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January 4, 2011

ऐ जिन्दगी

जिन्दगी,
मेरी ख्वाहिश है
जरा तू भी तो जीवन जी के देख ले,
तुझे भी तो पता चले
जीवन जीना कोई बच्चो का खेल नहीं,
तुझे भी तो पता चले
जीवन जीने के लिए
कितने पापड बेलने पड़ते है
जिन्दगी,
तू भी तो समझ ले
जीवन में एक कतरा सुख पाने के लिए
कितने दुखो के अंगारों पे चलना पडता है,
तू भी देख ले जिंदगी
जीवन किस चिड़िया का नाम है,
जिन्दगी

8 comments:

Kush said...

bus yun hi surf karte hue aapke blog per ruk gya.. bahut sundar kavita hai! agar aapko samay mile to mere blog ko visit karne ka kast uthayen.. :)
kushkikritiyan.blogspot.com

रविंद्र "रवी" said...

दन्यवाद कुश. मै जरुर आपका ब्लॉग पढूंगा!

Minakshi Pant said...

जिंदगी के रेले मै रंजो गम के मेले हैं !
भीड़ है कयामत की फिर भी हम अकेले हैं !!

रविंद्र "रवी" said...

बहुत खूब मीनाक्षीजी!क्या बात कही है आपने!

kush said...

bahut khub sir :)

kush said...

bahut khub sir :)

kush said...

@ravindra ji== bahut aache..

--ज़िंदगी की उड़ान को भरने दो,

रास्ता कठिन सही उस पर चले चलो,

मत रूको तुम, मत डरो,

ना हार मानो, बस जीत मानाओ,

ना डरो किसी से, ना किसी से हारो तुम

जीयो शान से जी जान से तुम,

चट्टान को तोड़कर रास्ते बन्नते हे,

नदी के उपर से भी सब गुज़रते हे,

असंभव कुछ नही है,इस दूनाया इस संसार मे,

करो भरोसा खुद पर और ऊडो आसमान मे.

जसबात पर रखो कभू..

मान को भी ना होने दो बेकाबू ..

ज़िंदगी की उड़ान को भरने दो,

रास्ता कठिन सही उस पर चले चलो,

रविंद्र "रवी" said...

धन्यवाद कुश गुप्ताजी!