love and that too a love gone away just because of the circumstances is the toughest feeling to handle.
And thats what that you have rightly enunciated here.
Apne bahut achhe se dil ko samjhane ki bat kahi aur wo bhola bechara khud thode samay me samajh jata hai.
Bas ye yado k jharoke hi hai jo hame jeene ki taqAT dete hai.


~Harsha

रविंद्र "रवी" said...

Dhanyavad !!!