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March 7, 2010

ख़ुशी और गम

खुशियों के आगोश में जीना आसाँ है यारों
जरा ग़मों से सराबोर जिंदगी भी जी कर देख लो।१।

खुशियाँ हो चारो तरफ ऐसी जिंदगी सभी की चाह है,
ग़मों की जिंदगी मगर कोई न जीना चाहे। २ ।

दुखों से काहे मुंह मोड़ते हो, जरा उन्हें भी तो जीकर देख लो
खुशियों का क्या है , वो तो सभी की चाहत है। ३।

6 comments:

रावेंद्रकुमार रवि said...

बात तो आप सही कह रहे हैं,
पर यह नग़मा किधर से है?

रविंद्र "रवी" said...

आपकी बात सही है. लेकिन इन्हे क्या कहू सुझ हि नही रहा था. आप हि सुझाईये.

संजय भास्‍कर said...

RAVINDRA JI MAIN AAPKE BLOG KO FOLLOW NAHI KAR PA RAHA HOON.....

संजय भास्‍कर said...

SIR JI
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AADAT MUSKURANE KI.

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रविंद्र "रवी" said...

संजय जी अभी अभी मैने कोशिश कि तो फॉलो हो रहा है. कृपया फिर कोशिश करे.

रविंद्र "रवी" said...

धन्यवाद,संजयजी भावपूर्ण प्रतिक्रियाओ के लिये धन्यवाद.