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September 22, 2009

नींद आती नही

आखो से कोसो दूर है ओ ।

परेशां हो जाता हूँ जो न दिखे ओ।

दिल को बहुत समझाता हूँ।

दिल है के मानता ही नही।

ओ है की आती ही नही।

क्या करू क्या न करू,

सोच कर और भी दूर भाग जाती है ओ।

चाहता हूँ बहुत उसे पर दूर ही रहती है जो।

नींद कहते है उसे लोग ये सुना है हमने।

1 comment:

kishore ghildiyal said...

kuch aisi hi haalat apni bhi hain