"चलते चलते ठोकर लगना
गिरते गिरते संभलना
फिर भी गिर जाना
गिरते ही बौखलाना
हिम्मत बांध उठने की कोशिश
उठते उठते लडखडाना
फिर उठना कपडे झटकना
और चल पडना
अपने गंतव्य की ओर"
इसी का नाम तो
जिंदगी है
किसी ने पुछा जब मुझसे
मैंने बताई
जिंदगी की सच्चाई!
रविंद्र ""रवि " कोष्टी
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