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October 6, 2019

ऐ जिंदगी चल ऊठ.....

तू न थक ऐ जिंदगी,
अभी बहुत दूर तलक जाना है हमें,
तू ही तो है अकेली मेरी हमसफर
चल ऊठ ऐ जिंदगी
इतनी जल्दी थकना नही है हमें।।
तू भी थक जाएगी मेरे जैसी
तो मेरा हौसला अफजाई
कौन करेगा??
मुझे सहारा दे
इस ढलती उम्र मे
कौन है जो ले चलेगा
मेरी उंगली थाम
मुझे उस मंजिल तक
जहाँ तलक होता है
सबका सफर
ऐ जिंदगी
उसके बाद तो तूम भी
बेवफाई करने से नही
कतराओगी
अपना मुँह फेर
आँखे चुरा
मुझे अकेला छोड
चल दोगी
जैसा सब के साथ करती हो
ऐ जिंदगी!!!!

रविंद्र "रवि" कोष्टी

2 comments:

yashoda Agrawal said...

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 07 अक्टूबर 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

मन की वीणा said...

बहुत सुंदर सृजन ।
ऐ जिंदगी
उसके बाद तो तूम भी
बेवफाई करने से नही
कतराओगी
अपना मुँह फेर
आँखे चुरा
मुझे अकेला छोड
चल दोगी।
अनुपम।