" कुछ पल"
मेरे अपने विचारों पर आधारित मेरा अपना ब्लॉग
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December 25, 2019
उम्मिद...
उम्मिदों के गुब्बारे से लटकता जिद्दी और जिंदगी जी रहा एक जिंदा इंसान हुँ मैं
कब उम्मिदों का गुब्बारा फट जाएँ
और जमीं पर ला पटक घायल कर दें पता नहीं।
रचनाकार: रवींद्र "रवी" कोष्टी
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