दोस्तों, व्हाट्सएप एक मायाजाल है। हरपल कुछ नया उभर कर आता है। कुछ नया ज्ञान दे जाता है।
अभी हाल ही में एक बहुत सुंदर कविता प्राप्त हुई थी। कवी अज्ञात है। कोई नहीं जानता कौन है। लेकिन कविता सच्चाई बयाँ करती है।
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झाँक रहे है इधर उधर सब।
अपने अंदर झांकें कौन ?
ढ़ूंढ़ रहे दुनियाँ में कमियां ।
अपने मन में ताके कौन ?
दुनियाँ सुधरे सब चिल्लाते ।
खुद को आज सुधारे कौन ?
पर उपदेश कुशल बहुतेरे ।
खुद पर आज विचारे कौन ?
हम सुधरें तो जग सुधरेगा
यह सीधी बात स्वीकारे कौन?"
शुभदिन
।। आपका दिन मंगलमय हो।।
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