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October 22, 2009

तुम्हारी तस्वीर

चाँदनी रात में जब मैं
आसमां निहारता हूँ
तो
बेसुमार तारो में
मुझे तुम्हारी तस्वीर नजर आती है ।
मैं उस तस्वीर को
अपनी आंखों में समां लेता हूँ।
और तुम्हारी यादों को
समेटते हुए
नींद की आगोश में समां जाता हूँ।

जब सुबह होती है
आसमां में बादल नजर आते है
और मुझे उन बादलों में भी
तुम्हारी ही तस्वीर
नजर आती है।
लेकिन
मैं अपने आंसुओ से
उस तस्वीर को मिटा देता हूँ
और तुम्हे भूल जाता हूँ
चाँदनी रात में
तुम्हे बेशुमार
तारों में धुंडने के लियें।

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