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June 12, 2010

उनकी बाते


मेरा तबादला नाशिक शहरसे पुना शहर मी हो गया है। बस कुछ दिनो बाद मी पुना शहर चला जाउंगा। इसलिए शायद ब्लॉग पर जादा न लिख पाऊ। आज अपनी पुराणी किताबे खोज रहा था जिसमे मुझे एक गुटका मिला। आप लोग जानते होंगे की गुटका छोटी किताब को कहते है। मुझे कुछ अच्छी चीजे संभल रखने की बचपन से ही आदत है। यह छोटीसी किताब गोपीकृष्ण व्यास नाम के किसी लेखक ने लिखी है। बहुत ही अच्छी है इसलिए मैंने संभल राखी है।
मै चाहता हु उन्होंने लिखी बाते आपसे शेअर करू।
तो आज का उस किताब का पहला पन्ना यहाँ पेश कर रहा हूँ




" मुझे मत छेड़ो। "
मै शांत सुषुप्त अपनी पर्ण कुटी में
नूतन विश्व को जन्म देकर उसे संस्कार दे रहा हूँ,
उसके शैशव को पवित्र कर्म का यौवन दान देने दो,
उपरांत प्रकृति के पारावार के भी परे चला जाउंगा।
अभी मत छेड़ो मुझे।