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ऐ सांसों जरा आहिस्ता चलों अब बुढापा आ गया है इस आंगन में।१। धडकनों तुम भी थोडा सुस्ताना सिखों सफेदी से उजियारा छा गया है इस आंगन में।२।
रविंद्र "रवि" कोष्टी
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