रिश्ते निभाने के लिए बुद्धि नहीं,
दिल की शुद्धि होनी चाहिये..!!
सत्य कहो, स्पष्ट कहो, सम्मुख कहो,
जो अपना हुआ तो समझेगा,
जो पराया हुआ तो छुटेगा.!!
🙏🏻🌹 सुप्रभात🌹🙏🏻
आपका दिन शुभ हो
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रोज की तरह आज भी मैने सुबह सुबह संदेश फॉरवर्ड करना सुरु किया. इतने दोस्त और व्हाट्सएप ग्रुप है कि हर रोज तकरीबन आधा घंटा बित जाता है फॉरवर्ड करने में।ऐसे मे यह ध्यान ही नही रहता कि कब किसे संदेश फॉरवर्ड किया। काम खतम कर मै सुस्ता रहा था कि घरवाली आकर बडबडाने लगी। "आज का आपका संदेश बहुत ही सटिक है। जैसे व्यवहार करते हो उसे शोभा देता है।"
मै सकपका गया,"अरे भागवान क्या हुआ? क्यो शोर मचा रही हो?"
"रिश्ते निभाने के लिए बुद्धी नही..... वो तो आपके पास है नही! सही कहाँ न मैने!"
"जी बिलकुल सही कहा. वो क्या है कि हम परोपकारी लोग है. जब भगवान बुद्धी बाँट रहे थे तब मैने एक इंसान को लाईन के आखिर मे खडे देखा। थोडा पागल जैसा लग रहा था। मैने सोचा चलो इसकी सहायता कर दे। सो मैने मेरी जगह उसे दे दी और मै उसकी जगह चला गया। "
"तभी मै सोचू आप ऐसे क्यो है। " वो.
"लेकिन मैने अंदर की बात बताई ही नही।"मै.
" वो क्या? " वो.
"मेरा नंबर आते आते बुद्धी खत्म होने को आयी थी। मुझे यह बात समझ आ गयी। इसलिए मैने यह परोपकार किया। " मै.
"अरे वा। आप तो बहुत समझदार थे।" वो.
"लेकिन तुमने वो कौन था ये नहीं पुछा।" मै
"जरूरत नही. लेकिन आप बता ही दिजिए।" वो.
"अरे उसे मै तब थोडे ही पहचानता था। वो तो शादी के बाद पहचान हुई। तब पता चला वो तुम्हारा भाई था।" मै
"क्या????"वो
उनकी हालत देखने लायक थी।
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