दोस्तों ऐसा ही होता है। जब हमारे सामने ऐसा कोई मिल जाए जो बचपन में हम से बड़ा हो तो ढलती उम्र में भी हम खुद को छोटा समझने लगते है। जैसे बहुत ऊँचे कद वाले इन्सान के सामने नॉर्मल कद वाला कोई इंंसान खड़ा होता है तो वह खुद को बच्चा महसूस करने लगता है।
तो मेरा कहने का मतलब यह है की मुझे फेसबुक पर मेरे स्कुल के कुछ दोस्त और हमारे टीचर मिले और मै फुला न समाया।इस तस्वीर में बाई तरफ हमारे गणित और भौतिक शास्त्र के टीचर श्री शर्मा सर है और दाहिनी तरफ हमारे रसायन शास्त्र के टीचर श्री रविन्द्र परांजपे सर है।
उनको देख मैंने उमर का हिसाब किया। उन दिनों हम स्कुल में थे तब मुझे याद है दोनों ही सर के बाल सफेदी की तरफ झुके हुए थे। कहने का मतलब ये है की उनकी उम्र तकरीबन ४५ या ५० की होगी जब हम ११ वी कक्षा में थे तब। हम १९७७ में ११ वी पास किये है। आज उस बात को ३३ साल हो चुके है। मतलब दोनों ही सरो की उम्र आज ८० से ऊपर होनी ही चाहिए। मुझे आश्चर्य इस बात है की इस उम्र में ये पुराने लोग कंप्यूटर पर कैसे आये। जबकि मैंने ऐसे जवान लोगो को देखा है जो कंप्यूटर को हाथ लगाने से भी डरते है.
मै अपने आप को धन्य मानता हु की मुझे ऐसे शिक्षक नशीब हुए।