Digital Hindi Blogs



December 20, 2010

तनहा

कितने तनहा है हम उनके बिना,
किसी से कह भी नहीं सकते।
ये दुःख
ये दर्द
ये तन्हाई,
सह भी तो नहीं सकते।
या खुदा
कितने बद नशीब है हम,
वो सामने आ जाये तो भी
उसने दर्द- ये-हाल
कह भी  नहीं सकते।

11 comments:

***Punam*** said...

तन्हाई में कुछ ऐसा ही होता है..

उम्दा रचना...

हर दिल के करीब..

रविंद्र "रवी" said...

शायद आप ठीक फरमा रही है पुनमजी, धन्यवाद

Anonymous said...

thanks for following my blog of story
that is
http://chirag-lekhani.blogspot.com/

but now iam deleting this blog and the story of this blog is reposted on my poem blog that is

http://seemywords-chirag.blogspot.com/

and from now i will also post my stories on this blog.

you can check my daily life event blog
here

http://iamhereonlyforu.blogspot.com/
and in this at mere vichar tab you can find the blog for story and poem

thanks again

रविंद्र "रवी" said...

धन्यवाद चिरागजी! आपके सभी ब्लॉग बहुत अच्छे है.

संजय भास्‍कर said...

आदरणीय रवि जी..
नमस्कार !
..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती

संजय भास्‍कर said...

हमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..

रविंद्र "रवी" said...

धन्यवाद जी

DR.ASHOK KUMAR said...

लाजबाव कविता........सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए आभार जी ।

नववर्ष की शुभकामनायेँ ।

रविंद्र "रवी" said...

अशोक साहब आपको भि नववर्ष की शुभकामनाये!

http://anusamvedna.blogspot.com said...

खूबसूरत रचना .........

रविंद्र "रवी" said...

अनुजी आपका बहुत बहुत शुक्रिया!