" कुछ पल"
मेरे अपने विचारों पर आधारित मेरा अपना ब्लॉग
Digital Hindi Blogs
September 11, 2009
जिंदगी
जिंदगी
गुजर
रही
है
इंतजार
करते
-
करते।
सोचते
है
हम
की
,
साँझ
ढले
तो
कोई
आएगा
बुझे
हुए
दीपक
को
जलाने
के
लिए।
1 comment:
रविंद्र "रवी"
said...
आभार संजयजी.
April 9, 2010 at 10:20 AM
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1 comment:
आभार संजयजी.
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