Digital Hindi Blogs



December 31, 2019

मस्त है जिंदगी

खुश रहकर गुजारो,
       तो मस्त है जिदंगी,
दुखी रहकर गुजारो,
       तो त्रस्त है जिंदगी,
तुलना में गुजारो,
       तो पस्त है जिंदगी,
इतंजार में गुजारो,
       तो सुस्त है जिंदगी,
सीखने में गुजारो,
      तो किताब है जिंदगी,
दिखावे में गुजारो,
       तो बर्बाद है   जिदंगी,
मिलती है एक बार,
      प्यार से बिताओ जिदंगी,
जन्म तो रोज होते हैं,
     यादगार बनाओ जिंदगी!!
🌹🙏 सुप्रभात 🙏🌹
(व्हाट्सएप से प्राप्त एक अज्ञात कवि की सुंदर रचना)

December 28, 2019

कर्म....

कर्म वह फ़सल है जिसे हर इंसान को हर हाल में काटना ही पड़ता है....,

इसलिए, हमेशा अच्छे बीज बोएं, ताकि फ़सल अच्छी हो......।।
              

🙏🏻🌹सुप्रभात।🌹🙏🏻

December 27, 2019

अहंकार

✒✒ . .... अहंकार. में तिनों गए धन,वैभव और वंश , यकीन ना आये तो देख लो रावण,कौरव और कंस . ....     🌹शुभ सकाळ 🙏🏻🌹

December 26, 2019

रिश्ते

आँसूओं के प्रतिबिंब गिरे,
        ऐसे दर्पण अब कहाँ ?

बिना कहे सब कुछ समझे,
       वैसे रिश्ते अब कहाँ ?

  🌻🌻सुप्रभात🌻🌻

December 25, 2019

उम्मिद...

उम्मिदों के गुब्बारे से लटकता जिद्दी और जिंदगी जी रहा एक जिंदा इंसान हुँ मैं
कब उम्मिदों का गुब्बारा फट जाएँ
और जमीं पर ला पटक घायल कर दें पता नहीं।
रचनाकार: रवींद्र "रवी" कोष्टी

December 23, 2019

हेप्पी सर्दी

सर्दियों में रोज़ अपने स्वास्थ को बेहतर बनाने पर ध्यान दें
ध्यान देने के तरीके🤔🤔🤔
सुबह जल्दी 10 बजे उठ जायें☀🔥
Bathroom तक पैदल चलें 🏃
नाश्ते में मक्खन ब्रेड 🍞🧀 कचौरी और 
🍭जलेबी खाने के बाद एक लोटा चाय लें
इतना करने के बाद थकान होना लाजमी है,
इसलिए 2 घंटा सो लें..! 
अरे सोते ही रहेंगे क्या 😋 लंच नहीँ करना.
हाँ तो लंच मैं दाल-चावल, रोटी, दही, 
सलाद, पापड़, चटनी, अचार और कुछ मीठा लें..!
लंच के बाद थोड़ी देर सो जायें 😴😴💤 (लगभग 3 घंटा)
अधिक देर न सोये नहीँ तो 
शाम के चाय ☕कचोरी का समय निकल जायेगा.
अब डिनर मैं कुछ हल्का लें जैसे 
दाल मक्खनी कड़ाई, पनीर दम आलू और 
बटर नान 🍪with एक्सट्रा मक्खन
रात के खाने के बाद टहलना बहुत ही 
ज़रूरी है इसलिए अपने बेड का एक चक्कर लगाये 
और कम्बल ओढ़ कर सो जाए..! सेहत एकदम चकाचक रहेगी, वजन थोड़ासा 
ज्यादा हो जाये तो चिंता ना करें,
आखिर सर्दी साल में एक बार ही तो आती है।😎
☕Happy सर्दी
 🎅🏻ऐसा करने से बहुत ज्यादा स्वास्थ्य लाभ मिलेगा

December 22, 2019

खुश रहो...

यह मत पूछना कि जिंदगी खुशी कब देती है।
क्योंकि शिकायत तो उन्हें भी है, जिन्हें जिंदगी सब कुछ देती है। 
खुश रहो और आनंद लो हर दिन का...
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
💐💐💐सुप्रभात💐💐💐
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

December 21, 2019

मानवीय गलती

मानव संबंधो में सबसे बड़ी ग़लती-हम आधा सुनते हैं,चौथाई समझते हैं,शून्य सोचते हैं..लेकिन
प्रतिक्रिया दुगुनी करते हैं...  🙏

December 20, 2019

फैसले....

