(व्हाट्सएपपर प्राप्त एक कविता )
मत कहना, हम ओल्ड हो गये!
हम तो तपकर गोल्ड हो गये।
जीवन के झंझावातों से
लड़ना, हमने मिलकर सीखा,
कैसे-कैसे मोड़ से गुजरे,
आगे बढ़ना हमने सीखा।
अनुभवों का अब साथ समंदर,
है न अब, चुनौती का डर.
जो आयेगा, टल जायेगा,
हम तो भाई, बोल्ड हो गये।
अब जीवन के नये रंग हैं,
नयी पीढ़ी के नये ढंग हैं.
पर बच्चों का, अपनों का भी,
प्यारा-प्यारा संग, संग है।
जीवन की यह सांझ सुनहरी,
ढल गई वह बीती दोपहरी.
नयी हैं राहें, नयी निगाहें,
करने को मन कुछ खुद चाहे.
खुलकर जी लें, खुलकर हँस लें.
बस जीवन यह कहना चाहे।
सचमुच हम तो बोल्ड हो गये.
मत कहना हम ओल्ड हो गये!
हम तो तपकर गोल्ड हो गये।
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