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November 23, 2011

काश जिंदगी...........

(दोस्तों जिंदगी इंसा कुछ इस कदर जीता है की उसे उसके मायने ही समझ नहीं आते. अभी अभी मुझे इस विषय पर एक कविता सूझी और उसे यहाँ आपकी खिदमत में पेश कर रहा हू. दि. २३/११/२०११))
काश जिंदगी खुशबू होती,
इंसा सारी जिंदगी
खुशबूदार जीवन व्यतीत करता.

काश जिंदगी आईना होती,

इंसा खुद को हर रोज
उसी आईने में निहारता
अपनी सारी बुराइया खुद जान जाता
और वक्त रहते उन्हें सुधार लेता,
लाखो करोडो के ख्वाब झूठे होते है
यह वक्त रहते खुद देख समझ पाता
और इत्मीनान से अपने परिवार के साथ
खुशहाल जिंदगी जी लेता
काश जिंदगी.............

12 comments:

Randhir Singh Suman said...

nice

Randhir Singh Suman said...

nice

रविंद्र "रवी" said...

Thanks Sumanji!!!!!!

संतोष पाण्डेय said...

bhavpoorn rachna ke liye badhai. kavita men jivan ki sachhai hai.

रविंद्र "रवी" said...

Thanks Santoshji!!

रजनीश तिवारी said...

बहुत अच्छी बात...

Rajput said...

काश जिंदगी आईना होती....
खुबसूरत अभिव्यक्ति

विभूति" said...

बहुत सुंदर मन के भाव ...
प्रभावित करती रचना ...

Dinesh pareek said...

आप की रचना बड़ी अच्छी लगी और दिल को छु गई
इतनी सुन्दर रचनाये मैं बड़ी देर से आया हु आपका ब्लॉग पे पहली बार आया हु तो अफ़सोस भी होता है की आपका ब्लॉग पहले क्यों नहीं मिला मुझे बस असे ही लिखते रहिये आपको बहुत बहुत शुभकामनाये
आप से निवेदन है की आप मेरे ब्लॉग का भी हिस्सा बने और अपने विचारो से अवगत करवाए
धन्यवाद्
दिनेश पारीक
http://dineshpareek19.blogspot.com/
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/

Dinesh pareek said...

आप की रचना बड़ी अच्छी लगी और दिल को छु गई
इतनी सुन्दर रचनाये मैं बड़ी देर से आया हु आपका ब्लॉग पे पहली बार आया हु तो अफ़सोस भी होता है की आपका ब्लॉग पहले क्यों नहीं मिला मुझे बस असे ही लिखते रहिये आपको बहुत बहुत शुभकामनाये
आप से निवेदन है की आप मेरे ब्लॉग का भी हिस्सा बने और अपने विचारो से अवगत करवाए
धन्यवाद्
दिनेश पारीक
http://dineshpareek19.blogspot.com/
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/

रविंद्र "रवी" said...

दिनेश जी, देर से ही सही आप हमारे यहाँ पधारे हमारी रचनाओ को सराहा, हमें बहुत आनंद हुआ. आपसे बिनती है युही "कुछ पल" आकर अपने विचार व्यक्त किया करे.
हमने पकी कविताये पढ़ी बहुत ही अच्छी लगी. धन्यवाद!!!

रविंद्र "रवी" said...

रजनीशजी और शुषमाजी आप दोनों का शुक्रिया!