Digital Hindi Blogs



January 6, 2011

अजी सुनती हो!


अजी सुनती हो?
अन्दर से आवाज आई,' हां जी कहिये?'
'अजी मेरे सर में बहुत दर्द हो रहा है। जरा एक प्याला चाय मिलेगी तो अच्छा रहेगा.'
'ठीक है जी।' अन्दर से ही उसने कहा।
थोड़ी देर बाद वो चाय का प्याला लेकर आई। 'ये लीजिये।'
'लाइए।'
अब थोड़ी रहत मिली।'
'अजी सुनते हो।'
'क्या है अब।'
मै दबा दू?'
'अरे नहीं। तुम दबा दोगी तो तुम्हारा क्या होगा?'
'मेरा क्या होगा जी। थोडा पुण्य मिल जायेगा।'
'क्या कहा पुण्य मिलेगा!'
'हां हां थोडा पुण्य मिलेगा।'
'हे भगवान! मुझे बचालो इस औरत से।'
'अजी मैंने ऐसा क्या कह दिया की आप भगवान को बुलाने चल पड़े।'
'अभी तो तुमने कहा की दबाने से तुम्हे पुण्य मिलेगा।'
' हां तो इसमे बुरा ही क्या है। अपने पतिदेव की सेवा तो करना ही चाहिए।'
'क्या पतिदेव? और उसी का गला दबाने की बात कह रही हो।'
'क्या? मैंने ऐसा कब कहा जी?'
'तुम ही तो कह रही थी दबा दू?'
'हां वो तो मैंने सर दबा देने की बात कही थी।'
' मुझे माफ कर दो जी मैंने गलत समझा।'
कोई बात नहीं।'
थोड़ी देर बाद....
'अजी सुनते हो।'
'क्या है?'
'क्या पकाऊ?'
' ....'
'अजी मैंने कुछ पुछा आपसे।'
'.......................'
'कमाल के आदमी हो आप। आपकी बीबी आपसे कुछ पूछ रही है और आप है के जवाब ही नहीं दे रहे हो।'
'क्या जवाब दू? तुम पका तो रही हो।'
'अजी मै तो यहाँ आपके साथ बैठी हु। मै कह कुछ पका रही हु।'
'फिर क्या कर रही हो?'
उसने कुछ समझ नहीं आया ऐसी मुद्रा में उनकी तरफ देखा।
'अरे तुम मुझे क्यों पका रही हो?'
'अच्छा मै अब आपको पकाने लगी हु।'
'और क्या'
'हे भगवान मुझे इस इन्सान से बचालो।'
'मैंने क्या गलत कहा की तुमने भगवान को बुला लिया।'
'आपको अब मै अच्छी नहीं लगती हु।'
'अजी मैंने ऐसा तो नहीं कहा।'
'पति कभी खुल के पत्नी से ऐसा कैसे कहेंगे. इसलिए आड़े तिरछे शब्दों में कह ने की कोशिश करते है। क्या मै इतना भी नहीं समझती।'
'आरी भागवान, मुझे मुआफ कर दो। गलती हो गई। दुबारा ऐसा नहीं होगा।'
'ठीक है मुआफ कर दिया।'
थोड़ी देर बाद.....
'अजी आप काम कर रहे है तब तक मै ऊपर जाऊ।'
'जाओ जाओ जल्दी जाओ।'
'अभी थोड़ी देर में वापिस आ जाउंगी।'
'क्या?'
'हां वापिस आउंगी।'
'कैसे?'
'सीढियो से चल के।'
'क्या बात कराती हो। ऊपर जाने वाला कभी वापिस आता है भला। और वो भी सीढियो से।'
उसने रोना सुरु कर दिया,'हे भगवान, क्या हो गया है इस इन्सान को। नहीं नहीं अब आपको मै बिलकुल ही नहीं भांति। इसलिए मै अपने मायके चली जाती हु।'
'अरे मै तो मजाक कर रहा था!'
'..........'
'माफ कर दो बाबा।'

11 comments:

दर्शन कौर धनोय said...

वाह रविन्दर जी क्या खूब लिखा है- -'-अजी सुनती हो '
शादी के ३० साल बाद हमारा भी 'रोमांस' कुछ इसी तरह
से होता है | बधाई -----;)

रविंद्र "रवी" said...

अनुभव और क्या!

संजय भास्‍कर said...

रविन्दर जी
नमस्कार !
.शब्दों को चुन-चुन कर तराशा है आपने ...प्रशंसनीय रचना।

संजय भास्‍कर said...

खूबसूरत अभिव्यक्ति. शुभकामना

mridula pradhan said...

bahot achche.

***Punam*** said...

वास्तविकता से भरपूर....सुंदर शब्द रचना.....

रविंद्र "रवी" said...

संजयजी,मृदुलाजी और पूनमजी आपने हमारी यह कहानी पढ़ी और उसे सराहा,मै आपका शुक्रगुजार हू.

Creative Manch said...

बहुत बढ़िया
अच्छा लगा पढना
बधाई व आभार

रविंद्र "रवी" said...

धन्यवाद क्रिएटीव मंच!

लाल कलम said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति
बहुत बहुत धन्यवाद

रविंद्र "रवी" said...

आपका बहुत बहुत धन्यवाद दीपजी!