✍मान लेते हैं कि,
किस्मत में लिखे फैसले
बदला नहीं करते.
लेकिन
आप फैसले तो लीजिये,
क्या पता,
किस्मत ही बदल जाए..
        🙏 Good Morning 🙏

December 19, 2019

धन और संस्कार

धन को एकत्रित करना सहज हैं !
                            लेकिन
                  संस्कारों को एकत्रित
                      करना कठिन हैं !
             धन को तो लूटा जा सकता हैं,
                            लेकिन
                संस्कारों के लिए समर्पित
                      होना पड़ता है।
                 
                          शुभ प्रभात💐💐

December 18, 2019

फैसला

एक निवाला पेट तक पहुंचाने का भगवान ने क्या खूब इंतजाम किया है,
अगर गर्म है तो हाथ बता देते हैं,
सख्त है तो दांत बता देते हैं,
कड़वा या तीखा है तो जुबान बता देती है,
बासी है तो नाक बता देती है,
बस मेहनत का है या बेईमानी का,
इसका फैसला आपको करना है ।
    
     🙏🏻🙏🏻सुप्रभात🙏🏻🙏🏻

December 17, 2019

सच्ची मानवता

जिस मनुष्य के हृदय में"सच्ची मानवता हो उसकी सोच हमेशा यही होगी कि ,

मुझे मिला हुआ दुःख किसी को नही मिले और
मुझे मिला हुआ सुख सबको मिले

🌹🌹🌹      सुप्रभात          🌹🌹🌹🐿🐿🐿🐿🐿🐿🐿🐿🐿🐿🐿🐿
www.ownpoems.wordpress.com
🐿🐿🐿🐿🐿🐿🐿🐿🐿🐿🐿🐿

December 16, 2019

प्रशंसा और निंदा

💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

कोई सराहना करे या
       निंदा
लाभ आपका ही है
          कारण ...
प्रशंसा प्रेरणा देती है
         और निंदा
सुधरने का अवसर ... !!!

                🙏सुप्रभात🙏

💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

December 15, 2019

अच्छा वक्त...

🙏आज का सुविचार🙏
अच्छा वक़्त सिर्फ उसी का   होता है,​.
जो कभी किसी का बुरा नहीं सोचते !!​
सुख दुख तो अतिथि है,​.
.   बारी बारी से आयेंगे चले जायेंगे..​
यदि वो नहीं आयेंगे तो हम​
       ​अनुभव कहां से लायेंगे।​
जिन्दगी को खुश रहकर जिओ
क्योकि रोज शाम सिर्फ सूरज ही नही ढलता आपकी अनमोल जिन्दगी भी ढलती है
     🙏🏻 सुप्रभात🙏🏼

December 14, 2019

प्रयत्न करें...

🌷🌸Good morning🌸🌷
🌹प्रयत्न करने से कभी न चूकें..!
           हिम्मत नहीं तो प्रतिष्ठा नहीं,
           विरोधी नहीं तो प्रगति नहीं..!!🌹
🌹 जो पानी में भीगेगा
वो सिर्फ लिबास बदल सकता है
लेकिन जो पसीने में भीगता है वो
इतिहास बदल सकता है.🌹
 
🌹🌴🍀सुप्रभात🍀🌴🌹
🌿आप का दिन शुभ हो🌿

December 13, 2019

बस आज है ज़िन्दगी....

पाने को कुछ नहीं,
ले जाने को कुछ नहीं;
उड़ जाएंगे एक दिन...
तस्वीर से रंगों की तरह!

हम वक्त की टहनी पर...
बैठे हैं परिंदों की तरह !!

ना राज़ है... “ज़िन्दगी”
ना नाराज़ है... “ज़िन्दगी";
बस जो है, वो आज है... “ज़िन्दगी”
 
🙏🏻💐 शुभ प्रभात 💐🙏🏻

December 12, 2019

बिन माँगे सब मिल जायेगा !

