Digital Hindi Blogs



October 14, 2019

खुशी.....🙂


(व्हाट्सएप पर प्राप्त एक कविता. अच्छी लगी सोचा शेअर कर दु।)

बहुत दिन बाद
पकड़ में आई...
थोड़ी सी खुशी...
तो पूछा ?

कहाँ रहती हो आजकल.... ?
ज्यादा मिलती नहीं..?

"यही तो हूँ"
जवाब मिला।

बहुत भाव
खाती हो खुशी ?..
कुछ सीखो
अपनी बहन से...
हर दूसरे दिन आती है
हमसे मिलने..  "परेशानी"।

आती तो मैं भी हूं...
पर आप ध्यान नही देते।

"अच्छा"...?

शिकायत होंठो पे थी कि.....
उसने टोक दिया बीच में.

मैं रहती हूँ..…
कभी आपकी बच्चे की
किलकारियो में,

कभी
रास्ते मे मिल जाती हूँ ..
एक दोस्त के रूप में,

कभी ...
एक अच्छी फिल्म
देखने में,

कभी...
गुम कर मिली हुई
किसी चीज़ में,

कभी...
घरवालों की परवाह में,

कभी ...
मानसून की
पहली बारिश में,

कभी...
कोई गाना सुनने में,

दरअसल...
थोड़ा थोड़ा
बाँट देती हूँ,
खुद को
छोटे छोटे पलों में....
उनके अहसासों में।
     
लगता है
चश्मे का नंबर
बढ़ गया है आपका...!
सिर्फ बड़ी चीज़ो में ही
ढूंढते हो मुझे.....!!!

खैर...
अब तो पता मालूम
हो गया ना मेरा...?
ढूंढ लेना मुझे
आसानी से अब
छोटी छोटी बातों में..."🙂

3 comments:

Sweta sinha said...

 जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 15 अक्टूबर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

अश्विनी ढुंढाड़ा said...

सब तरफ परेशानी और तन्हाई के बढ़ते वातावरण में खुशी जेसे गायब हो रही है


सही कहा आज खुश रहने के लिए खुशी ढूंढनी ही पड़ती है

सादर

मन की वीणा said...

बहुत सुंदर ।