Digital Hindi Blogs
May 31, 2010
कल क्या होगा किसको पता
दोस्तों दुनिया की जनसँख्या बहुत ही गतिसे बढ़ रही है। आज मुझे गूगल पर एक बहुत ही सुन्दरसी लिंक मिली जिसमे हम दुनियाभर के देशो की जनसँख्या की तुलना कर सकते है। यहाँ क्लिक करे
१९६० से २००८ तक की जनसँख्या का ब्यौरा इसमे दिखाई देता है। कौनसे देश दुनिया की जनसँख्या को बढ़ने में अच्छी तरह साथ दे रहे है ? आप खुद ही देख सकते। १९६० में हमारे देश की जनसँख्या थी ४३ करोड़ ४८ लाख जबकि २००८ में वह बढ़कर हो गई है तकरीबन ११४ करोड़। मतलब पिछले ४८ सालो में हमारी जनता में करीबन ७४ करोड़ का इजाफा हुआ है। साल में १.५० करोड़। क्या बात है दोस्तों। इसी गति से बढ़ोतरी होती रही तो हमारी धरती पर माफ करे हमारे देश में हमें खड़े रहने के लिए भी जगह मिल सकेगी या नहीं पता नहीं। कोई बात नहीं।
दूसरी तरफ हमारे देश की पर केपिटा इनकम भी बढ़ गयी है। २००९-१० में वह रु। ४४, ३४५/- इतनी हो गयी है।
महंगाई में भी इजाफा हो रहा है। मतलब सब तरफ से बढ़ोत्तरी ही हो रही है। बधाई हो भाइयो।
मै कई सालो से ये सोचता रहता हु की हम १९६० से पहले यानी की पीछे जाए तो जनसँख्या कम कम होती दिखेगी। लेकिन भारत के इतिहास को देखे तो इस धरती पर कई युध्द हो चुके है। जैसे की महाभारत का युध्द, झंशी की लढाई, पानीपत की लड़ाई। इन युध्दो में लाखो लोग मरे गए। महाभारत में तो बहुत सरे लोग मरे गए थे। मै बार बार सोचता हु की यदि इन पुराने दिनों में ये युध्द न हुए होते और लाखो लोग मर न जाते, तो आज ही हमारे इस देश की जनसँख्या कितनी होती। क्योकि उन दिनों एक आदमी को १०० बच्चे भी हुआ करते थे। अनेक बीबियाँ होती थी। जरा सोचिये यदि ऐसा हुआ होता तो आज हमें खड़े रहने को भी जगह नहीं मिल पाती!
हो सकता है आगे चलकर जनसँख्या बढ़ने से इंसान चाँद पर जगह बना कर रह ले। लेकिन आज यदि जनसँख्या जादा होती तो हमारा क्या होता?
खैर, यह तो एक कल्पना है। लेकिन कल क्या होगा किसी ने नहीं देखा है.
( फोटो साभार-http://www.all-about-india.com/index.हटमल)
May 22, 2010
लाईफ है तो...............
लाईफ है तो वाईफ है,
वाईफ है तो ही लाईफ,
ये जिंदगी बस एक नाईफ है।
वाईफ है तो लाईफ है,
लाईफ है तो ही वाईफ है,
ये जिंदगी एक खतरनाक नाईफ।
वाईफ है तो ही लाईफ,
ये जिंदगी बस एक नाईफ है।
वाईफ है तो लाईफ है,
लाईफ है तो ही वाईफ है,
ये जिंदगी एक खतरनाक नाईफ।
May 20, 2010
हरियाली
हरियाली अब नजर नहीं आती
हर तरफ सिर्फ वीरानी ही वीरानी है
जंगल भी वीरान हो चले है
इंसानों के दिल भी अब वीरान हो गए है।
इसीलिये दोस्तो ग्लोबल वार्मिंग का कहर जारी है। जम्मू का तापमान ४५ डिग्री तक पाहूच गया है। मतलब अब थर्मामिटर का पारा हिमालय की गोद तक पहूचं गया है। लेकिन हम है के सुधारने का नाम ही नही लेते. ना बिजली की बचत, ना ही पानी की बचत, ना जंगल से प्रेम ना ही धरती माता से प्यार! क्या हो गया है इस इंसान को?
खैर इस झुलसती गर्मी में कम से कम आँखों को हरियाली या बर्फ नजर आ जाए तो शरीर में ठंडक फैल जाती है. डूबते को तिनके का सहारा यु ही नहीं कहा है किसी ने। तो आइये इन ठंडक भरी तस्वीरों का निरिक्षण करे और सिहरन महसूस करे। घबराए नहीं इसमें कोई मिलावट नहीं है।
May 19, 2010
एक बेहतरीन एसएमएस
A BIRD SITTING ON A TREE HASN'T AFRAID OF THE BRANCH SHAKING OR BREAKING, BECAUSE BIRD TRUST NOT THE BRANCHES BUT ITS OWN WINGS! BELIEVE IN YOURSELF & GET READY TO FLY।
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May 16, 2010
एक सुंदर कला
दोस्तो कला बहुत बडी चीज है. यह हर किसी के बस की बात नही होती. आज युही ओर्कुट पर विजिट कर रहा था तो हमारे दोस्त समीर लाल के प्रोफाईल पर एक कलाकार ने तयार की हुई कलाकारी दिखाई दी.भगवान गणेश जी का चित्र है. डिजीटल चित्रकारी है. आप लोगो को जरूर पसंद आयेगी.
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May 15, 2010
याद उनकी आती है जिंदगी भर.
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