कुछ साल पहले किसी ने एक अलौकिक शहर बसाया. नाम रखा फेसबुक. धीरे धीरे लोग वहाँ अपना डेरा जमाने लगे. फिर अपना घर ही बना लिया। देखते ही देखते करोडों लोगों ने वहाँ अपने घर बना लिए।
फिर एक और शख्स आए और उस दुनिया का नाम रखा व्हाट्सएप। लोगों ने यहाँ भी अपना डेरा लगाना शुरु किया। देखते ही देखते इस दुनिया ने भी अपना विहंगम रुप दिखा दिया।
फिर कोई आया जिसने इंस्टाग्राम नामक दुनिया बसाना शुरु किया। यहाँ भी लोगों ने घर बनाने शुरु किये।
इस तरह लोग आते गये नयी दुनिया बसाते गये।
अब हर किसी ने अपना घर हर नयी दुनिया में बना लिया है। कभी इस घर कभी उस घर घुमना सबकी दिनचर्या बन गयी।
और कहने लगे ये मेरा घर ये तेरा घर।
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