कल रात घरवाली बोली
एजी, सुनते हो
(जब से महंगाई बरपाई है
मुझे एजी शब्द से डर लगने लगा है जी)
ये एजी शब्द कानो मे
पडते ही मुझे पसीना
छुटने लगा
मै कांपती आवाज मे बोला
एजी सुनाईये
उन्होने फरमाया
जरा बाजार हो आईये
मैने कहा ठीक है जी
हम हो आते है
और हम बिना चप्पल जुता
पहने, झोला लिये
खिसकने ही वाले थे
कि घरवाली बोली,
अजी क्या लेने चल पडे
मैने कहा आपने कहा तो
जरा बाजार के हाल हवाल ही जान लेते है,
नही जी, हाल हवाल नही
जरा एक किलो प्याज ले आइये
प्याज शब्द कानो मे
पडते देते ही मुझे
प्यास लगने लगी
मैने घरवाली से पानी मांगा
पानी देते हुए वो बोली
अजी प्याज का नाम सुनते ही
आपको प्यास क्यो लगने लगी
मै बोला
एजी पहले प्याज सिर्फ रुलाता था
आजकल
प्यास भी दिलाता है,
एजी, एक किलो प्याज का आप क्या करेंगी
अचार डालने के लिये अभी कैरी आना बाकी है,
वो बोली हा जी
ये प्याज मै सालभर
संभालकर रक्खुंगी
उसकी गंध बहुत तेज होती है
खाने के साथ डायनिंग टेबल पर
सजा गंध ले लेना
ये तो बहुत बढीया नुस्का है जी
चाहे जो भी भाव हो जाये
अभी प्याज का
हमे डर नही लगता
मै बोला
एजी लेकिन आप आमलेट कैसे बनओगी
अभी तक तो प्याज ही रुला रहा था
अब अंडा भी रुलाने लगा है
वो बोली हा जी
शायद
अब मुर्गी भी कम अंडे देने लगी है
उसे क्या मालुम उसके कम अंडे देने से
महंगाई बढेगी
मैने कहा हां जी
ये बात तो धरती, पेड, पौधे
किसी को भी नही मालुम
वरना डिजल, सब्जी, अनाज और फलो
के भाव भी आंसमान नही छुते
वो बोली
हा वो बेचारे क्या समझे इस बात को.
आखिर उसने प्याज मंगवाना टाल ही दिया
और हमने
घर मे आराम करना ही ठीक समझा.
18 comments:
बहोत बढिया जी.. :)
धन्यवाद हेरंब! आज आपने मेरे इस हिंदी ब्लॉग पर
आ हमे खुश कर दिया. हम आपके आभारी है.
रविन्द्र जी !
बहुत खूबसूरत व्यंग्य है । अब तो प्याज से बचे रहना ही ठीक है । आभार जी ।
धन्यवाद डॉ.साहब!
बहुत ही अच्छा व्यंग....
धन्यवाद विनाजी!
वाह! सुन्दर कविता है. रवीन्द्र जी अब सब सचमुच प्याज़ के आंसू रो रहे हैं.
आपका शुक्रगुजार हू वंदनाजी!
रवीन्द्र जी...अच्छा व्यंग....
प्याज़ खाना छोड़ दो.
पेट में गैस बनता है
निरामिष हो जाईये
जीव हत्या पाप है
महंगाई तो विकास के
मार्ग की सीढ़ी है.
मत रोड़ा अटकाईयेगा
यह तो गोल्बेलाइज़शन है
mast vyangya... rone se kya hoga, 1 kg pyaaj le hi aaiye
धन्यवाद रश्मिजी! मै आज ही १ किलो प्याज ले आयुंगा!
bahut khub kaha aapne dost aapka kathan bikul satye hai
धन्यवाद मिनाक्षिजी!
बहुत अच्छा व्यंग है ... सच में प्याज के साथ साथ बहुत कुछ और भी रुलाने वाला है आने वाले समय में ... .
दिगम्बरजी, आपके कहा और पेट्रोल ने रुला दिया!
sunder vyangya kavita
डॉ. मोनिका शर्माजी,शरद मोन्गाजी और दिलबाग विर्कजी आप सभी का मै शुक्रगुजार हू.
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