मैंने बहुत बार
ऐसा कहते सूना है लोगो को
की सवेरे देखे जाने वाले सपने
अक्सर सच होते है।
जब से सूना है
तब से ही मै रोज सवेरे कोई अच्छा सा सपना देखु
ऐसा दिन में देखे सपने में सोचता हूँ
और
रोज रात बिस्तर पर लेटते ही
हसीन सपनों के ख्वाब रंगने लगता हूँ
ख्वाब के रंग में रंगते ही मुझे नींद आ जाती है
और रात भर नींद में ही
सवेरे कोई हसीन ख्वाब देखने के
ख्वाब देखने लगता हूँ
सुबह होते होते
एक हसीन ख्वाब दिखाई देने लगता है।
ख्वाब में
किसी हसीना के हसीन पैरों की आहट सुनाई देती है
और
ख्वाब में ही मै
उसको देखने के लिए तैयार होता हूँ।
पर हाय रे नशीब,
उस हसीना के पैरों की उंगली
जैसे ही दिखाई देती है
कानों में
बीबी की झंकार सुनाई देती है
और मै बौखलाकर जागृत हो जाता हूँ,
उस समय सुबह के छह बज चुके होते है
और मेरा सपना अधूरा ही रह जाता है।
ऐसा अक्सर होता है दोस्तों
खैर
होनी को कौन टाल सकता है भला
तकदीर अपनी अपनी
सपने अपने अपने
ऐसा कहते सूना है लोगो को
की सवेरे देखे जाने वाले सपने
अक्सर सच होते है।
जब से सूना है
तब से ही मै रोज सवेरे कोई अच्छा सा सपना देखु
ऐसा दिन में देखे सपने में सोचता हूँ
और
रोज रात बिस्तर पर लेटते ही
हसीन सपनों के ख्वाब रंगने लगता हूँ
ख्वाब के रंग में रंगते ही मुझे नींद आ जाती है
और रात भर नींद में ही
सवेरे कोई हसीन ख्वाब देखने के
ख्वाब देखने लगता हूँ
सुबह होते होते
एक हसीन ख्वाब दिखाई देने लगता है।
ख्वाब में
किसी हसीना के हसीन पैरों की आहट सुनाई देती है
और
ख्वाब में ही मै
उसको देखने के लिए तैयार होता हूँ।
पर हाय रे नशीब,
उस हसीना के पैरों की उंगली
जैसे ही दिखाई देती है
कानों में
बीबी की झंकार सुनाई देती है
और मै बौखलाकर जागृत हो जाता हूँ,
उस समय सुबह के छह बज चुके होते है
और मेरा सपना अधूरा ही रह जाता है।
ऐसा अक्सर होता है दोस्तों
खैर
होनी को कौन टाल सकता है भला
तकदीर अपनी अपनी
सपने अपने अपने
15 comments:
हर शब्द बहुत कुछ कहता हुआ, बेहतरीन अभिव्यक्ति के लिये बधाई
Very impressive ....
बहुत सशक्त -मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति
शुभकामनाएं
पर हाय रे नशीब
उस हसीना के पैरों की उंगली
जैसे ही दिखाई देती है
कानो में
बीबी की झंकार सुनाई देती है
और मै बौखलाकर जागृत हो जाता हू........
aksar aisa hota hai...
sunder prastuti.....
रविन्द्र जी ,ख्वाबो की दुनिया बहुत हसीन है ,पर वास्तविक धरातल पर ये अक्सर टूट ही जाते है, दुःख तो होगा ही ? हाय री ,किस्मत बीबी से तो निभानी ही पड़ेगी !
badhiyaa hai.....
"सुन्दर सपना बीत गया....!!"
कोई बात नहीं, आज फिर संकल्प कर के सोइयेगा कि
हसीना सपने में आ जाये,
और फिर न जाये..
लेकिन एक बार बीबी से अनुमति ज़रूर ले लीजियेगा...
वर्ना सुबह की चाय नहीं मिलेगी...
संजय और राजीव जी धन्यवाद!
पुनमजी अपने तो दुखती राग पर हात रखा दिया. अब हमें ख्वाब देखना भूलना होगा.
भाकुनिजी आपने सही कहा अक्सर ऐसा होता है.
सही कहा आपने दर्शनजी मनुष्य क्या करे बिचारा, निभाना तो पडता ही है.
व्यंगात्मक रचना
स्वयं को पढवा ही गयी ....
किसी खूबसूरत सपने-सी
खूबसूरत कृति .
वाह ... ख्वाब और सचाई में कितना फर्क होता है ...
सही कहा आपने. यह सभी की अनुभूति है.
दिगम्बरजी यही तो सच्चाई है!इसीलिए मैंने सभी को यह सच्चाई जताने की कोशिश की है.
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