🌷🕊🦢☀🦢🕊🌷
प्रभु कहते है....!!
होती आरती, बजते शंख,
पूजा में सब खोए है,
मंदिर के बाहर तो देखो,
भूखे बच्चे सोए है |
एक निवाला इनको देना,
प्रसाद मुझे चढ जायेगा,
मेरे दर पर माँगने वाले,
तुझे बिन माँगे सब मिल जायेगा !
🌷राधे राधे जी🙏
(एक व्हाट्सएप संदेश)

December 11, 2019

मत कहना, हम ओल्ड हो गये!

(व्हाट्सएपपर प्राप्त एक कविता   )

मत कहना, हम ओल्ड हो गये!
हम तो तपकर गोल्ड हो गये।

जीवन के झंझावातों  से
लड़ना, हमने मिलकर सीखा,
कैसे-कैसे मोड़  से  गुजरे,
आगे बढ़ना हमने सीखा।

अनुभवों का अब साथ  समंदर,
है न अब, चुनौती का डर.
जो आयेगा, टल जायेगा,
हम तो भाई, बोल्ड हो गये।

अब जीवन के नये रंग हैं,
नयी पीढ़ी के नये ढंग हैं.
पर बच्चों का, अपनों का भी,
प्यारा-प्यारा संग, संग है।

जीवन की यह सांझ सुनहरी,
ढल गई वह बीती दोपहरी.
नयी हैं राहें, नयी निगाहें,
करने को मन कुछ खुद  चाहे.
खुलकर जी लें, खुलकर हँस लें.
बस जीवन यह कहना चाहे।

सचमुच हम तो बोल्ड हो  गये.

मत कहना हम ओल्ड हो गये!
हम तो तपकर गोल्ड हो गये।

December 10, 2019

परेशाँ जिंदगी..

जिंदगी ने  कुछ इस तरह
परेशाँ कर दिया हमें
न सुख से जी सकते है
न चैन से मर सकते हैं।

December 9, 2019

खुशियाँ बाँट रहे हैं......

🌻🌼🌞🌞🌼🌻🌻🌼🌞🌞🌼🌻
             🙏🙏 सुप्रभात🙏🙏
🌻🌼🌞🌞🌼🌻🌻🌼🌞🌞🌼🌻
खुशियाँ बटोरते बटोरते उम्र गुजर गई 
लेकिन खुश न हो सके... 

एक दिन अहसास हुआ कि 
खुश तो वे लोग हैं 
जो खुशियाँ बाँट रहे हैं।
🌻🌼🌞🌞🌼🌻🌻🌼🌞🌞🌼🌻
🙏 सुप्रभात 🙏
🌻🌼🌞🌞🌼🌻🌻🌼🌞🌞🌼🌻

December 8, 2019

आत्म मूल्यांकन...

आत्म मूल्यांकन

एक बार एक व्यक्ति कुछ पैसे निकलवाने के लिए बैंक में गया। जैसे ही कैशियर ने पेमेंट दी कस्टमर ने चुपचाप उसे अपने बैग में रखा और चल दिया। उसने एक लाख चालीस हज़ार रुपए निकलवाए थे। उसे पता था कि कैशियर ने ग़लती से एक लाख चालीस हज़ार रुपए देने के बजाय एक लाख साठ हज़ार रुपए उसे दे दिए हैं लेकिन उसने ये आभास कराते हुए कि उसने पैसे गिने ही नहीं और कैशियर की ईमानदारी पर उसे पूरा भरोसा है चुपचाप पैसे रख लिए।

इसमें उसका कोई दोष था या नहीं लेकिन पैसे बैग में रखते ही 20,000 अतिरिक्त रुपयों को लेकर उसके मन में  उधेड़ -बुन शुरू हो गई। एक बार उसके मन में आया कि फालतू पैसे वापस लौटा दे लेकिन दूसरे ही पल उसने सोचा कि जब मैं ग़लती से किसी को अधिक पेमेंट कर देता हूँ तो मुझे कौन लौटाने आता है???

बार-बार मन में आया कि पैसे लौटा दे लेकिन हर बार दिमाग कोई न कोई बहाना या कोई न कोई वजह दे देता पैसे न लौटाने की।

लेकिन इंसान के अन्दर सिर्फ दिमाग ही तो नहीं होता… दिल और अंतरात्मा भी तो होती है… रह-रह कर उसके अंदर से आवाज़ आ रही थी कि तुम किसी की ग़लती से फ़ायदा उठाने से नहीं चूकते और ऊपर से बेईमान न होने का ढोंग भी करते हो। क्या यही ईमानदारी है?

