दर्द कितने छिपाए रखोगे सीने मे
बस सीना खोल के बोल दो
कुछ माहौल बन जाए।
मौत आ भी जाए अगर चुपके से
दर्द ऐ दास्ताँ सुन
दर्द से वो भी अपनी ही जगह जम जाए।।
बस सीना खोल के बोल दो
कुछ माहौल बन जाए।
मौत आ भी जाए अगर चुपके से
दर्द ऐ दास्ताँ सुन
दर्द से वो भी अपनी ही जगह जम जाए।।
रविंद्र "रवि" कोष्टी
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