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February 18, 2020

वाह री जिंदगी..

बचपन में
कुछ भी नही था साथ
था तो बस हौसला,
डटे रहे
जिंदगी जिते रहे।
आज बुढापे में 
सब कुछ है
लेकिन 
जिने के लिए 
हौसला नहीं हैं।
हौसला अफ़ज़ाई करनेवाले 
तब भी नदारद थे
आज भी नदारद हैं।

रविंद्र "रवी" कोष्टी

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