Digital Hindi Blogs
January 14, 2010
मकर संक्रांति की शुभ कामनाये
दोस्तो आज मकर संक्रांति है. इस शुभ अवसर पार मी और मेरा परिवार आप सभी को और आपके सभी परिवार वालो को शुभाकमनाये देता हु.
January 9, 2010
ये क्या हो रहा है?
आजकल के बच्चे इतने समझदार हुये होंगे ये तो उनके माता पिताओ को भी मालूम नही होगा. पिछले कुछ दिनों में महाराष्ट्र में तक़रीबन १२ छोटे बड़े बछो ने आत्म हत्या की है. यह बहुत ही गंभीरता से सोचने वाली बात है. ये क्या हो गया है इन बच्चो को. क्यो इतने निराश हो रहे है ये बच्चे? मां बाप मजबूर हो गये है इस बात पर विचार करने पर. मै तो उन माता पिताओ को विनंती करना चाहता हु जिनके बच्चे छोटे की अपने बच्चो से प्यार से पेश आये. उनका मन बहुत कमजोर होता है. जो बात प्यार से बनती है वह घुस्से से नहीं बनती. घुस्सा करने से बच्चो के मन पर बुरा असर पड़ता है.सोचने वाली बात है कि ४ थी और ५ वी में जाने वाले बच्चे आत्महत्या करने को क्यो मजबूर हो गये? हर माँ बाप चाहते है की उनका बच्चा टाटा बिरला बने या अंबानी बने. ये कैसे हो सकता है. सोचिये यदि सब लोक करोडपति बन गए तो यह दुनिया कैसे चलेगी. दुनिया चलने के लिए हर तरह के लोगो की जरुरत होती है. सब लोक यदि पैसे वाले हो गए तो आपका घर बंधने के लिए मजदुर कहा से आयेंगे. आपके घर का काम कौन करेगा. आप तो कोर्द्पति हो गए होंगे तो जाहिर है करोड़ पति लोग खाना नहीं पका सकते बर्तन नहीं मांझ सकते फिर ये काम करेगा कौन? मेरे कहने का मतलब यह है की दुनिया में जिस तरह से अमीरों की जरुरत होती है वैसे ही गरीबो की जरुरत भी होती है. जैसे पुण्य होता है वैसे पाप भी होता है.जैसे पोजिटिव होता है वैसे निगेटिव भी होता ही है. उत्तर है तो उसके विरुद्ध दक्षिण है.
इसीलिए अपने बच्चो को ठीक से पढाये लेकिन उसपर अपनी मर्जी न थोपे. उसकी मर्जीसे भी थोडा बहुत करने दे.
इसीलिए अपने बच्चो को ठीक से पढाये लेकिन उसपर अपनी मर्जी न थोपे. उसकी मर्जीसे भी थोडा बहुत करने दे.
January 7, 2010
महबूबा
अगर तुम न आती
मेरी महबूबा
मेरी जिंदगी में
तो मेरा अस्तित्व क्या होता?
बंजर जमीं में एक सूखे पेड़
की भाँती खड़े होते,
अकेले ही अकेले
और जिंदगी के सिलसिले
यूँही चले होते सालों साल,
कभी न भरने वाले जख्म
गिले होते सालों साल।
मेरी महबूबा
मेरी जिंदगी में
तो मेरा अस्तित्व क्या होता?
बंजर जमीं में एक सूखे पेड़
की भाँती खड़े होते,
अकेले ही अकेले
और जिंदगी के सिलसिले
यूँही चले होते सालों साल,
कभी न भरने वाले जख्म
गिले होते सालों साल।
January 5, 2010
सजन रे झूठ मत बोलो
सब टी.व्ही. पर आजकल एक नया सिरिअल सुरु हुआ है जिसका नाम है,"सजन रे झूठ मत बोलो." बहुत ही बढ़िया सिरिअल है. जरुर देखिये. मनोरंजन अच्छा हो जाता है. नौकरी से थक के आने के बाद दिल और दिमाग था जाता है. यह सिरिअल और इसके पहले वाली तारक मेहता..... देखने से दिल को सुकून और शांति बहाल होती है.
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