उसकी बेचैनी बढ़ती जा रही थी। अचानक ही उसने बैग में से बीस हज़ार रुपए निकाले और जेब में डालकर बैंक की ओर चल दिया।

उसकी बेचैनी और तनाव कम होने लगा था। वह हल्का और स्वस्थ अनुभव कर रहा था। वह कोई बीमार थोड़े ही था लेकिन उसे लग रहा था जैसे उसे किसी बीमारी से मुक्ति मिल गई हो। उसके चेहरे पर किसी जंग को जीतने जैसी प्रसन्नता व्याप्त थी।

रुपए पाकर कैशियर ने चैन की सांस ली। उसने कस्टमर को अपनी जेब से हज़ार रुपए  निकालकर उसे देते हुए कहा, ‘‘भाई साहब आपका बहुत-बहुत आभार! आज मेरी तरफ से बच्चों के लिए मिठाई ले जाना। प्लीज़ मना मत करना।”

‘‘भाई आभारी तो मैं हूँ आपका और आज मिठाई भी मैं ही आप सबको खिलाऊँगा, ’’ कस्टमर ने बोला।

कैशियर ने पूछा, ‘‘ भाई आप किस बात का आभार प्रकट कर रहे हो और किस ख़ुशी में मिठाई खिला रहे हो?’’

कस्टमर ने जवाब दिया,  ‘‘आभार इस बात का कि बीस हज़ार के चक्कर ने मुझे आत्म-मूल्यांकन का अवसर प्रदान किया। आपसे ये ग़लती न होती तो न तो मैं द्वंद्व में फँसता और न ही उससे निकल कर अपनी लोभवृत्ति पर क़ाबू पाता। यह बहुत मुश्किल काम था। घंटों के द्वंद्व के बाद ही मैं जीत पाया। इस दुर्लभ अवसर के लिए आपका आभार।”

मित्रों, कहाँ तो वो लोग हैं जो अपनी ईमानदारी का पुरस्कार और प्रशंसा पाने का अवसर नही चूकते और कहाँ वो जो औरों को पुरस्कृत करते हैं। ईमानदारी का कोई पुरस्कार नहीं होता अपितु ईमानदारी स्वयं में एक बहुत बड़ा पुरस्कार है। अपने लोभ पर क़ाबू पाना कोई सामान्य बात नहीं। ऐसे अवसर भी जीवन में सौभाग्य से ही मिलते हैं अतः उन्हें गंवाना नहीं चाहिए अपितु उनका उत्सव मनाना चाहिए।

December 7, 2019

भगवान पर भरोसा

व्हाट्सएप ग्रुप से प्राप्त बेहतरीन संदेश..
🙏🏻 भगवान पर भरोसा :

एक पुरानी सी इमारत में था वैद्यजी का मकान था। पिछले हिस्से में रहते थे और अगले हिस्से में दवाख़ाना खोल रखा था। उनकी पत्नी की आदत थी कि दवाख़ाना खोलने से पहले उस दिन के लिए आवश्यक सामान एक चिठ्ठी में लिख कर दे देती थी। वैद्यजी गद्दी पर बैठकर पहले भगवान का नाम लेते फिर वह चिठ्ठी खोलते। पत्नी ने जो बातें लिखी होतीं, उनके भाव देखते , फिर उनका हिसाब करते। फिर परमात्मा से प्रार्थना करते कि हे भगवान ! मैं केवल तेरे ही आदेश के अनुसार तेरी भक्ति छोड़कर यहाँ दुनियादारी के चक्कर में आ बैठा हूँ। वैद्यजी कभी अपने मुँह से किसी रोगी से फ़ीस नहीं माँगते थे। कोई देता था, कोई नहीं देता था किन्तु एक बात निश्चित थी कि ज्यों ही उस दिन के आवश्यक सामान ख़रीदने योग्य पैसे पूरे हो जाते थे, उसके बाद वह किसी से भी दवा के पैसे नहीं लेते थे चाहे रोगी कितना ही धनवान क्यों न हो।

