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December 1, 2019

मैं, मैं और मैं..

जंगल जंगल ढूँढ रहा है..मृग अपनी कस्तूरी...।

कितना मुश्किल है तय करना ...खुद से खुद की दूरी....।

भीतर शून्य.. !
बाहर शून्य.. !
शून्य चारो ओर है ..!
   
मैं नहीं हूं, मुझमें फिर भी "मैं - मैं" का ही शोर है।

🙏🏻सुप्रभात🙏🏻

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