जब याद तुम्हारी आती है
वो (नींद) हमसे रूठ कर
ओझल आखोसे हो जाती है.
जब याद तुम्हारी आती है
जब याद तुम्हारी आती है
करवट भी न बदली जाती है
जब याद तुम्हारी आती है
जब याद तुम्हारी आती है
आखो से नदिया बहती है
जब याद तुम्हारी आती है
जब याद तुम्हारी आती है
जब याद तुम्हारी आती है
4 comments:
जब याद तुम्हारी आती है
आखो से नदिया बहती है..
फिर भी ये यादें ही तो हैं अनमोल खजाना..
came here through simplypoet.com ..really nice poems you have here!!
धन्यवाद अल्पनाजी!!!
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