एक दिन वैद्यजी ने दवाख़ाना खोला। गद्दी पर बैठकर परमात्मा का स्मरण करके पैसे का हिसाब लगाने के लिए आवश्यक सामान वाली चिट्ठी खोली तो वह चिठ्ठी को एकटक देखते ही रह गए। एक बार तो उनका मन भटक गया। उन्हें अपनी आँखों के सामने तारे चमकते हुए नज़र आए किन्तु शीघ्र ही उन्होंने अपनी तंत्रिकाओं पर नियंत्रण पा लिया। आटे-दाल-चावल आदि के बाद पत्नी ने लिखा था, *"बेटी का विवाह 20 तारीख़ को है, उसके दहेज का सामान।"* कुछ देर सोचते रहे फिर बाकी चीजों की क़ीमत लिखने के बाद दहेज के सामने लिखा, '' *यह काम परमात्मा का है, परमात्मा जाने।*''

एक-दो रोगी आए थे। उन्हें वैद्यजी दवाई दे रहे थे। इसी दौरान एक बड़ी सी कार उनके दवाखाने के सामने आकर रुकी। वैद्यजी ने कोई खास तवज्जो नहीं दी क्योंकि कई कारों वाले उनके पास आते रहते थे। दोनों मरीज दवाई लेकर चले गए। वह सूटेड-बूटेड साहब कार से बाहर निकले और नमस्ते करके बेंच पर बैठ गए। वैद्यजी ने कहा कि अगर आपको अपने लिए दवा लेनी है तो इधर स्टूल पर आएँ ताकि आपकी नाड़ी देख लूँ और अगर किसी रोगी की दवाई लेकर जाना है तो बीमारी की स्थिति का वर्णन करें। 

वह साहब कहने लगे "वैद्यजी! आपने मुझे पहचाना नहीं। मेरा नाम कृष्णलाल है लेकिन आप मुझे पहचान भी कैसे सकते हैं? क्योंकि मैं 15-16 साल बाद आपके दवाखाने पर आया हूँ। आप को पिछली मुलाकात का हाल सुनाता हूँ, फिर आपको सारी बात याद आ जाएगी। जब मैं पहली बार यहाँ आया था तो मैं खुद नहीं आया था अपितु ईश्वर मुझे आप के पास ले आया था क्योंकि ईश्वर ने मुझ पर कृपा की थी और वह मेरा घर आबाद करना चाहता था। हुआ इस तरह था कि मैं कार से अपने पैतृक घर जा रहा था। बिल्कुल आपके दवाखाने के सामने हमारी कार पंक्चर हो गई। ड्राईवर कार का पहिया उतार कर पंक्चर लगवाने चला गया। आपने देखा कि गर्मी में मैं कार के पास खड़ा था तो आप मेरे पास आए और दवाखाने की ओर इशारा किया और कहा कि इधर आकर कुर्सी पर बैठ जाएँ। अंधा क्या चाहे दो आँखें और कुर्सी पर आकर बैठ गया। ड्राइवर ने कुछ ज्यादा ही देर लगा दी थी। 

एक छोटी-सी बच्ची भी यहाँ आपकी मेज़ के पास खड़ी थी और बार-बार कह रही थी, '' चलो न बाबा, मुझे भूख लगी है। आप उससे कह रहे थे कि बेटी थोड़ा धीरज धरो, चलते हैं। मैं यह सोच कर कि इतनी देर से आप के पास बैठा था और मेरे ही कारण आप खाना खाने भी नहीं जा रहे थे। मुझे कोई दवाई खरीद लेनी चाहिए ताकि आप मेरे बैठने का भार महसूस न करें। मैंने कहा वैद्यजी मैं पिछले 5-6 साल से इंग्लैंड में रहकर कारोबार कर रहा हूँ। इंग्लैंड जाने से पहले मेरी शादी हो गई थी लेकिन अब तक बच्चे के सुख से वंचित हूँ। यहाँ भी इलाज कराया और वहाँ इंग्लैंड में भी लेकिन किस्मत ने निराशा के सिवा और कुछ नहीं दिया।" 

