गुस्सा
बंद दुकान में कहीं से घूमता फिरता एक सांप घुस गया। दुकान में रखी एक आरी से टकराकर सांप मामूली सा जख्मी हो गया।
घबराहट में सांप ने पलट कर आरी पर पूरी ताक़त से डंक मार दिया जिस कारण उसके मुंह से खून बहना शुरू हो गया।
अब की बार सांप ने अपने व्यवहार के अनुसार आरी से लिपट कर उसे जकड़ कर और दम घोंट कर मारने की पूरी कोशिश कर डाली।
अब सांप अपने गुस्से की वजह से बुरी तरह घायल हो गया।
दूसरे दिन जब दुकानदार ने दुकान खोली तो सांप को आरी से लिपटा मरा हुआ पाया जो किसी और कारण से नहीं केवल अपनी तैश और गुस्से की भेंट चढ़ गया था।
कभी कभी गुस्से में हम दूसरों को हानि पहुंचाने की कोशिश करते हैं मगर समय बीतने के बाद हमें पता चलता है कि हमने अपने आप का ज्यादा नुकसान किया है।
अब इस कहानी का सार ये है कि
अच्छी जिंदगी के लिए कभी कभी हमें,
कुछ चीजों को,
कुछ लोगों को,
कुछ घटनाओं को,
कुछ कामों को और
कुछ बातों को
इग्नोर करना चाहिए।
अपने आपको मानसिक मजबूती के साथ इग्नोर करने का आदी बनाइये।
जरूरी नहीं कि हम हर एक्शन का एक रिएक्शन दिखाएं।
हमारे कुछ रिएक्शन हमें केवल नुकसान ही नहीं पहुंचाएंगे बल्कि हो सकता है कि हमारी जान ही ले लें।
सबसे बड़ी शक्ति सहन शक्ति है।
7 comments:
जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार ६ दिसंबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
क्रूरता के ख़िलाफ़ हर गुस्सा जायज़ है।
हर रिएक्शन जरूरी है। लेकिन फ़िजूल का गुस्सा नुकसानदेह हो जाता है।
सुंदर रचना।
पधारें 👉👉 मेरा शुरुआती इतिहास
बहुत सुंदर सार्थक संदेश देती लघु कथा ।
वाह!!क्या बात कही है आपने । हर एक्शन का रिएक्शन देने से पहले अगर कुछ क्षणों के लिए रुका जाए तो रिएक्शन बदल जाता है ।
धन्यवाद श्वेता जी
धन्यवाद रोहितासजी।
आभार शुभाजी।
Post a Comment