Digital Hindi Blogs
September 28, 2021
जिंदगी .....
February 11, 2021
संगत
*हँसते हुए लोगो की संगत
सुगंध की दुकान जैसी होती है.!*
*कुछ न खरीदो तो भी शरीर को महका ही देती है..!!*
*सादगी परम सौंदर्य है,क्षमा उत्कृष्ट बल है..!*
*विनम्रता सबसे अच्छा तर्क है..!!*
*और अपनापन सर्वश्रेष्ठ रिश्ता है...!!*
*सुप्रभात*
🌄🌅☕☕🌄🌅
February 10, 2021
अपनें...
कोई हमारी*
*गलतियां निकालता है*
*तो हमें खुश होना चाहिए..!*
*क्योंकि*
*कोई तो है*
*जो हमें पूर्ण दोष रहित*
*बनाने के लिए*
*अपना दिमाग और*
*समय दे रहा है ।*
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*सुप्रभात*
🫖☕☕☕🙏🏻🙏🏻
February 6, 2021
रिश्तें
January 15, 2021
अभिमान
November 22, 2020
बिन माँगे मिल जाए....
November 21, 2020
आज का सुविचार
October 19, 2020
शानदार जीवन....
September 23, 2020
September 11, 2020
अदृश्य मदद
September 9, 2020
इज़हार.....
September 8, 2020
होमाफिस
लेकिन एक बात ध्यान देने लायक है. इसमें आय.टी क्षेत्र के ही ऐसे लोग है जिनको लोक डाउन और इस बीमारी का कोई खास असर नहीं पड़ा है. क्यों की सॉफ्टवेयर पर कही भी बैठकर काम किया जा सकता है. आपके पास बस एक लेपटॉप और इंटरनेट चाहिए। सफर में भी आप काम कर सकते है. इतना ही नहीं दुनिया के किसी भी कोने में आप हो तो भी आप काम कर सकते है. यही इस नौकरी की खाशियत है. इसलिए जब से लॉक डाउन हुआ है आय टी वाले घर बैठकर ही काम कर रहे है. घर जैसे ऑफिस हो गया हो. इसलिए मैंने घर को घर नहीं अब होमाफिश कहना बेहतर समझा है.
एक बात लेकिन खटकती है. घर में ऑफिस जैसी शांति का माहौल बनाना पड़ता है. क्योकि उन लोगो की ऑनलाइन मीटिंग होती रहती है. इसलिए घर में कोई आवाज नहीं कर सकता. ना गाना गाना . ना गुनगुनानाना. बस मुँह पर हाथ रख के चुपचाप बैठे रहना. टी व्ही नहीं, ना समाचार देखो ना सीरियल. इंसान करे तो क्या करे भाई? पागल ही होगा और क्या? कौन बोला भाई? अरे ये तो मेरा अपना दिल ही बोल रहा है. इस मोबाईल बनानेवाले का तहेदिल से शु क्रिया अदा करना चाहिए. अच्छा हुआ उसने यह अविष्कार दुनिया को दिया. काम से काम हम बूढ़े लोगो के काम तो आया. किताबे बहुत है घर में. लेकिन जब से स्मार्ट मोबाईल आया है तब से कोई भी किताब पढ़ना पसंद नहीं करता. अजी हाथ भी नहीं लगता कोई. चलो छोड़ो.
बच्चे जो आय टी में है एक कमरा अड़का के बैठ जाते है पूरा दिन. उस कमरे में दूसरे सभी को प्रवेश बंद रहता है . सिर्फ माँ को परमिशन रहती है. माँ चाय देना, माँ पानी देना, माँ खाना देना, फिर दोपहर की चाय फिर रात का खाना. और दिनभर बेचारे काम करा के थक जाते है इसलिए माँ रात में कोई काम नहीं बताती. बाप बेचारा पुरादिन काम करता रहता है. इस बुढ़ापे में लेकिन थकता नहीं. अजी थकता हो तो भी कौन सुननने वाला बाकि है इस दुनिया में.. एक माँ ही होती. जिसे अपना दुखडा सूना पाते थे. वो भी चली गयी. अब बस अकेले ही बतियाते रहो. कोई सुनाने वाला बचा ही नहीं. घरवाली तो सुनाने से रही. बतियाने के लिए मुँह खोला नहीं की चल देती है. वो शब्द मुँह में ही अटक के रह जाते है. बेचारे. पैदा होने से पहले की मर जाते है.
अच्छा इस कोरोना से पहले किसी बहाने बाहर घूमने या कहे कुछ खरीदने निकल पड़ते थे. पर इस लोक डाउन ने नहीं नहीं इस कोरोना ने वो रास्ता भी बंद कर दिया है. और उसे देखो तो. वो खुले आम दुनिया में घूम रहा है. कोई रोकटोक नहीं. किस की हिम्मत है जो उस बन्दे को रोक सके. अजी उससे फासला जो बनाना होता है. यदि कोई नजदीक आ भी जाये तो वही कह देता है की "कॄपया सामाजिक दुरी बना के रखिये. सरकारी नियमो का पालन करिये." बेचारे सभी दूर भाग जाते है.
इस लॉक डाउन सब से बुरा असर किसी पर पड़ा है ऐसा बोले तो वो बूढ़ो पर पड़ा है. क्यों की घर में २४ घंटे रहो तो घर वालो को बोझ लगते है. बहार निकालो तो कोरोना दबोचने के लिए तत्पर रहता है. बेचारे बूढ़े लोग जाए तो कहाँ जाए.
August 29, 2020
दिल की गहराई
August 3, 2020
हिंदी हमारी भाषा
हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा बडी गहन है। भावनाओं से ओतप्रोत। आपके मन मे जिस तरह के भाव चल रहे होते है बस उसी मिजास से शब्द आपके मुख से बाहर आते है। जैसे की आप बहुत घुस्से मे है तो आप अपने लाडले को बेटा कह कर नहीं बुलाओगे। उस समय वो भद्दा लगेगा। नहीं नहीं, भाई बेटा शब्द आपके मुख से निकलेगा ही नहीं। आप कहोगे ऐ छोकरे।
वैसे ही बेटे को पिताजी ने पैर मारा ऐसा कही कहा जाता है भला? उस समय लात मारी यही कहना उचित होता है और शोभा भी देता है।(पिताजी ने लात मारना यह पुराने जमाने की बात हो गयी अब।)
जब आप प्यार दुलार से बात करते हो तब आपके मुँह से बेटा जरा यहाँ आओ। ऐसे शब्द बाहर आयेंगे। उस समय ऐ छोकरे इधर आ ऐसा बिल्कुल भी नही कहोगे।
वैसे ही पत्नी जब पती को लाड प्यार से आवाज देती है तो अजी जरा सुनो तो ऐसे कहेगी। लेकिन जब गुस्से मे हो तब .......