आपने कहा था, "मेरे भाई! भगवान से निराश न होओ। याद रखो कि उसके कोष में किसी चीज़ की कोई कमी नहीं है। आस-औलाद, धन-इज्जत, सुख-दुःख, जीवन-मृत्यु सब कुछ उसी के हाथ में है। यह किसी वैद्य या डॉक्टर के हाथ में नहीं होता और न ही किसी दवा में होता है। जो कुछ होना होता है वह सब भगवान के आदेश से होता है। औलाद देनी है तो उसी ने देनी है। मुझे याद है आप बातें करते जा रहे थे और साथ-साथ पुड़िया भी बनाते जा रहे थे। सभी दवा आपने दो भागों में विभाजित कर दो अलग-अलग लिफ़ाफ़ों में डाली थीं और फिर मुझसे पूछकर आप ने एक लिफ़ाफ़े पर मेरा और दूसरे पर मेरी पत्नी का नाम लिखकर दवा उपयोग करने का तरीका बताया था।

मैंने तब बेदिली से वह दवाई ले ली थी क्योंकि मैं सिर्फ कुछ पैसे आप को देना चाहता था। लेकिन जब दवा लेने के बाद मैंने पैसे पूछे तो आपने कहा था, बस ठीक है। मैंने जोर डाला, तो आपने कहा कि आज का खाता बंद हो गया है। मैंने कहा मुझे आपकी बात समझ नहीं आई। इसी दौरान वहां एक और आदमी आया उसने हमारी चर्चा सुनकर मुझे बताया कि खाता बंद होने का मतलब यह है कि आज के घरेलू खर्च के लिए जितनी राशि वैद्यजी ने भगवान से माँगी थी वह ईश्वर ने उन्हें दे दी है। अधिक पैसे वे नहीं ले सकते। 

मैं कुछ हैरान हुआ और कुछ दिल में लज्जित भी कि मेरे विचार कितने निम्न थे और यह सरलचित्त वैद्य कितना महान है। मैंने जब घर जा कर पत्नी को औषधि दिखाई और सारी बात बताई तो उसके मुँह से निकला वो इंसान नहीं कोई देवता है और उसकी दी हुई दवा ही हमारे मन की मुराद पूरी करने का कारण बनेंगी। आज मेरे घर में दो फूल खिले हुए हैं। हम दोनों पति-पत्नी हर समय आपके लिए प्रार्थना करते रहते हैं। इतने साल तक कारोबार ने फ़ुरसत ही न दी कि स्वयं आकर आपसे धन्यवाद के दो शब्द ही कह जाता। इतने बरसों बाद आज भारत आया हूँ और कार केवल यहीं रोकी है।

वैद्यजी हमारा सारा परिवार इंग्लैंड में सेटल हो चुका है। केवल मेरी एक विधवा बहन अपनी बेटी के साथ भारत में रहती है। हमारी भान्जी की शादी इस महीने की 21 तारीख को होनी है। न जाने क्यों जब-जब मैं अपनी भान्जी के भात के लिए कोई सामान खरीदता था तो मेरी आँखों के सामने आपकी वह छोटी-सी बेटी भी आ जाती थी और हर सामान मैं दोहरा खरीद लेता था। मैं आपके विचारों को जानता था कि संभवतः आप वह सामान न लें किन्तु मुझे लगता था कि मेरी अपनी सगी भान्जी के साथ जो चेहरा मुझे बार-बार दिख रहा है वह भी मेरी भान्जी ही है। मुझे लगता था कि ईश्वर ने इस भान्जी के विवाह में भी मुझे भात भरने की ज़िम्मेदारी दी है।

वैद्यजी की आँखें आश्चर्य से खुली की खुली रह गईं और बहुत धीमी आवाज़ में बोले, '' कृष्णलाल जी, आप जो कुछ कह रहे हैं मुझे समझ नहीं आ रहा कि ईश्वर की यह क्या माया है। आप मेरी श्रीमती के हाथ की लिखी हुई यह चिठ्ठी देखिये।" और वैद्यजी ने चिट्ठी खोलकर कृष्णलाल जी को पकड़ा दी। वहाँ उपस्थित सभी यह देखकर हैरान रह गए कि ''दहेज का सामान'' के सामने लिखा हुआ था '' यह काम परमात्मा का है, परमात्मा जाने।''

