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October 21, 2010

यादे

यदि हम ५० की उम्र पार कर चुके हो और अचानक बचपन का याने स्कुल के ज़माने का कोई दोस्त मिल जाए तो क्या होता है? जहा तक मुझे लगता है हर किसी को यह अनुभूति आती ही है। ऐसा होने हम पुराने ज़माने में मतलब स्कुल के ज़माने में खो जाते है। हमें बचपन के वो दिन याद आने लगते। और इससे भी बढ़कर एक बात कहना चाहता हु। यदि इस ५० साल की उमर में हमें हमारे स्कुल के टीचर मिल जाए तो सोने पे सुहागा हो जाता है। हम फुले नहीं समाते। और खुद को बच्चा समझने लगते।
दोस्तों ऐसा ही होता है जब हमारे सामने ऐसा कोई मिल जाए जो बचपन में हम से बड़ा हो तो ढलती उम्र में भी हम खुद को छोटा समझने लगते है जैसे बहुत ऊँचे कद वाले इन्सान के सामने नॉर्मल कद वाला कोई इंंसान खड़ा होता है तो वह खुद को बच्चा महसूस करने लगता है।
तो मेरा कहने का मतलब यह है की मुझे फेसबुक पर मेरे स्कुल के कुछ दोस्त और हमारे टीचर मिले और मै फुला न समाया।
इस तस्वीर में बाई तरफ हमारे गणित और भौतिक शास्त्र के टीचर श्री शर्मा सर है और दाहिनी तरफ हमारे रसायन शास्त्र के टीचर श्री रविन्द्र परांजपे सर है।
उनको देख मैंने उमर का हिसाब किया। उन दिनों हम स्कुल में थे तब मुझे याद है दोनों ही सर के बाल सफेदी की तरफ झुके हुए थे। कहने का मतलब ये है की उनकी उम्र तकरीबन ४५ या ५० की होगी जब हम ११ वी कक्षा में थे तब। हम १९७७ में ११ वी पास किये है। आज उस बात को ३३ साल हो चुके है। मतलब दोनों ही सरो की उम्र आज ८० से ऊपर होनी ही चाहिए। मुझे आश्चर्य इस बात है की इस उम्र में ये पुराने लोग कंप्यूटर पर कैसे आये। जबकि मैंने ऐसे जवान लोगो को देखा है जो कंप्यूटर को हाथ लगाने से भी डरते है.
मै अपने आप को धन्य मानता हु की मुझे ऐसे शिक्षक नशीब हुए।


12 comments:

ASHOK BAJAJ said...

बहुत अच्छा पोस्ट !

ग्राम-चौपाल में पढ़ें...........

अनाड़ी ब्लोगर का शतकीय पोस्ट http://www.ashokbajaj.com/

रविंद्र "रवी" said...

शुक्रिया बजाज साहब!

mridula pradhan said...

bahut achcha laga padhkar.

डॉ० डंडा लखनवी said...

सराहनीय लेखन........
+++++++++++++++++++
चिठ्ठाकारी के लिए, मुझे आप पर गर्व।
मंगलमय हो आपके, हेतु ज्योति का पर्व॥
सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी

रविंद्र "रवी" said...

धन्यवाद मृदुलाजी!

रविंद्र "रवी" said...

धन्यवाद लखनवी साहब!

Shikha Kaushik said...

sir ho to sharma sir jaise ! rochak post .

रविंद्र "रवी" said...

शिखाजी, आप शर्मा सर को पहचानती है? कही आप नेपानगर स्कुल से तो नहीं?

Unknown said...

रोचक लेख...परान्जपे सर जी को और मेसेज भेज के देखिये शयद वे भी अब रिप्लायी दे दे...

रविंद्र "रवी" said...

आपका आदेश सर् आंखो पर मायाजी!

Unknown said...

Ravi achha ekpost he. Ek bar apne bachpan aur purane dosto per bhi likho.

Unknown said...

Ravi achha post he. Ek bar purane dosto per bhi likho.