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धन्यवाद संजयजी!
bahut achche.
जिंदगी के रंग तो बहुत अनोखे हैं
आपका बहुत बहुत धन्यवाद मृदुलाजी और दिपजी!
रविनदर जी , आपकी दोनों ही रचनाऐ काबिल -ऐ - तारीफ है |आपने तो जिन्दगी के मायने ही बदल दिए .....साहिर साहब ने क्या खूब कहा है की -"जिन्दगी एक सुलगती -सी चिता है ' साहिर'शोला -बनती है न ये बुझ के धुँआ होती है |"
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6 comments:
धन्यवाद संजयजी!
bahut achche.
जिंदगी के रंग तो बहुत अनोखे हैं
आपका बहुत बहुत धन्यवाद मृदुलाजी और दिपजी!
रविनदर जी , आपकी दोनों ही रचनाऐ काबिल -ऐ - तारीफ है |
आपने तो जिन्दगी के मायने ही बदल दिए .....
साहिर साहब ने क्या खूब कहा है की -
"जिन्दगी एक सुलगती -सी चिता है ' साहिर'
शोला -बनती है न ये बुझ के धुँआ होती है |"
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