काँपती-सी आवाज़ में वैद्यजी बोले, "कृष्णलाल जी, विश्वास कीजिये कि आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ कि पत्नी ने चिठ्ठी पर आवश्यकता लिखी हो और भगवान ने उसी दिन उसकी व्यवस्था न कर दी हो। आपकी बातें सुनकर तो लगता है कि भगवान को पता होता है कि किस दिन मेरी श्रीमती क्या लिखने वाली हैं अन्यथा आपसे इतने दिन पहले ही सामान ख़रीदना आरम्भ न करवा दिया होता परमात्मा ने। वाह भगवान वाह! तू महान है तू दयावान है। मैं हैरान हूँ कि वह कैसे अपने रंग दिखाता है।"

वैद्यजी ने आगे कहा,सँभाला है, एक ही पाठ पढ़ा है कि सुबह परमात्मा का आभार करो, शाम को अच्छा दिन गुज़रने का आभार करो, खाते समय उसका आभार करो, सोते समय उसका आभार करो।

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December 6, 2019

सोच का प्रभाव

सोच का प्रभाव
         मन पर होता है
मन का प्रभाव
         तन पर होता है

तन और मन दोनों  का प्रभाव
       सारे जीवन पर होता है
        
 इसलिये सदा अच्छा सोचें और खुश रहें.....हंसते मुस्कराते रहिये .....
                🙏सुप्रभात🙏
      💐 आपका दिन मंगलमय हो 💐

December 5, 2019

गुस्सा....

गुस्सा           
बंद दुकान में कहीं से घूमता फिरता एक सांप घुस गया। दुकान में रखी एक आरी से टकराकर सांप मामूली सा जख्मी हो गया। 

घबराहट में सांप ने पलट कर आरी पर पूरी ताक़त से डंक मार दिया जिस कारण उसके मुंह से खून बहना शुरू हो गया। 

अब की बार सांप ने अपने व्यवहार के अनुसार आरी से लिपट कर उसे जकड़ कर और दम घोंट कर मारने की पूरी कोशिश कर डाली। 

अब सांप अपने गुस्से की वजह से बुरी तरह घायल हो गया।

दूसरे दिन जब दुकानदार ने दुकान खोली तो सांप को आरी से लिपटा मरा हुआ पाया जो किसी और कारण से नहीं केवल अपनी तैश और गुस्से की भेंट चढ़ गया था। 

कभी कभी गुस्से में हम दूसरों को हानि पहुंचाने की कोशिश करते हैं मगर समय बीतने के बाद हमें पता चलता है कि हमने अपने आप का ज्यादा नुकसान किया है।

अब इस कहानी का सार ये है कि

अच्छी जिंदगी के लिए कभी कभी हमें, 
कुछ चीजों को, 
कुछ लोगों को, 
कुछ घटनाओं को, 
कुछ कामों को और 
कुछ बातों को 
इग्नोर करना चाहिए। 

अपने आपको मानसिक मजबूती के साथ इग्नोर करने का आदी बनाइये।

जरूरी नहीं कि हम हर एक्शन का एक रिएक्शन दिखाएं।

हमारे कुछ रिएक्शन हमें केवल नुकसान ही नहीं पहुंचाएंगे बल्कि हो सकता है कि हमारी जान ही ले लें। 

सबसे बड़ी शक्ति सहन शक्ति है।

December 4, 2019

जीने के लिये......

✍क्या खूब कहा है🌷
"आसमां में मत दूंढ अपने सपनो को,
सपनो के लिए तो ज़मी जरूरी है,🌷
 सब कुछ मिल जाए तो जीने का क्या मज़ा, जीने के लिये एक कमी भी जरूरी है".

     🌷 GOOD MORNING 🌷

December 3, 2019

खुशियाँ

✍🏼

दाम ऊंचे हो सकते हैं
ख़्वाहिशों के

मगर ख़ुशियाँ
हरगिज़ महंगी नही होती...

सुप्रभात

December 2, 2019

मौत...

मौत भी क्या खूबसुरत होगी यारो
जो गले लगा लेता है
जीना ही छोड देता है।


December 1, 2019

मैं, मैं और मैं..

जंगल जंगल ढूँढ रहा है..मृग अपनी कस्तूरी...।

कितना मुश्किल है तय करना ...खुद से खुद की दूरी....।

भीतर शून्य.. !
बाहर शून्य.. !
शून्य चारो ओर है ..!
   
मैं नहीं हूं, मुझमें फिर भी "मैं - मैं" का ही शोर है।

🙏🏻सुप्रभात🙏🏻