Digital Hindi Blogs
September 30, 2011
September 24, 2011
तलाश...
पथ अगम मेरा
लक्ष्य अबोध है
नहीं है जो मंजिल मेरी
उसी की तलाश में
भटक रहा हु मै!!
एक बूंद प्यार की
जो प्यास बुझाएगी मेरी
अज्ञात है जो
उसी सुराही की तलाश में
भटक रहा हु मै!!
शांति मिले, छाया मिले
अपना कोई मिले मुझे
जो न मालुम
उसी वृक्ष की तलाश में
भटक रहा हु मै!!
September 18, 2011
चांद जैसा चेहरा
आज निंद आंखो से कोसो दूर है. करवटे बदलते बदलते थक गया और अचानक मन बहक गया. फिर सुझी ये चंद लाईने. बिस्तर उठ सिद्ध कम्प्युटर पे आ गया और यहा आपकी खिदमत में ओ लाईने पेश करा रहा हु. अभी रात के २ बज रहे है.
घनी जुल्फो से झांकता
उनका चेहरा देख
लगता है
जैसे
चांदनी रात में
घने बादलो के पीछे से
चांद झांक रहा हो
September 11, 2011
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