आखो से कोसो दूर है ओ ।
परेशां हो जाता हूँ जो न दिखे ओ।
दिल को बहुत समझाता हूँ।
दिल है के मानता ही नही।
ओ है की आती ही नही।
क्या करू क्या न करू,
सोच कर और भी दूर भाग जाती है ओ।
चाहता हूँ बहुत उसे पर दूर ही रहती है जो।
नींद कहते है उसे लोग ये सुना है हमने।
1 comment:
kuch aisi hi haalat apni bhi hain
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