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March 19, 2010

उजड़ा हुआ चमन

तस्वीर चाहता हु तुम्हारी केवल,
इस दिल में सजाये रखने को,
और कुछ नहीं चाहिए मुझे तुमसे,
बस एक झलक और देख लेने दो।

झाँक लो जरा इस टूटे हुए दिल में,
शायद तुम्हारे हुस्न को देख वो फिर से जुड़ जाए,
रख दो हथेली को इस धड़कते हुए सिने पर,
शायद यह तुफाँ भी शांत हो जाए।

दे दो दुआएं ऐ बहारों इन्हें,
दुनिया की सारी खुशियाँ मिल जाएँ,
लुट गया चमन मेरा रेगिस्तान बन गया,
खुदा करे मेरी उम्र भी उन्हें लग जाएँ।

( दोस्तों यह कविता मैंने दि. २८-०६-१९८० को लिखी थी.)

रविन्द्र रवि ( कोष्टी)

7 comments:

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

संजय भास्‍कर said...

ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है .

रविंद्र "रवी" said...

धन्यवाद संजयजी!

हरकीरत ' हीर' said...

तस्वीर चाहता हु तुम्हारी केवल,
इस दिल में सजाये रखने को,
और कुछ नहीं चाहिए मुझे तुमसे,
बस एक झलक और देख लेने दो।

१९८० की लिखी ये नज़्म इक यादगार ही तो है
इसी बहाने दो पल उन क्षणों में तो जी लिया ......

रविंद्र "रवी" said...

हरकीरतजी आपका बहुत बहुत शुक्रिया. बहुत दिनो बाद आपने इस नाचीज के ब्लॉग पर तशरिफ रखी.

रश्मि प्रभा... said...

दे दो दुआएं ऐ बहारों इन्हें,
दुनिया की साड़ी खुशियाँ मिल जाएँ,
लुट गया चमन मेरा रेगिस्तान बन गया,
खुदा करे मेरी उम्र भी उन्हें लग जाएँ।

सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति

रविंद्र "रवी" said...

आपका बहुत बहुत धन्यवाद रश्मिजी. आपने हमारे ब्लॉग को भेट देकर हमे बागबाग कर दिया.