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November 4, 2019

💐बड़े दिन हो गए 💐

👌🏻👌🏻 बड़े दिन हो गए 👌🏻👌🏻

दोस्तों, पुराने वो बचन के दिनो की यादे हमेशा बुढापे मे भी सताती  है। अब सब कुछ है फिर भी वे दिन भुलाये नही भुलते. व्हाट्सएप पर इस बारे मे एक कविता किसी ने शेअर की थी। मन को भा गयी इसलिए यहाँ शेअर कर रहा हुँ।

इतने channels होने पर भी 
लगता है कुछ नहीं देखा 
चित्रहार देखने की इंतज़ार को 
बड़े दिन हो गए...!

अब ढेर सारे संगीत के माध्यम
फिर भी वो बिनाका गीत माला सुने 
बड़े दिन हो गए।

अब सुबह नाश्ते के लिए टेबल पर बहुत सारे आइटम,
सुबह चाय के साथ बासी पराठे खाये,
बड़े दिन हो गए।

अब 2 रोटी खाकर चिंता कि वजन न बढ़ जाये
वो स्कूल से लौटकर 5-5 रोटी खाये 
बड़े दिन हो गए.....।

ये बारिशें आजकल
रेनकोट में सूख जाती हैं... 
सड़कों पर छपाके उड़ाए 
बड़े दिन हो गए... ।

दोपहर से गायब होकर शाम देर से मिट्टी में सने हुए घर आना,
और वो माँ के दो थप्पड़ खाये,
बड़े दिन हो गए..।

अब सारे काम सोच समझ कर करता हूँ ज़िन्दगी में.... 
वो पहली गेंद पर बढ़कर छक्का लगाये 
बड़े दिन हो गए...।

वो ढ़ाई नंबर का क्वेश्चन पुतलियों में समझाना... 
किसी दोस्त  को नक़ल कराये 
बड़े दिन हो गए.... ।

जो कहना है
फेसबुक पर डाल देता हूँ.... 
किसी को चुपके से चिट्ठी पकड़ाए 
बड़े दिन हो गए.... ।

बड़ा होने का शौक भी
बड़ा था बचपन में.... 
काला चूरन मुंह में तम्बाकू सा दबाये 
बड़े दिन हो गए.... ।

आजकल खाने में मुझे
कुछ भी नापसंद नहीं.... 
वो मम्मी वाला अचार खाए
बड़े दिन हो गए.... ।

सुबह के सारे काम
अब रात में ही कर लेता हूँ.... 
सफ़ेद जूतों पर चाक लगाए 
बड़े दिन हो गए..... ।

लोग कहते हैं
अगला बड़ा सलीकेदार है.... 
दोस्त के झगड़े को अपनी लड़ाई बनाये
बड़े दिन हो गए..... ।

वो साइकल की सवारी
और ऑडी सा टशन... 
डंडा पकड़ कर कैंची चलाये
बड़े दिन हो गए.... ।

किसी इतवार खाली हो तो
आ जाना पुराने अड्डे पर... 
दोस्तों को दिल के शिकवे सुनाये 
बड़े दिन हो गए..........।
(कवी: अज्ञात )

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